गीता और मानस एक है और रामायण जीना सिखाती है : साण्डिल्य
नदवासराय/मऊ।देवलमुनि की तपोभूमि देवलास पर देवर्षि देवल जनकल्याण समिति के तत्वाधान में सात दिवसीय रामकथा (प्रवचन) के दूसरे दिन वाराणसी पधारे कथावाचक जगदीश चन्द साण्डिल्य ने गीता और मानस को एक बताते हुए कहा कि रामायण जीना सिखाती है। गीता मरना सिखाती है। जन्म लेना किसी को आता नहीं, मरना सिखना चाहिए। जिसे मरना नहीं आया उसे कुछ नही आया। उसने मानस जीवन व्यर्थ गवाया। इस अवसर पर डा0 राममूरत यादव, डा0 प्रेमचन्द्र चतुरवेर्दी, रूद्रप्रताप सिंह, श्याम सुन्दर पाण्डेय, विजय शंकर पाण्डेय, ग्रामप्रधान सम्पाती देवी, कैलाश राजभर, अनुराग यादव, रमेश गुप्ता, रिया, रानी आदि सैकड़ो लोग उपस्थित रहें।