बेटी के प्राईवेट पार्ट में डंडा डालने का हिसाब कौन लेगा! बेशर्मों को सजा कौन देगा!

मेरी कलम से…
आनन्द कुमार
इन्सानियत की जरा सा भी,
मोल नहीं, सारी हदें पार कर,
यह कैसी हैवानियत है,
शर्म ही नहीं आ रही,
रोआं-रोआं कांप रहा है,
मानवता का बलात्कार करने वाला,
कोई पड़ोसी, गांव का दबंग नहीं था,
अपने ही सगे थे, खुन के रिश्ते में,
एक दूसरे से सने थे,
कहने को एक पूरा परिवार थे,
फिर क्यों कर डाली ऐसी हरकत,
क्यों नहीं हाथ कांपा किसी का,
क्यों नहीं दिल रोया, क्यों नहीं,
धर्म उनका चित्कारा,
कि यह कैसा कर्म कर रहे,
उस परिवार में एक पति को छोड़,
क्या कोई भी ऐसा नहीं था,
की उस रोती, बिलखती, कांपती, थर्राती,
महिला का हाथ थाम लेता, और गले लगा कर,
कहता, बेटी तुम मत घबड़ाओ मत, मैं तुम्हारे साथ हूं,
पुरूष तो पुरूष, क्या उस घर की,
नारी भी मर गई थी, जो यह कह ना सकी,
बेटी तुम डरना नहीं निडर रहना, मैं साथ हूं,
सच में देवरिया के एक परिवार द्वारा,
यह विभत्स घटना, बार-बार रूला रही है,
पता नहीं उन बेरहमों, बेशर्मों का हृदय,
क्यों नहीं डरा, क्यों नहीं धिक्कारा उन्हें,
उनकी गलतियों को सुन, कांप जा रहा हूं मैं,
क्या ऐसे गुनाह के लिए भी,
अदालत बैठेगी, जांच होगी,
क्या अभी भी सबूत की जरूरत है,
प्रेम का यह कैसा सिला दिया है घर वालों ने,
उनका ही बेटा था, कम से कम उसकी तो लाज रखते,
मारा, पिटा, गाली दिया, हर जुल्म किया,
कम से कम उस बेटी के प्राईवेट पार्ट में,
डंडा डालने की जुर्रत तो नहीं करते,
इतना बड़ा गुनाह पर,
आखिरकार इन्तजार किसका है?
गुनाहों के हिसाब पर मौन किसका है?
इस विभत्स घटना के गुनाहगारों और समाज के दुश्मनों का आप अपने अपने माध्यम से विरोध जरूर करिए। कुछ लिख सकते हैं तो हमें भेजिए 9451831331 पर हम उसे प्रकाशित करेंगे, उस बेटी के लिए आपके शब्द को आवाज बनाएंगे।
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