शब्द मसीहा की कहानी…अगले जनम मोहे चौकसी ही कीजो
(केदारनाथ शब्द मसीहा)
का जी ! आप शीर्षक पढ़ के चौंक काहे रहे हैं । डिफॉल्टर्स पर रहम की बाढ़ आ गई है …कोई बारिश नहीं हुई है । आरबीआई ने हीरा व्यापारी मेहुल चौकसी समेत जानबूझकर कर्ज न चुकानेवाले 50 टॉप डिफॉल्टर्स का कर्ज माफ किया है।
का कहा ? हा हा हा ….आपका ई एम आई थोड़े ही है । आर टी आई लगाई तो खबर आई कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने सूचना के अधिकार के तहत दिए गए जवाब में कहा है कि फरार हीरा व्यापारी मेहुल चौकसी सहित 50 टॉप विलफुल डिफॉल्टर्स से 68,607 करोड़ रुपये की चौंका देने वाली रकम को माफ करने की बात स्वीकार की है।
ये लोग कोई किसान थोड़े ही है । ये तो टॉप 50 विलफुल डिफॉल्टर आईटी, बुनियादी ढांचे, बिजली, सोने-हीरे के आभूषण, फार्मा आदि सहित अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े हुए महान लोग हैं जो देश के विकास से जुड़े हुए थे।
एक ससुर हम हैं कि दिल्ली के जंतर मंत्र पे उन अधनंगे किसानों को टी वी पर देखते हुए पगला जाते हैं । और कई जगह खाली किसान का कर्ज़ माफ करने के नाम पर सरकारें बन जाती हैं …बिगड़ जाती हैं।
का हुआ जो दो सौ या ढाई सौ की टेस्टिंग किट 600 में खरीद ली ? देश की जनता को कोरोना से बचाना था । इस को राश्त्र्भक्ति कहते हैं । अब पी पी ई किट हो या टेस्टिंग किट ….भाई देश की जनता के लिए ही तो सब किया है। कोई बात नहीं …..हम तो रावण के कपड़े पहने हुए आदमी को भी यमराज समझ के घर से बाहर नहीं निकाल रहे हैं ।
आजकल राष्ट्र भक्ति भी एक भय है….सवाल उठाने वाले के लिए। मगर जरूरी भी है । सवाल उठाने से ही रास्ते निकलते हैं । भय तो धर्म का काम है। धर्म में भय का तड़का सदियों से लगाया जा रहा है । मैं विधायक जी के भय पर कुछ नहीं कहूँगा कि सिर्फ हिन्दू से सब्जी लो या मुस्लिम से मत लो ।
मुझे पहली बार गाती हुई पुलिस बहुत अच्छी लगी । पुलिस का चेहरा बदला । लोगों की मदद की और लोगों में अपने गीतों से हिम्मत भी जगाई। कोरोना महामारी है या मौका है । इस बात को अभी सिद्ध करना बाकी है । वैसे मलेरिया की दवाई दुनिया के पचास देशों को देना जरूर भारत का सीना चौड़ा करता है । मैं भी बिना किसी इनर्जी ड्रिंक के लिए हुए स्फूर्त महसूस कर रहा हूँ ।
आजकल किसी की बात न सुनने का क्रम जारी है । विपक्ष अच्छा भी कहे तो उसे नहीं सुनना चाहिए । इस से पार्टी की छवि और मुखिया का मान कम होता है । मगर समझ नहीं आता कि क्या मुखिया का देश और विपक्ष का देश अलग है?
मैं भी कहाँ दिमाग लगा बैठा ? माफ कीजिये मैं अपने शब्द वापिस लेता हूँ । भक्तों के हिसाब से मुझ में दिमाग ठीक उसी तरह से गायब है जैसे मंदिर में मूर्ति तो है मगर भगवान नहीं और मस्जिद में कोई भी हो सिर्फ जमाती है और वो भी कोरोना पॉज़िटिव है । वाल्मीकि जी को पूरा हक है कि वे तथाकथित डाकू से महर्षि बन जाएँ पर कोई तबलिगी इंसान भी कैसे हो सकता है ? हमें तो उससे सिर्फ नफरत ही करनी चाहिए , भले ही वो प्लाज्मा देकर किसी की जान बचाने की कोशिश करे। मानवता तो सिर्फ हमारी होती है । कोई दूसरा इस पर अपना हक कैसे जाता सकता है ?
देश बचाना है तो देश में खर्चा भी कम करना होगा, बात तो सही है । उधयोगों को पैकेज देना जरूरी है । जय जवान जय किसान के नारे कितने अच्छे लगते हैं । मगर आधे से ज्यादा जवान ऐसे हैं जो मरते तो हैं मगर शहीद नहीं होते । क्या करें साहब सरकारी नियम है । किसान भी बेचारा फाँसी खाता है …पर ये तो पिछले जन्म का कर्म है उसका । बीज का दाम बढ़े , दवाई का दाम बढ़े मगर फसल का दाम नहीं बढ़ेगा …..किसान न हुआ बंधुआ मजदूर हो गया और ऐसा मजदूर जो अपनी मेहनत का दाम भी नहीं मांग सकता ….मेहनत का दाम भी सरकार तय करेगी …महंगाई जो रोकनी है । किसान चाहे बाढ़ से परेशान हो , ओएलई पड़ें या सूखा हो ….सब उसकी किस्मत है । उसका कर्जा भले ही थोड़ा हो मगर माफ करते शर्म लगती है । काम तो बड़े ही होने चाहिएँ । और बड़ा काम होता है ….बड़े चोरों को माफी दे देना ….भाई वो तो देश के जमाई थे जैसे ….. कर दिया उनका बकाया माफ । और हम ग्रीन मैंगो मोर …. साले हैं कौन ? नागरिक हैं ….एक वोट हैं ….सरकार थोड़े ही हैं।
अगर इस पैसे की बसूली होती तो हम काले धन की वापसी को भूले रहते मगर ये तो काले धन का पोषण ही हुआ न । हम और आप लगे हैं कापियाँ काली करते हुए कि हर महीने कितने पैसे काटेंगे तनख्वाह से देश भक्ति के नाम पर और घर का बजट कितना कम करना है। लगे रहो भाई । मैं तो ढूँढने जा रहा हूँ कोई सिद्ध पुरुष जो अगले जन्म मुझे चौकसी बना दे । भले ही मैं हजारों करोड़ लेकर भाग जाऊँ ….मगर मुझपर कोई बकाया न हो ।
इस सब को भूल जाना चाहता हूँ , मंटो के साथ बैठ जाता कहीं कब्रिस्तान में दो घूंट लगाने को मगर क्या करूँ साले ठेके भी बंद हैं ….. गो कोरोना गो …..दुकान खुलने दो ….विकास होने दो ….कर्ज़ लेने दो ….कर्ज़ माफ होने दो और हम कमाने वालों का बैंक में जमा पैसा दूसरों को खाने दो …..क्योंकि हम चौकसी नहीं हैं ….किस्मत से पस्त चौखटे हैं साले । हे राम जी ! मेरी अर्ज़ सुन लो ……अगले जनम मोहे चौकसी ही कीजो।

