सन्यासी नहीं सियासी हैं जोगी बाबा
( अम्बरीष राय )
सम्पादक, उजेषा टाइम्स

‘ आजा घरे छोड़के तू दिल्ली देवरा तूड़ी किल्ली.. की भोजपुरिया कल्पना के बाद, टेम्पू का तापमान बदल चुका था. ‘ जा तारा परदेश बलमुआ घर में हमका छोड़ के, तनि जाए से पहिले खा ला होठलाली से रोटी बोर के… डिस्कोथेक बना विक्रम टेम्पू लखनऊ की सड़क पे चल नहीं, उड़ रहा था. वैसे ही जैसे नौकरशाहों की बनी टीम इलेवन उत्तर प्रदेश को उड़ाए जा रही है. ओमपरकशवा स्टेयरिंग चांपे जा रहा था. बैक मिरर से परबतिया से नैनसुख लेता भोजपुरी सुपरस्टार खेसारी लाल यादव से ज़रा भी कम नहीं समझ रहा था. सर्वेश्वर बाबू यूपी और यूपी के टेम्पू के तुलनात्मक अध्ययन से गुज़र रहे थे. यूपी की ब्यूरोक्रेसी भी अपने को जोगी बाबा से कहां कम समझती है. पार्टी कार्यकर्ता रो रहे हैं, रोना भी चाहिए, कार्यकर्ता जो ठहरे. मंतरी को बाबू (आईएएस) लोग संतरी से ज़ियादा कुछ समझ ही नहीं रहे, विधायक लोगों की तो जिले में भी सुनवाई नहीं है.
सर्वेश्वर बाबू की साइकिल पंक्चर हो गई थी तो मज़बूरी में शेयरिंग ऑटो में बैठना पड़ा था. नहीं तो आराम से समाजवादी पार्टी के चुनाव चिन्ह पर नखलऊ के नवाब बने फिरते थे. टीपू भईया ने सर्वेश्वरों के लिए साइकिल पथ बनवाये भी खूब मात्रा में थे. भईया जी ने साइकिल चलाई अऊर चलवाई भी, ये सर्वेश्वर बाबू अच्छी तरह से जानते थे. ई अऊर बात है कि सर्वेश्वर बाबू ने साइकिल पथ का पूरा खर्चा पर्चा जानने में अपनी साइकिल की कमर तोड़ डाली थी. लाट साब के घर (राजभवन) के सामने ही तो पीडब्लूडी का मुख्यालय ठहरा. रोज साइकिल दबाते अऊर कागज़ कागज़ खेलते. वइसे कागज़ कागज़ अऊर भाषण भाषण, भाजपा वाले भी चुनाव के समय बहुत खेले थे. लेकिन हुआ का, तो कुच्छो नहीं. टेम्पू गोमती रिवर फ्रंट से गुजरने लगा. अचानक सर्वेश्वर बाबू चीख पड़े. बंद कर अपना फुहड़पना. डर के मारे ओमपरकशवा टेप अऊर टेम्पू दूनो बंद कर दिया. चेहरा खोलकर खुलती जा रही परबतिया तुरंतय दुपट्टे से कवर हो गई. गुस्से से हांफते सर्वेश्वर बाबू ने कहा कि ख़बरदार जो आगे ज़रा भी रोटी बोरी तो.
अबे टेम्पू चला रहे हो कि प्रदेश, बेलगाम हुए पड़े हो. इतनी देर से देख रहा हूं. सोचा कि फूल जइसे हो, कभी तो कमल होगे लेकिन इतना टाइम गुज़र गया, कीचड़ में ही लोटे पड़े हो. तुम्हारे हिसाब का टाइम आ गया है. सोचा था दस दूंगा, लेकिन तू पांच से ज़ियादा की औक़ात नहीं रखता. मन तो कर रहा है कि तुमको गिराके काटूं, लेकिन तुम तो पहिले ही गिरे हुए हो. चल भाग यहां से. सर्वेश्वर बाबू गोमती रिवर फ्रंट पे उतर गए. मां गोमती को प्रणाम किया. नदी के प्रवाह में बह चुकी भाजपा की नैतिकता, जोगी बाबा का भरोसा और समाजवादी घोटाले के रसायन की गठरी के निशान देखने लगे. अचानक एक मंहगी गाड़ी सर्वेश्वर बाबू के पास आकर रुकी. धुंए के छल्लों से खेलता भुवन का चेहरा नुमायां हुआ. क्या बे भुवन, कहां खेल रहे हो? वहीं जहां आपने खेलने से मना कर दिया था, सर्वेश्वर बाबू के सवाल का जवाब आ चुका था. सर्वेश्वर बाबू ने मुंह घुमा लिया. भुवन अदब से उनके पीछे खड़ा हो गया.
‘अच्छा ये बताओ, पिछले चुनावों में रिवर फ्रंट घोटाले के आरोपियों को जेल में ठूंसने की बात का क्या हुआ? उस बखत तो सारे भजपइये अखिलेश यादव, शिवपाल यादव सबको जेलेश्वर करने की बात कर रहे थे.’ सर्वेश्वर बाबू के सवाल पर भुवन ने बताया कि जांच चल रही है. जोगी बाबा 24 कैरेट के आदमी हैं, सबको जेल भेजेंगे. पुल के नीचे बहती गोमती के आंसू उसके पानी में कहां दिखते, सर्वेश्वर बाबू देखने लगे. गोमती मुस्कुराती दिखी. सर्वेश्वर बाबू बोले, ‘ भुवन गोमती के इस जल को देखो. इसके बहते पानी में कितनी सरकारें बह गईं. आने वाली कितनी बह जाएंगी. लेकिन आस्था के नाम पर जल, जंगल, जमीन को पूजने वाला सत्ता के गलियारे में बहक जाता है तो, उसका बहुत कुछ नष्ट हो जाता है. प्रभु तो मिलते नहीं, जगत भी हाथों से रेत की तरह फिसल जाता है.’ आप फिर चालू हो गए, भुवन कसमसाया. सर्वेश्वर बाबू बोले, ‘योगी सरकार द्वारा रिवर फ्रन्ट घोटाले के सबसे बड़े चेहरे शिवपाल यादव को मायावती का राजमहलनुमा बंगला अलॉट करने के बाद भी मैं समझूं कि जोगी बाबा सन्यासी है, सियासी नहीं. सपा के अघोषित राजघराने की बहू अपर्णा यादव को सरकारी सुरक्षा देने वाले जोगी बाबा सन्यासी हैं, सियासी नहीं. ये बताओ कि अपर्णा यादव का क्या सामाजिक, राजनीतिक योगदान है या फिर उनको किन आतंकवादियों से जान का ख़तरा है? कितने छापे पड़वाये जोगी बाबा ने समाजवादियों पर? मुल्ला मुलायम कहकर हिन्दू आस्था को वोट बैंक बदलने वाली भाजपा और उसके नेता मुलायम सिंह और उनके परिजनों से जब गलबहियां करते दिखते हैं तो समझने को कुछ रह नहीं जाता भुवन.’ भुवन समझ चुका था कि इस समय सटके सर्वेश्वर से मिलने का फैसला ठीक नहीं था. बोला, ‘ उ तो मोदी जी ज़ियादा सटे हैं मुलायम सिंह जी से. तिलक शादी सब में पहुंचे रहते हैं. जोगी बाबा इन लोगों से दूर ही रहते हैं.’
‘तभी मुख्यमंत्री बनते सबसे पहले जोगी बाबा अपर्णा यादव अऊर प्रतीक यादव की सबसे बड़ी गोशाला देखने पहुंच गए थे. उ गोशाला जिस पर आरोप है कि ज़मीन लेने देने में बड़ा खेल हुआ है. सन्यासी मुख्यमंत्री कानून का राज स्थापित करने की बात करता है, और गोमती रिवर फ्रंट घोटाले की फाइलें अचानक लगी आग में जल जाती हैं भुवन.’ सर्वेश्वर बाबू आहत स्वरों में बोलते रहे. गोमती के पानी में अचानक कुछ उछाल आया. भुवन अपने में बैठने लगा. बोलने को अब कुछ था नहीं. भुवन बस इतना बोला कि अरे आप भी ना.. कहां कहां चले जाते हैं, 5 अगस्त को अजोध्या जी चलेंगें कि नहीं. मंदिर तो बनने जा रहा है.’ ठंढ़ी सांस लेते सर्वेश्वर बाबू बोले कि कोरोना में कहां जा पाएंगे. टीवी में प्रधान सेवक जी का मेगा शो देख लेंगे. मंदिर बन रहा है, यह अच्छा काम हो रहा है.
जय श्री राम कहते भुवन ने हाथ जोड़े और चल दिया. जय श्री राम कहते सर्वेश्वर मन ही मन में प्रयागराज पहुंच गए. सपा शासनकाल में लोकसेवा आयोग में हुए भर्ती घोटाले से दम तोड़ीं लाखों उम्मीदें अब भी भटकती दिखाई दे रहीं हैं. सर्वेश्वर बाबू बुदबुदाने लगे. भ्रष्टाचार मुक्त प्रदेश के नारों के बीच भ्रष्टाचार के रेट नई ऊंचाइयां छू रहे हैं. बाबूशाही के ऑक्टोपसी जाल में जकड़ा उत्तर प्रदेश है. निश्चिंत रहिये सन्यासी मुख्यमंत्री है. नेपथ्य में मुकेश की आवाज़ में दर्द बह चला था. वो सुबह कभी तो आयेगी, वो सुबह कभी तो आयेगी इन काली सदियों के सर से, जब रात का आंचल ढलकेगा जब अम्बर झूम के नाचेगा, जब धरती नग़मे गाएगी वो सुबह कभी तो आयेगी …

