हम मैदान में डटे हैं, जीरो बी पर ओवर ब्रिज विकास नहीं,मऊ का विनाश है
अन्याय,दमन, के प्रतिकार का नाम गांधी है…
मऊ। विश्व अहिंसा दिवस, राष्ट्र पिता महात्मा गांधी जी व भारत के लाल आदरणीय लालबहादुर शास्त्री जी के जन्मदिवस पर लोकतंत्र की हत्या और मऊ में विकास के नाम पर विनाश के प्रतिकार स्वरूप एक दिवसीय सत्याग्रह कियागया, लद्दाख के सैकड़ों नागरिकों जो पदयात्रा करते हुए अपनी बात कहने और दिल्ली में बापू समाधि पर श्रद्धांजलि अर्पित करने जाने से रोकना, वाराणसी में गांधी विचार की विरासत सर्व सेवा संघ का विध्वंसअलोकतांत्रिक मनमानेपन,दमन से देश का हर सभ्य नागरिक मर्माहत और शर्मिंदा है, सिर्फ यह कहना की जनता मालिक है ,तो जनता से भी तो कुछ करने से पहले पूछो,जनता की सुनों नरेन्द्र मोदी का यह कहना की 140करोड देशवासी मेरे परिवार है, धूर्ततापूर्ण वचन हैं,हम लोग वर्षों से कहते आ रहे हैं कि कम लागत,कम बर्बादी,अंडर पास से खुशहाल आबादी लेकिन कोई प्रशासनिक अमला बात करने ही नहीं आया, मनमाने ढंग से विनाश कार्य शुरू कर दिया गया हम आज भी मैदान से हटे नहीं है जन विकास के मुद्दे पर डटे हुए हैं आज सत्याग्रह स्थल पर नेशनल स्कूल आफ ड्रामा के पूर्व छात्र कलाकार रतनलाल ने गांधी के तीन बंदर नाटक की मनमोहक प्रस्तुति की में आज के सत्याग्रह में सर्व श्री राजेन्द्र अग्रवाल, गुड्डू राम, रविन्द्र कुमार, अरविंद मूर्ति, जयप्रकाश धूमकेतु,सन्तोष डाल्टन,मरछू प्रजापति,मनोज मद्धेशिया, रामाश्रय यादव,शमसुल हक चौधरी,विजय कुमार, अशोक कुमार, वीरेन्द्र कुमार सुरेंद्र यादव,साधु यादव , गोपाल कृष्ण बर्नवाल,नरेन्द्र यादव,आदि ने भाग लिया और मा0राष्टपति को सम्बोधित सात सूत्रीय ज्ञापन नगर मजिस्ट्रेट को दिया गया।
जनता ने आप के सम्मुख निम्नलिखित मांग प्रस्तुत की…
1- मऊ जिला मुख्यालय के जीरो बी रेल फाटक पर अलोकतांत्रिक मनमाने रवैए से बनाए जा रहे भारी भरकम ओवरब्रिज को अभी भी मुख्य शहर में न लें जाकर ढेकुलिया घाट पुल पर उतारा जाए,व शहर को बर्बादी से बचाया जाए।
2-देश में अश्लीलता और नशाबंदी पर पूर्ण रोक लगाई जाए।
3- निजी अस्पतालों की मनमानी(फीस, जांच व अन्य)पर रोक हेतु संवैधानिक रेग्युलेटरी अथारिटी गठित की जाए।
4-भष्टाचार पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने हेतु विधायक,सांसद, प्रधानमंत्री,मंत्री व सम्पूर्ण नौकरशाही को लोकपाल के दायरे में लाये। व सेवाओं के समयबद्धता हेतु जबाबदेही हेतु कठोर दण्डनात्मक कानून बनाये।
5- न्याय हेतु मुकदमों के निस्तारण की समय सीमा तय हो और उसके अनुरूप अदालतों की कार्यप्रणाली निर्धारित हो।
6- सभी के लिए समान शिक्षा व चिकित्सा व्यवस्था लागू की जाए।
7- काम को मौलिक अधिकार बनाया जाए व सभी स्वस्थ लोगों से अनिवार्य रूप से काम लिया जाए।