जब तक निर्भया के आरोपियों को फांसी नहीं तब तक बदन पर काला कपड़ा : बाबा
■ विरोध का स्वर : बलिया की बेटी निर्भया को न्याय के लिए अनोखा संकल्प
( आनन्द कुमार)
कल तेलांगना में डाक्टर प्रियंका रेड्डी के चारों आरोपियों को भागने और पुलिस बल पर फायर करने के आरोप में जहां पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराया। जिसकी सोशल मीडिया से लेकर प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया तक तेलंगाना पुलिस की खूब बल्ले बल्ले हो रही है। वहीं कुछ मानवाधिकार का बात करते हुए विरोध कर रहे हैं। रेप के मामले में बलिया जिले के निर्भया के आरोपितो को अब तक फांसी न दिए जाने के मामले में लोग निर्भया के आरोपियों को फांसी देने की मांग कर रहे हैं। तेलंगाना घटना के बाद निर्भया की मां ने कल एक टीवी चैनल पर वार्तालाप ने कहा कि उन्हें जब किसी ने फोन करके तेलंगाना के मामले में आरोपियों को मुठभेड़ में मार दिए जाने की समाचार सुनायी, तो सहसा तो पहले विश्वास नहीं हुआ लेकिन उन्होंने तत्काल टीवी खोलने के बाद जैसे ही इस समाचार को सुना तो लगा कि तेलंगाना पुलिस के जज्बे को सलाम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज हम लोग कई साल से न्याय के लिए भटक रहे हैं लेकिन निर्भया के आरोपियों को अब तक फांसी पर नहीं लटकाया गया।
देश में बलात्कार की बढ़ रही घटनाओं के विरोध में निर्भया को न्याय के दिलाने के लिए निर्भया सेना नाम से सामाजिक संगठन बनाकर पूरे देश में अपनी सामाजिक सरोकारों का निर्वहन कर रहे निर्भया सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष सतीश मिश्र बाबा ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के अधिवक्ताओं के बीच अपना वस्त्र उतारकर निर्भया कांड के बलात्कारियों को फाँसी की सजा होने तक अपने शरीर पर काला वस्त्र विरोध स्वरूप धारण करने का निर्णय लिया। उन्होंने अपने इस फैसले को तुरंत अमलीजामा देते हुए न सिर्फ अपने बदन से कपड़ों को उतारा बल्कि वहीं काला वस्त्र धारण कर अपने विरोध को मुखर किया।
विरोध का अपना अलग-अलग तरीका होता है। विरोध का एक तरीका यह भी है। बस एक क्लिक में पूरा वीडियो।
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वृहस्पतिवार को कोर्ट परिसर में बाबा के इस विरोध प्रदर्शन करने के अनोखे अंदाज से जहां एक अलग ही नजारा था वहीं दूसरी तरफ उनके इस तरह से विरोध के तरीके का वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है।
इस दृश्य को देखकर , जी हां पूरे देश में इलाहाबाद हाई कोर्ट का निर्णय / फैसला बड़ा ही शानदार होता है ।
बाबा ने कहा इलाहाबाद से मेरे बड़ा मधुर व शानदार रिश्ता है , मैं यही पला बढ़ा, इसी के चलते मैंने यहाँ हाइ कोर्ट में इस आदर्श चिंतन की बात सोची।
मजे की बात आज ही बाबा दिल्ली से लौटे, इस कार्यक्रम व संकल्प को आज मीडिया से दूर रखा गया।
एक स्वर से दर्जनों अधिवक्ताओं से इसे सराहा व सेना की इस मांग का समर्थन किया व कहा बाबा जी यह प्रयास काबिले तारीफ है, कहा कि बगैर संकल्प के कोई भी लक्ष्य पूरा नहीं होता। साथ ही विद्वान अधिवक्ताओं ने भी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की ।
यह चिंतन व विरोध स्वरूप कार्य हाई कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता व सेना के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष युवा प्रकोष्ठ की उपस्थिति में हुआ।
इस अवसर पर दर्जनों अधिवक्ता में प्रमुख रूप से ओंकार दत्त मिश्रा, पी डी त्यागी, डीके शुक्ला, दिनकर, रोहित, एस सी उपाध्याय, बी बी उपाध्याय, प्रमोद पाठक, एस एन तिवारी, पी के सिन्हा, धर्मेन्द्र शुक्ला सहित उपस्थित थे व यह विरोध पूरे हाई कोर्ट में चर्चा की विषय रहा ।