मिसाल-ए-मऊ

मेरी दादी कहती थी बेटा हर कोई “कल्पनाथ” जैसा नहीं होता!       

उज्जवल मिश्रा…

जब मैं छोटा बच्चा था,
गर्मियों की छुट्टियों में,
गाँव आया करता था !
एक तरफ़ बिजली की मार,
दूसरी तरफ़, बिजली अपार !
एक तरफ़ स्टेशन बेकार,
एक तरफ़ जंक्शन की भरमार !
एक तरफ़ रोड पे रफ़्तार,
एक तरफ़ गड्डे कि भरमार !
गाँव से शहर बनते,
मैने मऊ को देखा है !
यह स्वप्न नहीं था इसके पीछे,
मऊ के लाल कल्पनाथ नेता थे!
यह जब मुझे बुजुर्गों ने बतलाया,
रहा नहीं गया पूछ बैठा फिर,
बाक़ी जगह क्यूँ ऐसा नहीं होता !
तब मेरी दादी ने कहा था,
बेटा हर कोई कल्पनाथ सा नेता नहीं होता !
शब्द छोटे हैं पर यह सत्य हैं,
यह मैने अपनी आँखो से देखा है।

उज्जवल मिश्रा भाजपा के नेता हैं।

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