रचनाकार

हम वो बादल है , जो हर आंगन पर निगाह करते हैं

@मनोज कुमार सिंह…

उजाले जिन्दगी के हमें कतई मिलनें नहीं देगें,
आओ मिलकर मौसम को सर्द स्याह करते हैं ।
तुम हमको तबाह कर दो, हम तुमको तबाह कर दे,
आओ मिलकर कोई खूबसूरत गुनाह करते हैं। ।
बाग-बगीचे बहारों का हम कतई उजडनै नहीं देगें ,
हम वो बादल हैं,जो हर ऑगन पर निगाह करते हैं।
जख्म़ दिल का गहरा है, लोग सहलाने भी नहीं देंगे ,
सफेद लोग नमक का बहुत शौक से कारोबार करते हैं।।
असली दिवाने मुहब्बत की आग कभी बुझने नहीं देंगे ,
बस्तियों जलाने वाले ही अब अमन पर सलाह करते हैं।
खामोश मिजाज लोग मौतों का हिसाब होने नहीं देगें,
आओ अब राह के बेजुबान पत्थरों को ही गवाह करते हैं।
हौंसले जमीं से आसमां का सफर कभी रूकने नहीं देंगे,
हवा मे उडने वाले रेंगते लोगों की कहॉ परवाह करतें हैं।
दुश्मनी के बाजार में दोस्ती की रवायतें मिटने नहीं देगें,
दुश्मनी जमकर पर दोस्ती बेइंतिहा बेपनाह करते हैं।

मनोज कुमार सिंह प्रवक्ता
लेखक/ साहित्यकार/ उप सम्पादक कर्मश्री मासिक पत्रिका

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