कुछ है जो मुझसे खोया है, कुछ है जो सामने आता नही
@अनुश्री विवेक सिंह
कुछ है जो मुझसे खोया है,
कुछ है जो सामने आता नही।।
है क्या वो ढूंढू हर दफा,
पर मिलता नही वो है कहा।।
किस ओर ढूंढू नही पता,
करु मैं क्या ऐ हृदय बता।।
क्यों छाया है ये अंधेरा,
क्यों नही होता अब सवेरा।।
मन है राह में भटक रहा,
राही सा बन फिर रहा।।
न राह बड़ी कोई,
न ही मंजिल है बड़ा कोई।।
कुछ है जो मुझसे खोया है,
कुछ है जो सामने आता नही।।