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कुष्ठ रोगी को इलाज के बाद दी जाती है आर्थिक सहायता : सीएमओ

■ कुष्ठ रोग नहीं है लाइलाज, सफेद दाग नहीं है इसकी पहचान – जिला कुष्ठरोग अधिकारी

मऊ। कुष्ठ कोई अभिशाप नहीं, बल्कि एक बीमारी है और इसका उपचार संभव है। बेहतर उपचार मिलने पर कुष्ठ रोगियों की संख्या में तेजी से गिरावट आई है। पहले कुष्ठ रोग से ग्रसित व्यक्तियों को घर एवं समाज के लोग भी अपने बीच रखना पसंद नहीं करते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं है। सरकार से सहयोग मिलने के बाद इनके भी जीवन स्तर में सुधार आया है।
मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ सतीशचन्द्र सिंह ने बताया कि राष्ट्रीय कुष्ठ रोग निवारण कार्यक्रम के तहत ग्राम भ्रमण के दौरान कुष्ठ के संभावित मरीज मिलने पर उन्हें जाँच के लिये द लेप्रोसी मिशन (टीएलएम) नैनी, प्रयागराज (इलाहाबाद) या री कन्सट्रेटिक सर्जरी (आरसीएस) अयोध्या (फैजाबाद) भेजा जाता है। पहली सर्जरी के बाद ही मरीज को 4000 रूपये, फिर एक महीने बाद 2000 रुपये और तीसरे महीने आखिरी में 2000 रूपये दिये जाते हैं, इस प्रकार से कुष्ठ रोगी को विजिट करने पर 8000 रुपये की आर्थिक सहायता दी जाती है। इसका उद्देश्य सर्जरी के बाद कुष्ठ के रोगियों को अच्छे सम्मान और सामान्य व्यक्ति के नजरिए से देखा जाये। इसके अलावा कुष्ठ से विकलांग रोगियों को इलाज के बाद विकलांगता संबंधित सुविधाओं साथ सरकार द्वारा 2500 रुपये प्रतिमाह की पेंशन दी जाती है। इनके उपचार के लिए दवा, घाव वाले मरीज को मलहम पट्टी समेत सेल्फ केयर किट नि:शुल्क दी जाती है। कुष्ठ के रोगियों को साल में दो बार एमसीआर चप्पल/जूते भी दिये जाते हैं।
जिला कुष्ठ रोग अधिकारी डॉ एच.एस. राय ने बताया कि कुष्ठ रोग का इलाज छह माह या एक साल तक चलता है। कुष्ठ रोग का पुख्ता इलाज मल्टी ड्रग थेरेपी (एमडीटी) से छह माह या एक साल का उपचार होता है। यदि किसी व्यक्ति के शरीर पर पांच निशान या एक नस प्रभावित है तो उसका छह माह तथा इससे ज्यादा असर होने पर एक साल का उपचार चलता है।
डॉ राय ने बताया कि कुष्ठ रोग के लक्षणों में शरीर पर हल्के रंग, लाल रंग पूर्ण रूप से सुन्न कोई दाग धब्बा या चकत्ता। कोहनी के पीछे, घुटने के पीछे वाली नस का मोटा होना या इसके साथ दर्द होना। हाथों पैरों की मांसपेशियों में अचानक कमजोरी महसूस होना।
डॉ राय ने बताया कि सफेद दाग कुष्ठ रोग नहीं है, बल्कि ल्यूकोडर्मा होता है। मिलैनिगपिग्मेंट जो स्किन को डिसकलर कर देता है यह एक त्वचा रोग है। इसका उचित इलाज करने पर ठीक हो जाता है।
जिला कुष्ठ रोग परामर्शदाता डॉ कृष्ण यादव ने बताया कि कुष्ठ रोग जीवाणु माइक्रो वैक्टीरिया लैप्री द्वारा फैलता है। यह 100 प्रतिशत कुष्ठ संक्रमित रोगी जिसने कभी दवा नहीं खाई उसके खांसने व छींकने से निकलने वाले कीटाणुओं के नए व्यक्ति के शरीर में प्रवेश करने या दवा न लेने वाले संक्रमित मरीज के साथ लंबे समय तक त्वचा संपर्क में रहने से फैलता है। कुष्ठरोग के सामाजिक संक्रमण को रोकने के लिये सरकार के निर्देशानुसार संक्रमित मरीज के घर के आसपास के दस घरों के लोगों को दवा निःशुल्क खिलाई जाती है जो इस रोग को जनसमुदाय में फैलने से रोकती है। उन्होंने ने बताया कि वर्ष 2018-19 में 199 मरीज मिले थे। वहीं वर्ष 2019-20 में 114 मरीज मिले हैं। पिछले दो वर्षों में 75 मरीज ठीक हो चुके हैं और शेष इलाज पर हैं।

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