रचनाकार

न ही मैं तंबाकू खाऊंगा,और न ही खाने दूंगा, कोई मेरे सामने खाएगा, उसको मैं टोक दूंगा

@कवि छगनलाल मुथा, महाराष्ट्र


न ही मैं तंबाकू खाऊंगा,और न ही खाने दूंगा।
कोई मेरे सामने खाएगा,उसको मैं टोक दूंगा।

20 साल पहले, मैं भी खाता था तंबाकू गुटका।
एक दिन छाती में अचानक,लगा जोर से झटका।
घर वाले जैसे तैसे कर, ले गए डॉक्टर के पास।
डाक्टर मुझसे आकर बोला,एक बात कहता हूं खास।
क्यों बर्बाद करते हो तुम, अपनी सेहत और घर बार।
क्या प्यारा है तुम्हे बताओ तंबाकू या अपना परिवार।
अगर ज्यादा जीना है तो, नशे का कर दो तिरस्कार।
छोड़ो तंबाकू खाना तुम, खुश रहे सदा परिवार।


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *