आज़ादी के 75वें वर्ष पर उत्सव में बदलता भारत

डॉ. कन्हैया त्रिपाठी…
(लेखक भारत गणराज्य के राष्ट्रपति के विशेष कार्य अधिकारी-ओएसडी रह चुके हैं और अहिंसक सभ्यता के पैरोकार हैं)
आज़ादी का अमृत महोत्सव, भारत की स्वतन्त्रता के 75वें वर्ष का उत्सव है. यह एक अविस्मरणीय क्षण है. हिंदुस्तान का यह सबसे बड़ा उत्सव है. इस अवसर पर हम अपनी सीमाओं पर खड़े नवजवानों के हाथ सुरक्षित हैं, किसानों के हाथ प्रगति-पथ पर हैं. राष्ट्र अपने शताब्दी वर्ष की ओर अब प्रस्थान करेगा. हम 75वें वर्ष से लेकर शताब्दी वर्ष तक उत्सव मनाएंगे. देश को विश्वगुरु, विश्वात्मा और विश्व के लिए अमृत-देश बनेंगे, यह संकल्प है इस महान पर्व पर. आज़ादी का अमृत महोत्सव पूरे विश्व में सभी मंत्रालयों, राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों, व्यापारिक कॉरपोरेट घरानों, गैर-सरकारी संगठनों, विद्यार्थियों, स्वयंसेवकों और जीवन के सभी क्षेत्रों के लोगों की भागीदारी के साथ मनाया जा रहा है, यह सबसे अच्छी बात है और इसलिए यह अवसर भारत के नए संकल्प का है जो आगामी 25 वर्ष में हम अपनी उपलब्द्धि के रूप में प्राप्त करेंगे.

संस्कृति मंत्रालय की मानें तो केंद्रीय मंत्रालयों, राज्य सरकारों द्वारा पूरे भारत में अब तक लगभग 60,000 कार्यक्रम आयोजित किए जा चुके हैं. यह संस्कृति मंत्रालय का अपना आंकड़ा है. किन्तु यह दावे के साथ कहा जा सकता है कि आज़ादी के अमृत पर्व पर लाखों कार्यक्रम आयोजित किये जा चुके हैं, यह आंकड़ा नाकाफी है. यह उत्सव का क्षण निःसंदेह भारत के लिए गौरव का क्षण है और आज़ादी के इस पर्व पर हम जो ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करने जा रहे हैं वह यह है कि देश कई रिकॉर्ड स्थापित करने जा रहा है. जिस प्रकार आज़ादी के अमृत महोत्सव के हिस्से के रूप में आयोजित कार्यक्रमों और गतिविधियों का मार्गदर्शन करने वाले पांच विषय सुनिश्चित किए गए कि स्वतंत्रता संग्राम: इतिहास की प्रमुख उपलब्धियां चिन्हित हों, गुमनाम नायकों पर ध्यान केन्द्रित किया जाए, उन्हें खोजा जाए. आइडियाज़@75 व भारत को आकार देने वाले विचारों और कल्पना का उत्सव आयोजित हों. अचीवमेंट्स@75 के तहत विभिन्न क्षेत्रों में विकास और प्रगति का प्रदर्शन भी भारत प्रतिबिंबित करे. रिज़ोल्व@75 के तहत विशिष्ट लक्ष्यों और उद्देश्यों के प्रति वचनबद्धताओं को सुदृढ़ किया जाए. साथ ही एक्शन@75 के तहत नीतियों को लागू करने और प्रतिबद्धताओं को साकार करने के लिए कारगर कदम उठाए जाएँ और उसे आमलोगों के बीच भी ले जाया जाए. इस सम्पूर्ण समारोह के दौरान विद्यालयों, महाविद्यालयों, विश्वविद्यालयों के विद्यार्थियों सहित युवा पीढ़ी की भागीदारी पर विशेष ध्यान किया गया, यह सच है. इन सभी पर देश ने कार्य किया. यह सामूहिकता और सबके साथ चलने की इच्छाशक्ति हमारे भारत की समृद्धता है.
आज़ादी के अमृत उत्सव पर झंडा उत्सव भी एक विशिष्ट उत्सव है. देश में चल रहे ‘हर घर तिरंगा’ अभियान को सेलिब्रेट करने के लिए 13 से 15 अगस्त 2022 तक अपने घरों में तिरंगा भारतीय फहराएं, यह सरकार सबसे अपील कर रही है. ऐसा होने वाला है तो सोचें कि झंडे में भारत की बानगी क्या होगी? वैसे बिना किसी आग्रह या अनुग्रह के इस 75वें वर्ष पर सबको झंडा फहराना चाहिए. सबको इस झंडे के सम्मान में अपने वे क्षण बिताने चाहिए जिसमें हर भारतीय को सच में कुछ क्षण गौरवबोध हो. हृदय से सबके अंतस में यह झंडा हो. आप मानें या न मानें राष्ट्र लोगों को वह बोध कराने जा रहा है जो अकल्पनीय है, अवर्णनीय है. अपने भारत को नए भारत के रूप में देखने की कल्पना का यह उत्सव है. आज़ादी के अमृत पर्व का ‘झंडा उत्सव’ देश को उस दिशा में ले जाने की पहल है जिसमें सबके उन्नति, विकास और उपलब्धियों का मिलाजुला प्रतिबिम्ब हो.
हमारे देश में प्रत्येक दिन कोई न कोई पर्व होता है. यह हमारी सांस्कृतिक विरासत है. हमारे पूर्वजों ने इन त्यौहारों को किसी न किसी उद्देश्य से अपनाया. सबके हित, सबके मंगल और सबके सुख की कामना हेतु इन पर्वों को हम मनाते रहे हैं. लेकिन स्वाधीनता दिवस का पर्व हमारे राष्ट्रीय चेतना का पर्व है. इसमें उन शहीदों की कुर्बानियों की अनेकों कहानियां हैं जो हँसते-हँसते अपने प्राणों को बलिदान कर दिए. इसमें हमारे संघर्ष की कथाएं हैं. इसमें हमारी जेल के संघर्ष की पीड़ाएं हैं. इन त्याग और बलिदान के पश्चात् मिली आज़ादी का पर्व 15 अगस्त निःसंदेह हमारे लिए अमूल्य है. आज़ादी का अमृत पर्व उन सभी यादों को लिए एक ऐसा पर्व है जब हम अपनी आज़ादी के 75वें पड़ाव पर देश की प्रगति की नई ईबारत लिख रहे हैं.
हमारे इस महान अवसर पर देश के प्रधान मंत्री और नेतृत्वकर्ता पूरे जश्न को सबकी प्रतिभागिता में बदल देने के लिए प्रतिबद्ध हैं. वे चाहते हैं कि हमारी सीमाओं में रहने वाले सभी नागरिक उस गौरवबोध के साक्षी बनें, उन महान लोगों को याद करें जिन्होंने देश के लिए सर्वस्व न्यौछावर कर दिया और हमें आजाद देश देकर अपने राष्ट्रभक्ति से प्रेरणा लेने के लिए एक सुनहरा भविष्य दिया. हर स्कूल के बच्चे, श्रमिक वर्ग के लोग, किसान-मजदूर, मेहनतकस और व्यापर से जुड़े लोग, शिक्षक-शिक्षार्थी, सेवाधर्मी भारतीय महिलाएं, जनजातीय समुदाय के लोग इसमें अपनी प्रतिभागिता सुनिश्चित करें ऐसा सरकार चाहती है. वैसे हर वर्ष ऐसे आयोजन होते रहे हैं लेकिन यह विशेष पर्व सबके लिए विशेष बन जाये, ऐसी कामना इस 75वें वर्ष पर किया जा रहा है.
सभ्यता के व्यापक बदलाव के दौर में अब जब भारत अपनी शताब्दी वर्ष की ओर प्रस्थान करेगा तो हमारे युवा भारत से दुनिया यह अपेक्षा कर रही है कि भारत ही सबको राह दिखाए लेकिन यह तो तभी संभव है न जब सबके मन में अपने देश को सभी प्रतिस्पर्धाओं को लांघते हुए कुछ नया कर गुजरने की इच्छाशक्ति होगी. इसलिए यह अवसर तो संकल्प का है और उन विकल्पों को तलासने का है जिससे हम अपने देश को और ऊंचाई मिल सकती है.
आज देश के समक्ष जो चुनौतियाँ हैं उसे इस अवसर पर यदि अनदेखी करेंगे तो शायद सही लक्ष्य की ओर हम कभी न बढ़ पाएं. आवश्यकता इस बात की है कि हम अपनी धरती, अपनी प्रकृति और अपने सरोकार के समक्ष खड़ी चुनौतियों को प्रश्नांकित करें और उनसे लड़ने के लिए भी अपनी महत्वाकांक्षी योजनाओं को राष्ट्र को समर्पित करें नहीं तो हमारे विकास की कल्पनाएँ और हमारे बड़े होने का लक्ष्य कोसों दूर चला जायेगा.
हम अपनी आर्थिक, समाजिक, सांस्कृतिक चुनौतियों को बहुत अधिक मात्रा में समाधान की ओर ले जा चुके हैं किन्तु जिन चीजों से हमें अंतरराष्ट्रीय बिरादरी में सम्मान मिलेगा उसे अवश्य सुधारना होगा. हमारे सामने एक सशक्त नेतृत्व, हमारी अपनी सशक्त सोच और हमारे अपने मानव संसाधन हमारे लिए आत्मबल की तरह हैं. इसमें से कोई एक कड़ी कमजोर हुई तो हम कमजोर होंगे. इसलिए अपने भारत की हर सुबह एक ऐसे उपक्रम के साथ शुरू करें जिसमें जीतने की जिद हो और और दुनिया को यह बताने की क्षमता हो कि हमारा भारत दुनिया के लिए अहम् है, महत्वपूर्ण है. आज हमारे देश में उत्सव के इस महापर्व में हमारे संकल्प और हमारी प्रतिबद्धताएं कितनी सहजता से आगे बढ़ रही हैं, उसे समझने की आवश्यकता है. एक सकारात्मक भाव जो कि आज हमारे देश के प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी और हमारे नेतृत्वकर्ता लेकर आगे बढ़ रहे हैं, वह हमारे लिए शुभ का संकेत है. हमारी युवा पीढ़ी यदि युवा मन से हमारे उत्सव को यदि संकल्प के रूप में लेगी तो वह दिन दूर नहीं जब हमारे उत्सव ही हमारे अवसर के रूप में परिभाषित किए जाने लगेंगे.
हर संकट में भारत अपने यशश्वी भाव से आगे बढ़ा है और आज़ादी के इस महान पर्व पर भी उसी गतिशीलता से आगे बढे इसके लिए सामूहिक प्रयास और सामूहिक प्रयत्न हमारे लिए वरदान साबित होंगे. आइये सच्चे मन से आगे बढ़कर, कदम से कदम मिलकर देश के इस उत्सव को जन-उत्सव बनाएं और इस पूरे अवसर को ऐतिहासिक रूप से अविस्मरणीय बना दें, सरकार यही चाहती है. इसमें ध्यान देने वाली बात है कि हमें केवल उत्सव नहीं मनाना है, नए भारत की तस्वीर जो बदलनी है.
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