कृषि क्षेत्र को मजबूत बनाने व किसानों के कल्याण में भा.कृ.अनु.प. की भूमिका महत्त्वपूर्ण: तोमर

◆ 93 वाँ भाकृअनुप स्थापना दिवस और पुरस्कार समारोह का हुआ आयोजन
नई दिल्ली। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री और अध्यक्ष, भा.कृ.अनु.प. नरेंद्र सिंह तोमर ने शुक्रवार को कृषि भवन, नई दिल्ली में आयोजित आभासीय 93वें भाकृअनुप स्थापना दिवस समारोह के दौरान बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करते हुए कहा कि कृषि-केंद्रित देश होने के नाते किसान हमारे देश की संपत्ति हैं।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के 9 दशक के लंबे सफर,अनुसंधान कार्यक्रमों, प्रशिक्षण कार्यक्रमों, कृषि-शिक्षा और उपलब्धियों को रेखांकित करते हुए मंत्री ने कहा कि यह किसी भी संस्था या उस देश की सरकार के लिए गौरव का विषय है। उन्होंने कहा कि जहाँ एक तरफ खेती की नई पद्धतियों को अपनाने के लिए किसान प्रशंसा के पात्र हैं, वहीं दूसरी तरफ नई प्रौद्योगिकियों को किसानों तक पहुँचाने के लिए कृषि-वैज्ञानिक प्रशंसा के पात्र हैं। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि कोविड-19 के संकट काल में भी तमाम असुविधाओं और चुनौतियों के बीच कृषि का क्षेत्र देश की विशाल जनसंख्या एवं पशुधन का भरण पोषण करने में पूरी तरह से सक्षम है। उन्होंने बताया कि प्रतिकूल परिस्थितियों में भी कृषि के क्षेत्र ने अपनी प्रासंगिकता को बनाए रखा है।
श्री तोमर ने कहा कि कृषि समुदाय के सामने आने वाली विभिन्न समस्याओं को अधिक प्रभावी और कुशलता से दूर करने के लिए प्रौद्योगिकियों को विकसित करने में एक सामूहिक दृष्टिकोण होना चाहिए।उन्होंने कहा कि देश को खाद्यान आयातक राष्ट्र से निर्यातक राष्ट्र के रूप में स्थापित करने सहित पोषण सुरक्षा की दिशा में भी भा.कृ.अनु.प.ने उल्लेखनीय काम किया है। भारत की आजादी के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में आजादी का अमृत उत्सव समारोह के भाग के तौर पर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा जल संरक्षण के लिए राष्ट्रीय स्तरीय जागरूकता अभियान चलाया गया जिसमें देशभर में फैले चार सौ से भी अधिक कृषि विज्ञान केंद्रों ने भाग लिया।
श्री तोमर ने वर्तमान सरकार द्वारा कृषि की प्रगति दर को तेज करने और फार्म सेक्टर का रूपांतरण करने की दिशा में भारत सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं,प्रेरणात्मक पहलों (लैब टू लैण्ड, हर खेत को पानी, प्रति बूँद– अधिक फसल) और उसके क्रियान्वयन से संबंधित जानकारियों को साझा किया। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इसका उद्देश्य बीज से बाजार तक अम्ब्रेला के अंतर्गत पूरे फार्मिंग चक्र के दौरान उत्पादन व उत्पादकता को बढ़ाकर किसानों को सशक्त बनाना है। उन्होंने कहा कि नए कृषि कानून कृषि के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाने के साथ-साथ किसानों के जीवन-स्तर में भी बदलाव लाएगा।
श्री तोमर ने जैविक व प्राकृतिक कृषि-पद्धति के साथ-साथ एकीकृत कृषि को बढ़ावा देने पर ज़ोर दिया। उन्होंने किसानों की आय वृद्धि के संबंध में कहा कि पशुपालन, मत्स्यपालन, मुर्गीपालन, फसल उत्पादन,बागवानी आदि में किस्मों की उन खासियतों को ढूँढना होगा जिनसे बाजार में उनकी मांग बढ़े। हालाँकि उन्होंने इस बात को प्रमुखता से रखा कि परिषद द्वारा लगातार नए किस्मों की पहचान व उनका व्यवसायीकरण जारी है। श्री तोमर ने कहा कि कृषि में प्रगति व उसके मजबूत बुनियाद से ही ग्रामीण विकास संभव हो पाएगा।अंत में उन्होंने सभी से आग्रह किया कि अनुसंधान व शिक्षा का बेहतर तालमेल बनाते हुए राष्ट्र निर्माण के भागीदार बनें।
इस अवसर पर ‘किसान सारथी’ नामक एक सूचना संचार एवं प्रौद्योगिकी (आईसीटी) आधारित इंटरफेस मंच भी जारी किया गया जो राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य के साथ स्थानीय स्तर पर कृषि का समर्थन करने के लिए एक बुद्धिमतापूर्ण/कुशल ऑनलाइन कृषि प्रौद्योगिकी मंच है।‘किसान सारथी’ कृषि विज्ञान केंद्र, संस्थान और मुख्यालय से शुरू होने वाले परस्पर संवादात्मक नियंत्रण-पट्ट (डैशबोर्ड) के माध्यम से प्रत्येक स्तर की निगरानी और प्रतिवेदन (रिपोर्टिंग) के लिए सुविधा प्रदान करता है।इस मंच के माध्यम से विभिन्न स्तरों पर अधिकारी दैनिक गतिविधियों – किसान पंजीकरण, लाइव कॉल, कुल कॉल, पुश किए गए संदेश, दी गई सलाह और लंबित सलाह – को को देख और निगरानी कर सकते हैं।
सम्मानित अतिथि,श्री परशोत्तम रूपाला,केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रीऔर उपाध्यक्ष,भा.कृ.अनु.प. ने ज़ोर देते हुए कहा किपरिषद ने देश की कृषि प्रगति में अपना उल्लेखनीय योगदान दिया है और राष्ट्र को खाद्यान्न के मामले में न केवल आत्मनिर्भर बनाया है बल्कि अनेक उत्पादों के मामले में अग्रणी निर्यातक राष्ट्र भी बनाया है।खेती-बाड़ी के साथ-साथ पशुपालन एवं मत्स्यपालन को जरूरी बताते हुए उन्होंने कहा कि ‘खेत का मशीनीकरण, कृषि मूल्य बोध और खाद्य-प्रसंस्करण’की दिशा में भा.कृ.अनु.प. ने महत्त्वपूर्ण काम किया है। उन्होंने कहा कि किसान सारथी मंच के माध्यम से कृषि मंत्रालय और इलेक्ट्रॉनिकी, रेलवेएवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय का एक साथ मिलकर काम करना कृषि के क्षेत्र में निर्णायक भूमिका निभाएगा।
सम्मानित अतिथि, अश्विनी वैष्णव, केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिकी, रेलवे और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री ने कृषि मंत्रालय के साथ मिलकर किसानों के हित में काम करने का आश्वासन देते हुए कहा कि किसानों के उत्पाद को बिना नुकसान पहुँचाए एक जगह से दूसरे जगह ले जाने तथा नए कृषि प्रौद्योगिकियों को किसानों तक पहुँचाने के लिए के लिए इलेक्ट्रॉनिकी, रेलवेएवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय प्रतिबद्ध है।
सम्मानित अतिथि कैलाश चौधरी, केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री ने कहा कि भाकृअनुप के सफल 93 सालों की उपलब्धियों का परिणाम है कि बहुत-से खाद्य पदार्थों में भारत आज आयातक से निर्यातक की स्थिति में पहुँच गया है। उन्होंने सरकार की योजनाओं का उदाहरण देते हुए युवाओं के लिए कृषि में रोजगार के अवसर पैदा करने, किसानों को उचित मूल्य मिलने, बेहतरीन बीज का निर्माण करने और कृषि को व्यापार में बदलने पर जोर दिया।श्री चौधरी ने कहा कि वर्ष 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने की दिशा में परिषद ने उल्लेखनीय काम किया है। उन्होंने कहा कि परिषद के कृषि विज्ञान केंद्रों के माध्यम से पूरे देश के किसानों तक प्रौद्योगिकी का प्रसार संभव हो पाया है। उन्होंने किसानों से आग्रह किया कि आय वृद्धि के लिए वे किसान उत्पादक संगठनों से जुड़कर अपने उत्पादों का प्रसंस्करण, पैकेजिंग, विपणन का काम खुद करें।
सम्मानित अतिथि,सुश्री शोभा करंदलाजे,केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्रीने कहा कि किसान हमारे देश की जीवन रेखा हैं और किसी भी देश का विकास उसके कृषि क्षेत्र के विकास के बिना अधूरा होता है। खाद्यान्न के मामले में देश को आत्मनिर्भर बनाने का श्रेय उन्होंने मेहनती किसानों और कृषि-वैज्ञानिकों को दिया। सुश्री करंदलाजेने कहा कि खेती बाड़ी के साथ-साथ पशु पालन का ग्रामीणों की आजीविका में उल्लेखनीय योगदान रहा है। कृषि विस्तार को महत्त्वपूर्ण विषय बताते हुए उन्होंने कहा कि किसानों को नई जानकारियाँ, प्रौद्योगिकियाँएवं अग्रिम सूचना देने में इसकी विशेष भूमिका है।
इस मौके पर संजय अग्रवाल, सचिव, कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग, कृषि मंत्रालय, भारत सरकार तथा श्री अजय प्रकाश साहनी, सचिव, इलेक्ट्रॉनिकीऔर सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार भी मौजूद रहे।
डॉ. त्रिलोचन महापात्र, महानिदेशक (भा.कृ.अनु.प.) एवं सचिव (कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग) ने परिषद की गतिविधियों, कार्यशैलियों और उपलब्धियों को रेखांकित किया। उन्होंने पिछले एक वर्ष में हुए राष्ट्रीय/अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रमों, अभियानों के अलावा कई सारे समझौता ज्ञापनों के बारे में जानकारी दी। महानिदेशक ने बताया कि कृषि में राष्ट्रीय उच्च शिक्षा, अनुसंधान, नए देशी किस्मों की पहचान, प्रौद्योगिकियों के विकास, लैब टू लैंड के बीच के अंतराल को भरने तथा किसानों से सीधा संवाद करने के लिए परिषद प्रतिबद्ध है।
स्थापना दिवस के इस अवसर परभाकृअनुप ने 4 प्रमुख श्रेणियों में 16 अलग-अलग पुरस्कार दिए हैं जो ‘कृषि संस्थानों के लिए उत्कृष्टता का राष्ट्रीय पुरस्कार, कृषि अनुसंधान में उत्कृष्टता के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार, कृषि प्रौद्योगिकियों के अनुप्रयोग के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार और किसानों द्वारा नवाचार और प्रौद्योगिकी विकास के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार’ हैं। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आयोजित कार्यक्रम में 16 विभिन्न श्रेणियों में कुल 60 पुरस्कार विजेताओं को सम्मानित किया गया। इन पुरस्कारों में चार संस्थान,एक अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना,4 केवीके,39 वैज्ञानिक और 11 किसान शामिल थे। 50 सम्मानित व्यक्तियों में से 12 महिलाएँ थीं।इन पुरस्कारों के अलावा विभिन्न श्रेणियों में हिंदी राजभाषा पुरस्कार भी इस अवसर पर घोषित किए गए।
इस दौरान विभिन्न भाकृअनुप प्रकाशनों का भी विमोचन किया गया।
स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में भाकृअनुप-कैफरी,झाँसी से वृक्षारोपण अभियान भी शुरू किया गया था।
इस अवसर पर भाकृअनुप के शासी निकाय के सदस्य, भाकृअनुप मुख्यालय और कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी; भाकृअनुप संस्थानों के निदेशकों,कृषि विश्वविद्यालयों के कुलपतियों,वैज्ञानिकों और कर्मचारियों ने भी इस आयोजन में भाग लिया।
डॉ. ए. के.सिंह, उप महानिदेशक (कृषि विस्तार), भाकृअनुप ने गणमान्य अतिथियों का आभार व्यक्त किया।