उत्तर प्रदेश

अल्पसंख्यक आयोग के पुनर्गठन हेतु दाखिल जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने किया जवाब तलब

लखनऊ। अधिवक्ता डॉ शमशेर यादव जगराना द्वारा अल्पसंख्यक आयोग के पुनर्गठन हेतु दाखिल जनहित याचिका पर सरकार से हाईकोर्ट ने instructions मांग ली है कि कब तक पुनर्गठन कर लेंगे कर के बताएं पुनः दो सप्ताह में ऐज ए फ्रेस सुनवाई के लिए लगा है, चीफ जस्टिस अरुण कुमार भंसाली और मनोज कुमार गुप्ता की बेंच ने आदेश किया, डॉ शमशेर यादव जगराना एडवोकेट हाईकोर्ट लखनऊ के तर्कों बहस पर जनहित याचिका में आदेश जारी हुआ। सरकार के अधिवक्ता ने जल्दी अल्पसंख्यक आयोग के पुनर्गठन की बात कही है। ज्ञातव्य हो कि अल्पसंख्यक आयोग उत्तर प्रदेश के समस्त 8 सदस्य और एक अध्यक्ष का पद जून 2024 से रिक्त पड़ा है.

29 जून 2024 को अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष का कार्यकाल एवं 7 मेंबर का कार्यकाल. समाप्त हो चुका हैं एवं एक मेंबर सरदार परविंदर सिंह का कार्यकाल अगस्त में समाप्त हो गया।
अब कोई भी मेंबर और अध्यक्ष का कार्यकाल नहीं है उपरोक्त मेंबर एवं अध्यक्ष का पद
उपरोक्त सभी आयोग के मनोनीत पद खाली हैं
कोई भी मेंबर एवं अध्यक्ष नहीं है.
(1) अल्पसंख्यक आयोग के कार्य
अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा के लिए केंद्र तथा राज्य सरकारों द्वारा बनाए गए रक्षा उपायों को लागू करने की वकालत करना ।
अल्पसंख्यकों को रक्षा के उपायों तथा अधिकारों से वंचित किए जाने की सुनिश्चित शिकायतों को देखना तथा उन्हें उपयुक्त प्राधिकारी के पास ले जाना
अल्पसंख्यकों के विरुद्ध भेदभाव की समस्या का अध्ययन करना तथा उसको दूर करने के लिए सुझाव देना ।
अल्पसंख्यकों के सामाजिक-आर्थिक तथा शैक्षिक विकास के मुद्दे का अध्ययन करना तथा विश्लेषण करना ।
केंद्र सरकार या राज्य सरकार द्वारा चुनी गई किसी भी अल्पसंख्यक समुदाय के संबंध में उपयुक्त मापदण्ड सुझाना।
केंद्र सरकार को अल्पसंख्यक के सामने आयी मुश्किलों से संबंधित समय-समय पर या विशेष रिपोर्ट देना ।
तथा कोई भी अन्य मुद्दा जिसे केंद्र सरकार आयोग को सोंपे।

(2) आयोग की शिकायतों के प्रकार
वह शिकायतें जो नियमित याचिका के रुप में आयोग के हस्तक्षेप के लिए हों।
वह शिकायतें जो विशिष्ट शिकायतों को सुधारने के लिए आयोग के हस्तक्षेप के लिए हों।
वह जो किसी सुविधा , राहत या सुधार के लिए आयोग की मदद के हस्तक्षेप के लिए हो।
1 औऱ 2 में रखी गयी शिकायत को किसी भी समय क में हस्तांतरित किया जा सकता है ।
1,2,3 वर्ग की शिकायतों के लिए आयोग विशेष रजिस्टर रखेगा। हर शिकायत को विशिष्ट नंबर के साथ वर्ग भी दिया जायेगा।
हर शिकायतकर्ता को फार्म बी दिया जायेगा , जिसे उसे निर्धारित सीमा में भरना होगा।
निर्देश के अतिरिक्त शिकायत तभी दर्ज की जायेगी, जब शिकायतकर्ता इस फॉर्म को भरकर जमा कराएगा।
यदि शिकायत को किसी भी उल्लेखित कारण से स्वीकार नहीं किया जायेगा तो वह सुस्पष्ट कर दिया जायेगा।
1 वर्ग की शिकायतों का निर्णय या तो पूरा कमीशन करेगा या (निर्देश मिलने पर) कमीशन की बेंच करेगी।
कमीशन या बेंच इन मामलों का निपटारा करते समय जहां तक संभव हो सकेंगा अधिनियम की धारा 9(4) , दीवानी प्रक्रिया संहिता , 1908 के प्रावधानों तथा सूची में दिए गए उपयुक्त फॉर्म का प्रयोग करके निर्णय लेगा।
बेंच के द्वारा लिए गये निर्णय की रिपोर्ट पूरे आयोग को दी जायेगी ,यदि आयोग उसमें कोई फेरबदल नहीं करता है तो उसे आयोग की रिपोर्ट मानी जायेगी ।
2 औऱ 3 वर्ग की शिकायतों को चेयरमैन किसी भी सदस्य या अफसर को देकर उसे उपयुक्त अधिकारी से संपर्क करने के निर्देश दे सकता है ।
इस तरह की शिकायतों को जब सदस्य/अफसर सीधे लेगा और अधिकारी से संपर्क करेगा तो उसे इसकी सूचना आयोग के चेयरमैन को देनी होगी ।
इन सभी केसों में सदस्य/अफसर या तो चेयरमैन की बताई हुई प्रणाली को अपनाएंगे या सूची में दिए गये फॉर्म को इस्तेमाल करेंगे।
आयोग स्वयं से /अल्पसंख्यक व्यक्ति/समूह/संस्था की कोई आम या विशेष तकलीफ पर जो मीडिया में आई हो, उस पर भी कार्यवाही कर सकता है , जरुरी नहीं कि उसे कोई विशिष्ट शिकायत प्राप्त हो ।
उत्तर प्रदेश राज्य अल्पसंख्यक आयोग के गठन न होने से इन समस्त उपरोक्त कार्य नहीं हो पा रहे हैं जिसको लेकर जनहित याचिका दाखिल की गई
डॉ शमशेर यादव जगराना एडवोकेट हाईकोर्ट लखनऊ द्वारा जिसपर आज इलाहाबाद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस अरुण कुमार भंसाली के नेतृत्व वाली कोर्ट ने जनहित याचिका व भारतीय संविधान मामले के विशेषज्ञ अधिवक्ता डॉ शमशेर यादव जगराना के तर्कों और सरकारी अधिवक्ता के सुनवाई के बाद सरकार से पुनर्गठन हेतु निर्देश जारी कर रिपोर्ट मांगा.

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