रचनाकार

पिता की पुत्र के लिए श्रद्धांजलि

  • @ आशा साहनी, मऊ उत्तर प्रदेश…

तुम्हें पता है जिस दिन तुमने धरती पर था जन्म लिया
खुशियों का संसार मिला और भावों का था मर्म दिया
बिन मुरझाये फूल चमन के, किस दुनियाँ में चले गए
बातें अपनी मुझसे कहते तुम, क्यों ऐसे तुम छले गए
टूटे दिल का हाल लिए अब कैसे खुद को समझाऊँ मैं
माता पिता के जीवन थे तुम ईश्वर को कैसे बतलाऊं मैं
मगर पिता हूँ मेरी भी तो कुछ अपनी मजबूरी है
साथ तुम्हारे चलकर भी, देखो न कितनी अब दूरी हैं
सोचा नहीं था तुम बिन ही जीवन हमको जीना होगा
घुट घुट कर विष का प्याला हर दिन हमें पीना होगा
दर्द बहुत गहरा है किन्तु, फर्ज निभाऊंगा फिर भी
टूटे दिल की आह लिए, खुद को समझाऊंगा फिर भी
किन्तु बता दो माँ को तेरे कैसे कैसे समझाऊंगा
रक्षा के बन्धन पर बोलो कलाई कहाँ से लाऊंगा
इतने वर्ष बिताकर तुमने, जीवन को खुशहाल बनाया
एक क्षण में मिटे जगत से, जीवन का बुरा हाल बनाया
प्रश्न बहुत है मन के कोने कोने में छुपे हुए
जीवन के इस कठिन डगर में, सारी मुश्किल लिए हुए

अश्रुपूरित श्रंद्धाजलि बेटा तुम कर लो मेरी स्वीकार
ईश्वर तुम्हें शरण में रखें, अब मेरा है क्या अधिकार

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