“अंदाज”
किशोर कुमार धनावत,
इन वादों का क्या है,
अक्सर टूट जाते हैं।
दोस्ती निभाना क्या ,
हाथ छूट जाते हैं ।
नामुमकिन कुछ नहीं,
आज के इस जमाने में।
मक्कार आगे बढ़ जाता,
अपना नाम कमाने में।
वक्त की मार जब पड़ती,
राजा मोहताज हो जाता।
शतरंज की चाल से आज,
प्यादा सरताज हो जाता।
उम्र की शाम ढ़लने लगती,
रात का आगाज हो जाता।
मौसम रुख बदल लेता है,
निंद का अंदाज हो जाता।
(निंद= चिरनिद्रा)
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११-९-२०२१