मिसाल-ए-मऊ

चाय की चुस्की! अपने शहर का नब्ज समझता हूँ…

मेरी कलम से…

आनन्द कुमार

उसे सिर्फ़
चाय की दुकान
मत समझना
वहाँ चाय के साथ-साथ
चाह भी मिलती है…

फुटपाथ भले ही है वह
पर फुट फॉल भी है
वहाँ से तय होती है
मऊ की सियासत की
असल तस्वीर…

वहाँ पर
भ्रष्टाचार में लिप्त
अधिकारी व बाबू की
पोल भी खुलती है…

वहाँ पर तुम्हारे
दामन में लगे दाग की
चर्चा होती है
तो तुम्हारे हर अच्छे
काम की तारीफ़ भी…

शासन-प्रशासन के
अच्छे लोग की प्रशंसा होती है
तो बुराई भी
जमकर होती है…

वर्दी ख़ाकी हो या खादी
कोट काली हो या रंग बिरंगी
बेटियां हों या महिलाएं
सब चाय की चुस्की
लेने आते हैं यहाँ…

चाय की तलब का अंदाज़
तुम्हें भी तो होगी
कोयले के आँच में
चाय का जो साँच पकता है
कुल्हड़ में मिठास की
एहसास तुम्हें भी तो होगी…

नहीं है तुम्हारे पास
कोई ऐसी जगह
जहां चौथा स्तम्भ जान सके
अपने शहर की हालात
पत्रकार को वहाँ से खबर मिलती है
इस बात की भनक
तुम्हें भी तो होगी…

सैकड़ों एकड़ के मालिक
बने फिरते हो शहर में
लेकिन तुम्हारे पास नहीं है
कोई पार्किंग स्थल
इस बात की जानकारी
तुम्हें भी तो होगी…

हमें पता है
यातायात बाधित होता है
लेकिन तुम्हारे पुलिस बूथ भी
हैं इसमें बाधा
इसकी सूचना तुम्हें भी तो होगी…

यह जान लो और समझ लो
किसी फुटपाथ के
दुकानदार के आगे, अगर
यातायात बाधित होता है
तो दुकानदार का नहीं, आम जन का
दोष होता है
यह बात तो तुम्हें भी पता होगी…

सुधारना चाहते हो
तो जनता को सुधारो
रेहड़ीवालों को तो योगी जी भी
सर आंखों पर रखते हैं
इस बात की सूचना तो
तुम्हें भी होगी…

वर्ना छोड़ दो
यातायात के नाम पर
प्रचार प्रसार और ड्यूटी में लगे
तमाम उपाय, बंद कर दो
फुटपाथ की सारी दुकानें
और शहर को कर दो वीरान…

एकबारगी दफ़्तर में बैठे-बैठे
बस सोचना, यह फुटपाथ
ना होगा, तो तुम्हारे किराए का
यह शहर कैसा लगेगा
फिर बताना, तुम्हारे उपाय में
कोई कमी थी, की चाय में…

हमें तो लगता है कि प्रशासन में
धौंस ना हो तो वह शून्य है
क्योंकि उसे शासन की मंशा की
ठीक से समझ नहीं है
अरे शासन यह नहीं कहती की
किसी को रोज़ी रोटी ना दे सको
तो छिन लो…

अरे सुनो,
चाय तो महज एक अपवाद है
अगर शहर को ठीक करना चाहते तो
पहले पटरियों को ठीक करो
फालतू के बेतरतीब लगे
विद्युत के पोल को उखाड़ो
खुले नाले व नाली को बंद करो
जगह-जगह कूड़ेदान लगवाओ
सफ़ाई अच्छी है, लेकिन बहुत सी
जगह अब भी रोज़ झाड़ू नहीं लगते
वहाँ का ध्यान दो
कमाई के लिए सड़क के किनारे लगे
होर्डिंग बोर्ड के पोल को उखाड़ो
पुलिस के बूथ को रास्ते से हटवाओ
थाने की दिवारों को अतिक्रमण से मुक्त करो
मच्छर की दवा ख़रीद लो
उसका छिड़काव कराओ
तमसा व घाघरा के जर्जर होते पुल पर
एक बारगी नज़र दौड़ाओ
किसी भी चौराहे, तिराहे व दो राह पर
गाड़ियों को रोक पुलिस के
विचार विमर्श को रोको
टैक्स तो भर रहें है लगभग लोग
पर दुकानों पर ग्राहक नदारद हैं
जरा ग्राहक भेजो
बहुत सी सरकारी बिल्डिंग व कालोनी
जर्जर हैं उनमें रह रहे
अपनों के बारे में तो सोचो
हर विद्युत तार के नीचे से
सुरक्षा जाली नदारद है
सड़क पर चल रहे
जनता के बारे में सोचो
अभी चाय आ गया है पी लूँ
और कुछ जानना होगा तो बताना
बहुत कुछ है बताने को
अफ़सर तो नहीं हूँ
लेकिन अक्सर शहर घूमता हूँ
इसलिए अपने शहर का नब्ज
समझता हूँ…
अगर सब कर सके तो बताना
या मुझे बुलाना या खुद आना
तुम्हारे साथ बैठकर चाय पिएँगे
शहर हो कैसे बेहतर
इसका उपाय मिल बैठकर
पब्लिक के साथ करेंगे…

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