जब मुख्यमंत्री ने कहा बोलने दिजीए ऐसे थे प्रो. रामाधार गुप्ता
आनन्द कुमार…
अखिल भारतीय मध्यदेशीय वैश्य समाज के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष, समाज के पुरोधा, वैश्य रत्न, देवरिया जनपद के बरहज निवासी, पूर्व भाजपा ज़िलाध्यक्ष, लोकतंत्र रक्षक सेनानी प्रोफेसर रामाधार गुप्त का निधन हो गया है। उनके निधन से पूरे देश में शोक व्याप्त है। प्रोफेसर साहब एक ऐसे वक्ता थे जिनकी वाणी में ओज था। सरल, सादगी से पूर्ण वह व्यक्ति नहीं व्यक्तित्व थे शख़्सियत थे और एक जिन्दादिल इंसान थे। जो भी मिला होगा उनका कायल होगा। मेरा भी कम ही मुलाक़ात है लेकिन मैं उनके ओजस्विता का समर्थक हूँ ।
मुझे आज भी याद है लखनऊ के सहकारिता भवन में अखिल भारतीय मध्यदेशीय वैश्य समाज का अधिवेशन हो रहा था उसमें बतौर मुख्य अतिथि तत्कालीन मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह जी आए थे। जब प्रोफेसर साहब बोल रहे थे, तो बोलते समय काफी समय हो गया था। संचालक सहित आयोजक चाह रहे थे की वे जल्द से जल्द माइक छोड़े लेकिन वे अपनी भाषा शैली से सबको अपनी तरफ खींचे हुए थे और सभी शांत होकर सुन रहे खे। मुख्यमंत्री के पीएस का इशारा भी आयोजकों से मुख्यमंत्री के अन्य कार्यक्रमों व व्यस्तता की बात की गई। संचालन कर रहे व्यक्ति ने फिर प्रोफेसर साहब को इशारा किया। तब तक मुख्यमंत्री की नजर पड़ी की लोग उन्हें बैठने को कह रहे हैं। तब मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह ने स्वयं कहा नहीं प्रोफेसर साहब को बोलने दिजीए और प्रोफेसर रामाधार गुप्त उसके बाद आधा घंटा तक बोलते रहे।
जब तत्कालीन मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह बोलना शुरू किए तो पांच मिनट से ज़्यादा प्रोफेसर साहब के शब्दों को विचार को अभिव्यक्ति को सिर्फ़ और सिर्फ़ सराहा कहा भी मैं धन्य हूँ जो ऐसे लोग समाज में हैं। उसके बाद वे बोलते रहे। हमें याद है उसी मंच पर मुख्यमंत्री को राजकीय डीग्री कालेज का नाम बदल कर समाज के मसीही संत गणिनाथ के नाम पर रखने का मांग पत्र दिया गया थो और हम लोग, लखनऊ से मऊ जब तक आते उसके पहले डीएम के पास मुख्यमंत्री कार्यालय से मुहम्मदाबाद गोहना के पीजी कालेज का नाम बदलकर संत गणिनाथ पीजी कालेज के नाम से करने का फरमान आ चुका था। ऐसा प्रखर वक्ता ओजस्विता का धनी हम लोगों के बीच से जाना जिसकी भरपाई संभव नहीं है। आज दूसरी बार लगा की ग़ाज़ीपुर के पब्बर राम पूर्व विधायक की तरह समाज का कोई नायाब हीरा चला गया। उनका अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ शुक्रवार को बरहज में सरयू तट पर दिन में 11 बजे होगा।