समय से पूर्व जन्में बच्चों के लिए वरदान बनी सिक न्यू बार्न केयर यूनिट
मऊ। समय से पहले जन्में शिशुओं को उचित स्वास्थ्य सुविधा के अभाव में गंभीर स्वास्थ्य जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है। नवजात में होने वाली स्वास्थ्य जटिलताओं की समय पर पहचान कर उन्हें सुरक्षित किया जा सकता है। इसे ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य इकाइयों और समुदाय स्तर पर स्वास्थ्य विभाग द्वारा कई सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं जिसमें सिक न्यू बार्न केयर यूनिट की भूमिका बेहद अहम है।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ सतीशचन्द्र सिंह ने बताया कि गृह आधारित नवजात देखभाल कार्यक्रम के तहत आशा घर-घर जाकर परिवार के लोगों को नवजात में होने वाली स्वास्थ्य जटिलताओं की जानकारी दे रही हैं। इसके साथ ही आशा कार्यकर्ताओ द्वारा गृह भ्रमण कर नवजातों में होने वाली स्वास्थ्य जटिलताओं की पहचान कर उन्हें बचाया जा सकता है और आवश्कता पड़ने पर नवजात को रेफर भी किया जाता है। जिला महिला चिकित्सालय का सिक न्यू बार्न केयर यूनिट (एसएनसीयू) उच्च स्तरीय सुविधा से लैस है और पूरी तरह से निःशुल्क है।
सीएमओ ने बताया कि एसएनसीयू से डिस्चार्ज होने के बाद भी कम वजन वाले बच्चों में मृत्यु का अधिक खतरा रहता है। स्वस्थ नवजात की तुलना में जन्म के समय कम वजन वाले बच्चों में कुपोषण के साथ मानसिक एवं शारीरिक विकास की दर प्रारंभ से उचित देखभाल के आभाव में कम हो सकती है। इसे ध्यान में रखते हुए नवजात के डिस्चार्ज होने के बाद भी उनका नियमित फॉलो-अप किया जाता है। इसके लिए आशा कार्यकर्ता शिशुओं को तीन माह से एक वर्ष तक त्रैमासिक गृह भ्रमण कर उनकी देखभाल करती हैं। नवजात में होने वाली स्वास्थ्य जटिलताओं की सही समय पर जानकारी होना जरुरी है। नवजात की जटिलताओं को पहचानकर तुरंत अपने क्षेत्र की आशा या एएनएम से संपर्क करें या फिर नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में नवजात को ले जाकर उचित परामर्श प्राप्त करें।
जिला महिला चिकित्सालय के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ प्रवीण सिंह ने बताया कि जन्म के समय 1800 ग्राम या उससे कम वजन के नवजात एवं 34 सप्ताह से पूर्व जन्म लिए नवजातों को बेहतर देखभाल प्रदान करने के उद्देश्य से जिला महिला चिकित्सालय में एसएनसीयू – विशेष नवजात शिशु देखभाल इकाई की स्थापना की गई है। इससे नवजात को नया जीवनदान मिल रहा है।
नगर के ही एक लाभार्थी के परिजन सुरेन्द्र ने बताया कि जिला महिला अस्पताल में विशेष नवजात शिशु देखभाल इकाई आधुनिक सुविधा से युक्त है, इसकी जानकारी उन्हें लॉकडाउन के समय हुई थी लेकिन तब सभी अस्पताल बंद थे। जब मेरे रिश्तेदार को कम वजन के पुत्र की प्राप्ति हुई। उसकी तबियत खराब होने के साथ उसका वजन 1.4 किलोग्राम हो गया। डाक्टर की सलाह पर एसएनसीयू में भर्ती कराया। लगभग 10 दिन के निःशुल्क इलाज के बाद उसका वजन बढ़ने के साथ उसकी स्थिति में सुधार आ गया। अब बच्चा पूरी तरह से स्वस्थ है।