सड़क और पुलिया के इस हालात पर दोष किसे दें, कौन है जिम्मेदार! आखिर कब बनेगी सड़क

@ आनन्द कुमार…
मऊ। कई सांसद और विधायक बदलें, मंत्री भी बदलें और सत्ता भी बदला और सत्ता के मुखिया भी बदलें। लेकिन नहीं बदली तो इस जर्जर सड़क और पुलिया की सूरत। दोष किसे दें, किसे जिम्मेदार ठहराएं, जिम्मेदार तो शासन, प्रशासन से लेकर हर एक जनप्रतिनिधि है। लेकिन उनको क्या! जनता है वे तो इन समस्याओं को सहने की आदि है, उसको अच्छी सड़क और पुलिया से क्या लेना देना! उसकी तो आदत है बद्दतर जिन्दगी जीने की! उसे जीने दो ना! अगर इस सड़क और पुलिया की वजह से कोई हादसा हो जाए तो दौड़ पड़ेगी, साहब और नेताओं की कारें घटना स्थल और अस्पताल की ओर! आखिर ऐसा क्यों? हम किसी हादसे के बाद जागे! सवाल बड़ा है लेकिन जिम्मेदारी कौन लेगा? आइए हम आपको ले चलते हैं उस सड़क और पुलिया की और जो आप तस्वीरों में देख रहे हैं। इस सड़क और पुलिया को देख कर आपको ऐसा लगेगा की पुरातत्व विभाग की टीम ने इसे खुदाई में निकाला है, लेकिन जी नहीं। ऐसा बिल्कुल नहीं है। मुर्दा टाइप का दिख रहा पुलिया और उसपर बना यह सड़क जिन्दा लोगों के आवागमन का एक मात्र साधन है। क्या मासूम, क्या बच्चे, जवान, बुजूर्ग व महिलाएं सभी अपने रोज के आवागमन के लिए इस खस्ताहाल सड़क का प्रयोग अपना-अपना जान जोखिम में डाल कर करते हैं। ना जाने कितनी बेटियां ब्याह के बाद ससुराल गई वे बच्चों और पति के साथ मायके आती लेकिन सड़क नहीं बदली, इतना ही नहीं इस पास गांव में आई बहुएं ताना मारती हैं कि वाह रे यही इनकी सड़क है। इस सड़क के बारे में बयां करने को बहुत से शब्द हैं लेकिन उनको व्यक्त करना भी शब्दों के साथ बेमानी होगा।

हम बात कर रहे हैं मऊ जनपद के रतनपुरा ब्लाक के मुहम्मदपुर बरहीया और मऊकुबेर की सड़क का, जो बलिया-लखनऊ स्टेट हाइवे 34 में जाकर मिलती है। प्रदेश की राजधानी से जुड़ने का दम्भ रखने वाली यह सड़क व पुलिया अपनी बदहाली पर आंसू बहा रही है। सड़क मार्ग और उस पर निर्मित पुलिया बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई है। इस सड़क की पुलिया का हाल तो यह है कि उसके ईंट के बने पिलर से एक-एक ईंट निकल रही है। इन छोटो मोटी और बड़ी कमियों को देखने के लिए सरकार ने बकायदे विभाग का सृजन कर अधिकारी व कर्मचारी के रूप में मेठ से लेकर इंजीनियर तक तैनात किए होंगे। लेकिन इंजीनियर साहब कहां सो रहे हैं उन्हें कौन जगाएगा। पुलिया व सड़क की सुरक्षा में तैनात यह कर्मी सड़क का जायजा लेते हैं या नहीं, उसके निदान का क्या उपाय किए हैं यह कोई नहीं जानता। एक एक ईंट निकल रहे पुलिया का हालात अगर यही रहा तो कहीं सड़क और पुलिया दोनों एक साथ जमींदोज ना हो जाए और कोई बड़ा हादसा ना हो जाए इस बात से कतई इंकार नहीं किया जा सकता।

इस सड़क पर गिरकर चुटहिल होना आम बात है, लेकिन चोट जिसे लगे दर्द वह सहे, प्रशासन और नेता को दर्द का एहसास क्यों हो, इस सड़क पर ग्रामीणों का आवागमन काफी दुष्कर है। पुलिया व सड़क क्षतिग्रस्त होने से स्कूल आने जाने वाले बच्चों के लिए भी खतरे का मुख्य कारण बन गया है। विकास खंड रतनपुरा और जिला मुख्यालय तक पहुंचने का यही एक मुख्य मार्ग है। यह सड़क विगत तीन वर्षों से ज्यादा समय से बुरी तरह क्षतिग्रस्त है। दुर्भाग्यपूर्ण वाली बात यह है कि सड़क और पुलिया निर्माण के मुद्दे पर किसी भी स्थानीय जनप्रतिनिधियों और विभागीय अधिकारियों का ध्यान नहीं जा रहा है। न ही इसके निर्माण का कोई सार्थक प्रयास किया जा रहा है। यह सड़क मुहम्मदपुर बरहीया, मऊ कुबेर, मुहवा विजयगढ़, मेऊड़ीकला आदि गांवों को जोड़ती है। ग्रामीणों का कहना है कि इस गांव से व्यापारी किसानों से गल्ला खरीद कर ले जाते हैं। किसी भी समय भरी वाहनों के आते-जाते समय भीषण दुर्घटना हो सकती है। बरसात का पानी तो लगता ही है, सड़क पर नाली का पानी भी खुले में बहता है। सबसे ज्यादा यह सड़क पैदल व साइकिल से चलने वाले नौनिहालों के लिए ख़तरनाक है। लेकिन कौन समझाए इन जनप्रतिनिधियों व जिम्मेदार अफसरों को की उनका भी कुछ दायित्व है। जनता का कहना है कि किसी दुर्घटना होने से पूर्व ही सड़क और पुलिया निर्माण अतिशीघ्र हो जाना आवश्यक है। ग्रामीणों में सीताराम पाण्डेय, सुनील पाण्डेय, सर्वेश पांडेय, लालबचन गोंड़, पंचानन पांडेय, बृजभूषण मौर्य, विश्वकर्मा मौर्य, सोनू गोंड़, चन्द्रभूषण भारद्वाज, अशोक भारद्वाज, दीनबंधु मौर्या, सुरेश पाण्डेय, रामगुलाम राम, बदनराम, मनोहर मौर्या ने एक स्वर में इस समस्या से निजात दिलाने के लिए सांसद, विधायक, जिलाधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी, जिला पंचायत अध्यक्ष व अन्य जनप्रतिनिधि से गुहार लगाई है। अब देखना होगा कि शासन और प्रशासन के लोग इस सड़क की सुधि लेने में कितना वक्त लगाते हैं। क्या शासन और प्रशासन जनता के प्रति अपनी जिम्मेदारी को निभाएगी या फिर पुलिया और सड़क की बदौलत कोई गंभीर हादसा होने का इंतजार करेगी। यह तो वक्त की बात है। लेकिन अगर जिम्मेदार नहीं चेते तो जनता को जवाब कौन देगा!



Jahan ke vidhayak aur sansad sirf chunav ke waqt najar aate hon vahan ka vikas kise hoga
Bridge over river Tamsa near bhiti is also very old & needs replacement.
Bilkul yah hai man me
True