यह तस्वीर दिल्ली की है, पूछता है दिल! आखिर कब बदलेगा भारत!
@ आनन्द कुमार…
यह तस्वीर है दिल्ली के आईआईटी गेट चौराहे की, यह बच्चे स्पीड से आती जाती गाड़ियों के किनारे फुटपाथ पर बेखौफ, बिन्दास अपने बचपन में खोए हुए हैं। इन्हें न तो कौन राष्ट्रपति चुना जा रहा है इसकी फिक्र है और ना ही प्रधानमंत्री मंत्री ने देश की तस्वीर कितनी बदल दी इसकी चिन्ता है। इन्हें इस बात से भी मतलब नहीं है कि केजरीवाल दिल्ली के लिए कितने बेहतर मुख्यमंत्री साबित हो रहे हैं। ऐसा भी नहीं की संसद व विधानसभा में बैठ कर देश व दिल्ली की चिन्ता करने वाले प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री व जनप्रतिनिधि इन रास्तों से गुजरते नहीं होगें, वे अफसर भी आते जाते होंगे जो हमारे देश के इन रहनुमाओं को राय देते होंगे कि कैसे भारत व दिल्ली बदलेगा। और इसी जगह पर बुके बेचता यह बचपन है और दूसरे बुजुर्ग हैं जो फुटपाथ पर एक कोने में दो जून की रोटी के लिए इस तपिश में जल रहे हैं ।
आने और जाने वाले आते और जाते रहते हैं, लेकिन यह बच्चे इसी फुटपाथ पर पलते, खेलते, हंसते, लोटते, रोते गाते बड़े होते हैं। इनकी यही दुनिया है और यह उसी में खुश हैं। जैसे देश के रहनुमाओं को इनकी चिन्ता नहीं है, वैसे ही इन धूल धूसरित मासूमों को रहनुमाओं की फिक्र नहीं है। यह अपनी दुनिया में खुश हैं और जनप्रतिनिधि अपनी दुनिया में। हमारे आपके जैसे लोग ऐसी तस्वीर को कैद करने लिखने व पढ़ने में खुश हैं। लेकिन हमारी आपकी एक उम्मीद वर्षों से अधूरी है कि भारत एक दिन बदलेगा!