रचनाकार

लद्युकथा: श्वेत_श्याम

✍️सपना चन्द्रा…           कहलगाँव, भागलपुर, बिहार

अपने कमरे के बाहर बनी बालकनी में नीता चाय लेकर बैठती है।

ठंडी-ठंडी हवा ,उड़ते बालों का बार-बार चेहरे पर सरगोशिंया करना..गुलाबी सी शाम को मोहक बना रही थी। 

चाय की चुस्की और पत्तों की सरसराहट कानों को अच्छी लग रही थी।  

आसपास की हरियाली और परिंदों की चहचहाहट से मन उमंगे भरता हुआ आज कुछ कह रहा था। 

 कभी-कभी अचानक से चिड़ियों का रेलिंग पर आकर बैठना उसे देखना फिर फुर्रर से उड़ जाना। 

ओह,कितना बढ़िया लग रहा है..सबकुछ। पिछले वाले फ्लैट की अपेक्षा यहाँ कितना सुकून सा है। 

रीता को बैठे अभी कुछ ही पल बीते थे ,उसे लगा कि कोई एकटक निहार रहा है।

नहीं..नहीं, अभी आए हफ्ते भर ही तो हुए हैं और उतनी दूर से उसे क्या दिख रहा होगा। 

अपने ख्यालों को झटकती और इसे महज एक सामान्य सा वहम मान पत्रिका पढ़ने में व्यस्त हो गई।

लेकिन यूँ नजरों का निशाना बनी रीता असहज हो कनखियों से देखती ..ये क्या…अभी भी उसी मुद्रा में खड़ा वो इधर ही देख रहा है…आखिर क्यूँ…?

उसने झट से दरवाजा बंद किया और कमरे में आ गई। 

दिल जोर-जोर से धड़क रहा था…शांति की चाह में ये कैसी अशांति दे दी भगवन।

जाने कौन है,कैसा है..और इस तरह घुरना …इन सबका क्या मतलब है। 

अभी तो किसी को मैं यहाँ जानती तक नही। 

उसने कमरे को बंद किया और वॉचमैन से इसकी तहकीकात करने सीढ़ियों से उतर नीचे आई। 

“वॉचमैन!..एक बात पुछनी है तुमसे।”

“क्या हुआ मैडम..?”

“वो,वो..सामने वाले पार्क के उस ओर जो फ्लैट है जो मेरे फ्लैट के सीध में पड़ती है..उसमें रहने वाला व्यक्ति कौन है..?”

“मुझे उसके लक्षण अच्छे नहीं लगते। कब से वो एक ही जगह पर खड़े हो, एक ही तरफ देखे जा रहा है।”

बीच-बीच में कुछ कहता हुआ भी नजर आता है जैसे किसी से बातें कर रहा हो।

मुझे लगता है वो इशारे में कुछ कहता है। 

“ओहह..आप भी धोखा खा गई ना।”

ऐसा कुछ भी नहीं है….पहलेपहल सभी को ऐसा ही लगा था। 

पहलेपहल..मतलब…?

मैडम!..बहुत ही दुखद कहानी है बेचारे की। 

दरअसल वो एक ऐसी बिमारी से ग्रस्त है जिसको इरोटोमेनिया कहते हैं।

उनके परिवार वालों का कहना है कि किसी फिल्मी नायिका का इतना क्रश इनपर था कि वो बीमारी बन चुकी। 

“इसी चक्कर में पाँच वर्ष पहले अपनी आँखे गंवा दी और तबसे वो अंधे हैं…बस आँखे जो है कि बिना रौशनी के भी चमकती है उनकी।”

क्याऽऽऽ…..मैं तो डर ही गई थी। 

आप निश्चिंत रहिए….अब उनकी दुनिया में श्वेत-श्याम के अलावा कोई रंग नहीं। 

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