मिसाल-ए-मऊ

मऊ के डॉ.अहमद अंसारी की न्यूरो सर्जरी में है दुनियाभर में पहचान

मिसाल-ए-मऊ कार्यक्रम में आज मिलेंगे दुनिया के जाने माने न्यूरो सर्जन डॉ.अहमद अंसारी से…

डॉ.अहमद अंसारी ने कई ऐसे मरीजों का इलाज किया है, जिनकी ठीक होने की संभावना खत्म हो चुकी थी।

‘रिसेंट प्रोग्रेस इन द मैननेजमेंट सेरिब्रो मस्क्युलर’ डॉ.अहमद अंसारी की न्यूरो सर्जरी पर लिखी गई नई किताब है, जो न्यूरो सर्जरी की दुनिया में मील का पत्थर बन रही है।

हर मां-बाप का सपना होता है, उसके बेटे का नाम उससे बड़ा हो। यूं तो पूरा मऊ शकीना हॉस्पिटल मुंशीपुरा के चिकित्सक व आईएमए के पूर्व अध्यक्ष डॉ.बदरे आलम अंसारी को बखूबी जानता है। लेकिन क्या आपको पता है कि डॉ.बदरे आलम व श्रीमती याश्मीन परवीन के बेटे की पहचान दुनियाभर में है? नहीं, तो आज हम आपको मऊ जिले के एक ऐसे ही नगीने से मिलाएंगे जो बड़े ही खामोशी से अपने हुनर और मजबूत हौसलों से ना सिर्फ इंसानियत की सेवा कर रहें हैं, बल्कि उन युवाओं के लिए मिसाल भी कायम कर रहे हैं, जो हर कीमत पर पढ़ना और कुछ बनना चाहते हैं।
जापान से लेकर ताइवान और यूरोप से लेकर अमेरिका तक दुनिया का कोई ऐसा कोना नहीं जहां बदरे आलम के बेटे डॉ.अहमद अंसारी साहब की न्यूरो सर्जरी पर लिखी गई किताब नहीं पढ़ी जा रही हो।
फिलहाल डॉ. अहमद अंसारी अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के न्यूरो सर्जरी विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभा रहे हैं। साथ ही वो जापान के फुजिता हेल्थ यूनिवर्सिटी के न्यूरो सर्जरी विभाग में ऑनरी एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर भी सेवाएं दे रहे हैं।
इनका जन्म लीबिया में हुआ, वहीं से शुरुआती शिक्षा हासिल करने के बाद वो वापस अपने देश चले आए और बलिया से 12वीं की पढ़ाई के बाद आगे की पढ़ाई के लिए अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी चल गए और वहीं से उन्होंने MBBS और MS सर्जरी की डिग्री हासिल की। उसके बाद सवाई मान सिंह मेडिकल कॉलेज जयपुर से MCH किया। जो न्यूरो सर्जरी का सुपर स्पेशलिटी कोर्स होता है। उनकी शिक्षा का कारवां यहीं नहीं रुका। वह
सेरिब्रो मस्क्युलर की ट्रेनिंग लेने जापान पहुंच गए। आज उनकी पहचान न्यूरो और स्पाइन सर्जन के स्पेशलिस्ट के रूप में है। वह पढ़ाई पूरी करने के बाद देश के अलग-अलग हिस्सों में सेवाएं दे रहे हैं।
न्यूरो सर्जरी की दुनिया में डॉ.अहमद अंसारी का बड़ा नाम है। उन्होंने कई ऐसे मरीजों का इलाज किया है, जिनकी ठीक होने की संभावना खत्म हो चुकी थी।
अभी तक हमने आपको उनका परिचय दिया। अब उनसे सवाल और जवाब का सिलसिला शुरू करते हैं।


सवाल- (आनन्द कुमार, संपादक, अपना मऊ)- आपने मेडिकल का ही क्षेत्र क्यों चुना?
जवाब- (डॉ. अहमद अंसारी) -मेडिकल क्षेत्र में आने का मेरा एक ही मकसद था। इलाज के दौरान मरीजों के दर्द और डर दोनों को दूर करना। मैं ऑपरेशन से पहले होने वाले डर को खत्म कर देना चाहता हूं। और मुझे इसमें सफलता भी मिली है। मैंने कई मरीजों की सर्जरी उनको होश में रखकर किया है। जिसे ‘अवेक ब्रेन सर्जरी’ कहते हैं। ऐसा करने से मरीज को ऑपरेशन के दौरान होने वाले नुकसान का तुरंत पता चल जाता है। और उसे तुरंत ठीक किया जा सकता है।
दिमाग की नसों को दुरुस्त करने के कई तरीके हैं। जैसे नसों को दूरबीन विधी द्वारा उसमें क्लिप लगाकर या फिर नसों की क्वाइलिंग कर उसे ठीक किया जा सकता है। और इस तरह की सर्जरी मेरा स्पेशलाइजेशन है।

Anand Kumar, Editor in chief, Apnamau

सवाल-(आनन्द कुमार, संपादक, अपना मऊ)- आपकी सेरिब्रो मस्क्युलर पर लिखी गई किताब में खास क्या है? खासकर उन लोगों के लिए जो न्यूरो सर्जरी में अपना भविष्य बनाना चाहते हैं ?


जवाब-(डॉ.अहमद अंसारी)- मेरी किताब ‘रिसेंट प्रोग्रेस इन द मैननेजमेंट सेरिब्रो मस्क्युलर’ स्प्रिंगर पब्लिकेशन से प्रकाशित हुई है। जो दुनियाभर में मेडिकल साइंस के साइंटिफिक अथॉरिटी मटेरियल पब्लिश करती है। और इस किताब में मेरा सहयोग चीन, जापान और यूरोपीय देशों के कई टॉप मोस्ट न्यूरो सर्जन ने भी किया है।
साधारण भाषा में अगर सेरिब्रो मस्युेिलर डिजीज का मतलब समझें तो ब्रेन की कोशिकाएं और उनकी बीमारियों पर रिसेंट प्रोग्रेस मतलब उनके इलाज में किन-किन नई पद्धतियों को जोड़ा गया है। उस पर ये किताब लिखी गई है। यह किताब अमेजन पर उपलब्ध है। आप लिंक पर जाकर इस किताब को ले सकते हैं। किताब के लिए इस लिंक पर क्लिक करें- https://www.amazon.in/Recent-Progress-Management-Cerebrovascular-Diseases/dp/981163386X


सवाल-(आनन्द कुमार, संपादक, अपना मऊ)- जो न्यूरोसर्जरी से जुड़े छात्र हैं उनके लिए आप क्या संदेश देना चाहंगे?
जवाब-(डॉ.अहमद अंसारी)- सबसे पहले तो मैं ये कहना चाहूंगा कि अगर आपने एमसीएच किया है या न्यूरोसर्जरी में अपना भविष्य बनाना चाहते हैं, तो आपको देखना होगा कि न्यूरो सर्जरी में दुनिया में क्या कुछ नया हो रहा है। इस क्षेत्र के जो सबसे अच्छी संस्थाएं हैं. उनके पास जाइये, उनसे समझिए, उनके स्किल्स को देखिए कि वो कैसे काम करते हैं। सिर्फ एक ही जगह से ट्रेनिंग लेकर आप शांतिपूर्वक ना बैठें। और सबसे बड़ी बात यह होनी चाहिए कि जो आपका क्षेत्र है न्यूरो सर्जरी की या न्यूरोलॉजी की, उसको आप खुद क्या प्रोवाइड कर रहे हैं, क्या दे कर जा रहे हैं, इस पर जरूर काम करते रहें। ऐसा ना करें कि केवल पैसे के पीछे भागते रहें।


सवाल-(आनन्द कुमार, संपादक, अपना मऊ)- आप एक न्यूरो सर्जन के तौर पर सरकार से इस क्षेत्र में विकास के लिए किस तरह की मांग करना चाहेंगे?
जवाब-(डॉ.अहमद अंसारी)- न्यूरो सर्जरी में ‘स्टेटआफ द आर्ट’ होनी चाहिए। यह एक ऐसा क्षेत्र हो गया है, जिसमें अलग-अलग विभाग बंट गए हैं। ऐसे में जो जिस क्षेत्र में स्पेशलिस्ट है, वह नए छात्रों को ट्रेनिंग दे। चाहे वह सरकार के या कोर्स के माध्यम से हो। अगर इस क्षेत्र में सरकार कुछ कदम उठाये तो यह न्यूरोलॉजी के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होगा.


सवाल-(आनन्द कुमार, संपादक, अपना मऊ)- मऊ में न्यूरो सर्जरी का बहुत ज्यादा स्कोप नहीं है। यहां न्यूरोसर्जन या न्यूरोलॉजिस्ट नहीं हैं। ऐसे में आप यहां के लिए क्या पहल करना चाहेंगे?
जवाब-(डॉ.अहमद अंसारी)– जी आपकी बात सही है। मऊ में न्यूरोलॉजी के क्षेत्र में डॉक्टर्स या अस्पतालों की जरूरत है। इसलिए मैं कोशिश करता हूं कि जैसे भी हो मऊ के लोगों की मदद कर संकू। अगर मैं खुद वहां कभी रहता हूं तो वहां के लोग आसानी से मिल सकते हैं। या अलीगढ़ जहां मैं हूं, वहां भी आकर हमसे इलाज करा सकते हैं। मैं उनकी पूरी मदद करुंगा। इतना ही नहीं मैं जल्द ही कोशिश करुंगा कि टेली मेडिसिन द्वारा अपने सेंटर से मरीजों का इलाज कर सकूं।

सवाल-(आनन्द कुमार, संपादक, अपना मऊ)- मऊ में मुस्लिम समुदाय के ज्यादातर लोग पिछड़े और अशिक्षित हैं। उनके लिए क्या आप संदेश देना चाहेंगे?
जवाब-(डॉ.अहमद अंसारी)- गरीबी की वजह से शिक्षा में कभी रुकावट नहीं होनी चाहिए। ऐसे लोगों को हर संभव मदद मिलनी चाहिए। मऊ में ज्यादातर लोग मदरसे से जुड़े हैं। मैं चाहूंगा कि मदरसे में शिक्षा हासिल करने के साथ-साथ लोग एडवांस पढ़ाई पर भी फोकस करें। ऐसे लोगों को उन लोगों का सपोर्ट मिलना चाहिए जो अपने क्षेत्र में अच्छा कर चुके हैं या कर रहे हैं। सक्षम-समर्थ लोगों को स्कूलों में, कॉलेज में या फिर दूसरे माध्यमों से जरूरतमंदों को मदद करना चाहिए।

सवाल-(आनन्द कुमार, संपादक, अपना मऊ)- हम उन लोगों के बारे में जानना चाहेंगे जिन्होंने आपकी सोच को नया आयाम दिया?
जवाब- (डॉ.अहमद अंसारी)- मैं आपको जापान में ट्रेनिंग के दौरान मेरे प्रोफेसर सैनो के बारे में बताना चाहूंगा, जिन्होंने मुझे सर्जरी की दुनिया की समझ और काम के प्रति लगन के बारे में सिखाया।
जिनका नाम दिमाग के एनोर्म सर्जरी के लिए दो बार गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड मंष दर्ज है और मैक्सिमम नंबर सर्जरी करने का रिकॉर्ड भी उनको हासिल है। वो हमें बताते थे कि एक्सरे सीटी स्कैन की जो रिपोर्ट होती है। वो केवल 40 प्रतिशत चीजें ही बताती हैं और जो 60 प्रतिशत चीजें होती हैं वो सर्जन को अपने अनुभव और से दिमाग से सोचना होता है। आज वो 75 साल की उम्र में भी ऑपरेशन करते हैं और सर्जरी से पहले ऑपरेशन का खुद अपनी हाथों से डाइग्राम बनाते हैं कि कैसे वो ऑपरेशन को अंजाम देंगे। जब उस लेवल का आदमी इतना कुछ करता है तो हमें तो जिंदगी में उंचाई पर उठने के लिए जमीन से जुड़ कर रहना चाहिए। जितना आप जमीन से जुड़ेंगे, उतना ही आप ऊपर जाएंगे।


सवाल-(आनन्द कुमार, संपादक, अपना मऊ)- अपना मऊ पोर्टल के ‘मिसाल-ए-मऊ’ अभियान के लिए आप क्या कहना चाहेंगे?
जवाब-(डॉ.अहमद अंसारी)- अपना मऊ पोर्टल और आनंद कुमार को मैं इस बेहतरीन काम के लिए बधाई और शुभकामनाएं देता हूं। आप मिसाल-ए-मऊ अभियान के तहत सराहनीय काम कर रहे हैं। जिन लोगों ने अपने क्षेत्र में अच्छा काम किया है, ऐसे लोगों की पहचान कर उनके अनुभवों से लोगों को प्रेरित एक बेहतरीन पहल है। एक छोटी सी सीख किसी की भी पूर जिंदगी बदल सकती है।

“मिसाल-ए-मऊ” का कालम के लिए आपके नजर में कोई मऊ का लाल या मऊ की बेटी की उपल्ब्धि है तो हमें लिख भेजिए या उस शख्सियत का मोबाइल नं. दिजीए, हम ऐसे मऊ के होनहारों को एक मोती में पिरोकर आने वाले कल के लिए एक संदेश देना चाहते हैं कि मऊ की माटी को अपने अपनो पर गुमान है।

आनन्द कुमार

मो.नं. 9451831331 email–[email protected]

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