उत्तर प्रदेश

पत्नी के खाते में ₹40 लाख भेजने का मामला, सीएमओ की पेंशन पर चल सकती है तलवार

@ प्रदीप सिंह…

0 लखनऊ उत्तर प्रदेश शासन की वित्तीय प्रकोष्ठ की टीम सीएमओ और उनकी पत्नी के खातों की कर रही बारीकी से जांच
0 जिलाधिकारी के निर्देश पर मुख्य विकास अधिकारी भी सीधे तौर पर कर चुके हैं सीएमओ की जांच, शासन को भेजी रिपोर्ट
0 मऊ की नौकरी में ही सीएमओ 30 जुलाई 2022 को होंगे रिटायर्ड
0 सीएमओ के परिवार से जुड़े अन्य खातों की भी हो सकती है जांच
0 जांच की जद में उनकी मोबाइलों को भी शामिल किया जा सकता है

मऊ। मुख्य चिकित्सा अधिकारी की पत्नी के खाते में तकरीबन 40 लाख रुपए रकम भेजने के मामले की शिकायत की जांच का मामला अब तूल पकड़ने लगा है। पहले ही मऊ के जिलाधिकारी अरुण कुमार ने मुख्य विकास अधिकारी श्री राम वर्मा से पूरे प्रकरण की जांच कराया, तदोपरांत रिपोर्ट उत्तर प्रदेश शासन को भेज दिया गया। जिलाधिकारी की निष्पक्ष कार्रवाई और जांच को लेकर शासन भी सतर्क हो उठा। लिहाजा उत्तर प्रदेश शासन के वित्त प्रकोष्ठ की टीम ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी एवं उनकी पत्नी और अन्य खातों से जुड़े दस्तावेजों को खंगालना शुरू कर दिया है। ऐसे में अहम मसला यह है कि यदि मामले का त्वरित पटाक्षेप हुआ तो मुख्य विकास अधिकारी का रिटायरमेंट खटाई में पड़ सकता है। उन्हें एक लंबी चपत लग सकती है। संभावना जताई जा रही है कि 30 जुलाई 2022 को उनका रिटायरमेंट होना है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय अब एक बार फिर सीएमओ की पत्नी के खाते में धन भेजने का मामला सामने आया है। जैसा कि मामले में दस्तावेज के वायरल होते ही जिलाधिकारी अरुण कुमार ने प्राथमिक जांच मुख्य विकास अधिकारी श्री राम वर्मा को सौंप दिया था । मुख्य विकास अधिकारी की टीम ने एक विस्तृत जांच करके रिपोर्ट जिलाधिकारी को दिया था। तदोपरांत ज़िलाधिकारी कार्यालय की ओर से रिपोर्ट को उत्तर प्रदेश शासन को अग्रसारित कर दिया गया। उत्तर प्रदेश शासन को मऊ से पत्र मिलते ही करवाई और तेज हो गई है।
विभागीय सूत्रों के मुताबिक उत्तर प्रदेश शासन की जांच टीम मुख्य चिकित्सा अधिकारी से कई घंटों वार्ता किया । कुछ दस्तावेज भी लिए इतना ही नहीं सगे संबंधियों का भी टीम को विवरण लिया।
गौरतलब है कि अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य के यहां से आई जांच टीम ने गोपनीय रिपोर्ट तैयार की है। पूरे प्रकरण में मुख्य चिकित्सा अधिकारी ही मुख्य रूप से घेराबंदी के स्रोत एवं जांच के बिंदु केंद्र में हैं , इनके ही इर्द-गिर्द जांच चल रही है, क्योंकि मसला खाते में पैसे भेजने का है, तो पैसा किस – किस खाते में कहां-कहां से आया है, क्यों आया है, किस फर्म से आया है , इन सब की विस्तृत जांच हो रही है । फर्म के खातों से मुख्य चिकित्सा अधिकारी की पत्नी के खाते में या फिर अन्य खातों में कैसे और क्यों पैसे गए। पैसों का स्वरूप क्या है, किस मद में आया है। फिलहाल यह सब बिंदु जांच के जद में हैं वैसे यदि निष्पक्ष जांच हुई तो मुख्य चिकित्सा अधिकारी का पेंशन भी खटाई में पड़ सकता है।
फिलवक्त जांच होने तक कुछ भी नहीं कहा जा सकता, जांच किस करवट बैठेगा, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।
उधर आरोप-प्रत्यारोप के पीछे मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय में ही तैनात कनिष्ठ लिपिक विजयालक्ष्मी की मौत के बाद 36. 67 लाख रुपए बिल पास करने का विवाद मुख्य कारण माना जा रहा है।
मामले में पूछे जाने पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर एसएन दुबे का कहना है कि उन्हें बेवजह फंसाया जा रहा है। उनके ऊपर लगाए गए आरोप बेबुनियाद हैं। डॉक्टर दुबे का कहना है कि कुछ लोग उन्हें जानबूझकर फंसाने की साजिश कर रहे हैं लेकिन जांच के बाद दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा।

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