इ भाजपा होली बितले के बाद भी, खुमारी सबकर चढ़इले बा!
मेरी कलम से…
आनन्द कुमार
ठाकुर बैठी, बनिया बैठी या बैठी बाभन,
या अम्बेडकर क पूरा करेके सपना,
आयी भाजपा क दलित आपन!
कोइरी, राजभर के राज मिली का,
या नारी क सम्मान होई,
संगठन पर्व के नाम पर ना जाने
केतनन क दिल धक-धक सौ बार होइ!
गोपनीय क खेल बनाके,
धुकधुकी सबकर बढ़इले बा!
इ भाजपा होली बितले के बाद भी,
खुमारी सबकर चढ़इले बा…