अपना जिला

मुकदमा दाखिल होने के एक साल के अन्दर न्यायालय का फैसला

मऊ। शहरों में किरायेदारी मामलों में वृद्धि व उसके निस्तारण में हो रहे विलम्ब को देखते हुए प्रदेश सरकार ने उतर प्रदेश नगरीय परिसर किरायेदारी विनियमन अधिनियम 2021 पारित किया है। जिसमें उक्त मामलों से क्षेत्राधिकार सिविल कोर्ट से हटाकर जिलाधिकारी में पावर निहित कर दिया गया है। जिलाधिकारी ने किरायेदारी प्राधिकारी के रुप में अपर जिलाधिकारी सत्य प्रिय सिंह को किरायेदारी मामलों के लिए नियुक्त कर दिया है।
अपर जिलाधिकारी सत्यप्रिय सिंह ने किरायेदारी मामले में लगभग एक साल के अन्दर मकान/ दुकान मालिक के पक्ष में फैसला सुनाया। अदालत ने विपक्षी ऊषा देवी को निर्णय के एक माह अन्दर ब्राह्मण टोला सब्जी मण्डी स्थित मकान नं32/1 को खाली करके वादी मकान मालिक को कब्जा देने तथा बकाया का भुगतान करने का निर्णय सुनाया अन्यथा नये किरायेदारी कानून के तहत कार्रवाई अमल में लाने की चेतावनी आदेश में दी है। मामले के अनुसार माण्डवी उपाध्याय पत्नी मनोज कुमार उपाध्याय निवासी ब्राह्मण टोला सब्जी मंडी मऊ ने विपक्षी किरायेदार उषा देवी पत्नी जगदीश गुप्ता निवासी ब्राह्मण टोला के विरुद्ध वादी के अधिवक्ता दया शंकर मिश्र ने नये किरायेदारी कानून के तहत एडीएम की अदालत में दिनांक 6 अप्रैल 2024 को दावा प्रस्तुत किया था।


इस दावे में वादी द्वारा यह उल्लेख किया गया है कि वह ब्राह्मण टोला सब्जी मंडी स्थित म नं 32/1 को उसके मालिक आशुतोष मिश्रा से 2017 में रजिस्टर्ड बैनामा से खरीदा है। उक्त मकान काफी जर्जर है। नगर पालिका द्वारा उसे गिराने का आदेश है। विपक्षी उसमें किरायेदार के तौर पर काबिज है जबकि उसे काशी राम आवास में फ्लैट एलाट है वह मकान खाली नहीं कर रही है तथा मुकदमे बाजी की धमकी दे रही है। जबकि विपक्षी ने पूर्व मकान मालिक और न वादी वर्तमान स्वामी से किसी प्रकार का किरायदारी एग्रीमेंट ही कराया है तथा उसने किराया भी भुगतान नहीं किया है । वादीनी ने अपने परिवार को बड़ा बताते हुए अलग उक्त मकान को तोड़कर मकान बनवाने की आवश्यकता बता कर मकान खाली कराने का काफी प्रयास किया किन्तु विपक्षी खाली नहीं कर रही है। न्यायालय ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के पश्चात नये किराएदारी विनियमन अधिनियम के तहत जनपद का तीसरा फैसला सुनाया।किरायेदारी व सिविल मामलों के अधिवक्ता दया शंकर मिश्र ने बताया कि नये कानून से मकान मालिकों को काफी राहत मिलेगी तथा इसकी धारा 4 किरायेदारों के लिए गले की फांस साबित हो रही है। उन्होंने बताया कि सिविल कोर्ट में पुराने कानून की जटिलता से काफी समय लग जाता था तथा वादकारियों को जल्दी न्याय नहीं मिल पाता था। अब नये किरायेदारी कानून धारा 4 में बिना लिखित एग्रीमेंट के किरायेदार नहीं रख सकते। कानून में किरायेदारी का एग्रीमेंट आवश्यक कर दिया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *