ऑनलाइन थोड़ा हंस लो कार्यक्रम में कवि और कलाकारों ने हास्य-व्यंग्य से खूब हंसाया
■ हास्य वीडियो की प्रस्तुति पर जमकर लगे ठहाके
इंदौर। थोड़ा हँस लो व्हाट्सएप समूह के तत्वाधान में दिनांक 27 मई 2021 गुरुवार को प्रदेश के विभिन्न कलाकारों/कवियों द्वारा ऑनलाइन अपनी प्रस्तुति दे कर समूह से जुड़े सभी सदस्यों को खूब हंसाया, गुदगुदाया। इस कोरोना के समय में कलाकारों/कवियों द्वारा दी गयी हंसी ने प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाया। सतत दो घण्टे चले इस कार्यक्रम को देख कर सभी मुस्कुराते रहे। संस्थापक सुनील उपमन्यु ने कहा कि यह लाफ्टर थेरैपी निसंदेह कारगर सिध्द होती है। इस कार्यक्रम में जयश्री तिवारी ने माँ शारदा की वंदना की व गणेश वंदना- म्हारा कीर्तन में रस बरसाओ आओ/गजानन्द आओ…! से कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। इस मधुर आवाज की सभी ने प्रशंसा की।
भानुप्रताप सिंग गौर शिक्षक ने छात्र और शिक्षक के बीच होते रहने वाले संवाद को अपने अंदाज में प्रस्तुत कर गुद्गुदाया।
श्रीमती माया जैन ने स्वयं किरदार को अभिनीत करते हुए शानदार मिमिक्री की।
जितेंन्द्र शिवहरे इंदौर की इन पंक्तियों ने हास्य बिखेरा- दो नेताओ के बीच लड़ाई हो गयी/दोनों ने एक दूजे पर कीचड़ उछाला/इसी बहाने नाले की सफ़ाई हो गयी।
डॉ. रमाकांत निगम कार्टूनिष्ट, कवि, वकील है। आपकी रचना- भाग कोरोना हा हा कार/मचाया, कमर तो बेटा कस ले/सरकारी अस्पताल तो यमराजो का अड्डा/आओ थोड़ा हँस ले।
बालकृष्ण साहू जी वरिष्ठ गीतकार है। आपकी रचना-हर तरफ है बिल्लियां ही बिल्लियां। इस रचना ने चेहरे पर मुस्कुराहट ला दी।
तारकेश्वर चौरे जी ने चुटकुलों के माध्यम से खूब हंसाया।
सुनील उपमन्यु की हास्य रचना ‘औ साथी रे तेरे बिना भी क्या पीना’ पप्पू से मांगी, सप्पू से मांगी पर किसी ने ना दी ना..! हंसने को मजबूर कर दिया।
निर्मल मंगवानी पत्रकार/साहित्यकार ने भी अपनी वाकपटुता से हास्य की बात सुना सभी को मस्त कर दिया।
गोकुल जाटव जी की रचना-‘गर खेतो में किसानों का पसीना न होता…। रचना शानदार रही।
संजय जैन बेज़ार इंदौर की रचना- हम तो कभी गए नही कालेज बेटा/फिर भी तुमसे ज्यादा है नालेज बेटा..!आनन्दित कर गयी।
शरद जायसवाल कटनी हास्य कवि है उनकी रचना-पलंग दिवार से सटाते पत्नी से हमने कहा इसे दिवार से मत जोड़ो/परिक्रमा के लिए कुछ तो छोडो/ इस रचना ने खूब हंसाया।
दीपक चाकरे कवि है उन्होंने लोकभाषा में वाकिया सुना कर सभी के दिलों मुस्कुराहट पैदा कर दी।
अनिल कुमार मिश्र की रचना-निकले जो लाकड़ाउन में तोड़े गए है लोग/ ले जा कर अस्पताल में फिर जोड़े गए है लोग/हास्य बिखेरा इस रचना ने।
जीवनलता शर्मा ने लोकभाषा में रचना सुनायी ।उनकी रचना- म्हारी तो छे आपड़ी की/ थापड़ी, न म्हारी जुबलई छे लाबड़ी। आनन्दित कर गयी जीवन जी की यह बात।
अनीता पिल्लई ने भी- अपने अंदाज में थोड़ा हँस लो पर प्रतिभाग किया।
संचालन-उपमन्यु ने किया। आभार दीपक चाकरे ने माना।
यह जानकारी जितेन्द्र शिवहरे ने दी।
प्रेषक-
जितेन्द्र शिवहरे
177, इंदिरा एकता नगर पूर्व रिंग रोड चौराहा मुसाखेड़ी इंदौर मध्यप्रदेश मोबाइल नम्बर
8770870151
[email protected]