चर्चा में

यह_भारतीय_लोकतंत्र_की_लाश_है_या_सिस्टम_की ?

(अरविंद सिंह)
आजमगढ़। यह भारतीय लोकतंत्र की लाश है या फिर सड़ चुके उसके सिस्टम की। यह अमीर और डिजिटल होते देश में क़तार के आखिरी हिस्से की लाश है,या फिर पाषाण हो चुकी मानवीय संवेदना की। यह हमारी पंचायतीराज व्यवस्था की लाश है या फिर आधी आबादी और स्त्री विमर्श की शोर मचाती आवाजों की। या हमारे राजनेताओं एवं व्यवस्थापिका के वायदों और दावों की लाश है। या फिर आजादी के सत्तर बरस बाद छत के नाम पर एक टूटी झोपड पट्टी और ठंड से बचाव के नाम पर नीले आकाश तले चिथडे़ में लिपटी भारत के विकास की लाश है?
आखिर यह किसकी लाश है, जिसके पीछे एक 6 साल का अबोध,अपनी गोद में एक डेढ़ साल के दूधमुँहे मासूम को लिए अपलक, खाट पर चिरनिद्रा में सोई अपनी माँ के उठने के इंतजार में बैठा है। जिसे इस बात का भी बोध नहीं कि आज उसकी माँ इतनी देर तक क्यों सोई है और मौत क्या होती है।
दरअसल ग्रामीण भारत में गरीबी की रेखा खिचनें वालों ने देश में अमीरी की रेखा नहीं खींची।मृतका सोमारी और उसके दो मासूम बच्चे यही उसकी दुनिया थी और टूटी झोपडी और एक अदद चारपाई पर लिपटे चिथडे़ उसकी संपत्ति। मेहनत मजदूरी पूँजी थी और रामभरोसे जीवन।सरकार की योजनाएं उसके लिए नहीं बनी थीं। सो हांडकपाती ठंड ने उसकी जीवन को लील लिया। लेकिन प्रशासन का कंबल वितरण और अलाव जलाने का कार्यक्रम सप्ताह भर से चल रहा है.. कागजों पर या जमीन पर, उसका सच सामने है।बोलो रामराज्य की जय!
#संदर्भ: आजमगढ़ जनपद घटना स्थल- महराजगंज,आजमगढ के सांसद मुलायम सिंह यादव,मुख्यमंत्री की एक दिन पूर्व जनपद कार्यक्रम संपन्न।

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