मन्ना सिंह हत्याकांड : सदर विधायक मोख्तार सहित आठ हुए बाइज्जत बरी, तीन को आजीवन कारावास
मऊ। जनपद का चर्चित ठेकेदार अजय प्रकाश सिंह उर्फ मन्ना सिंह हत्याकांड में अदालत में चली लम्बी बहस के बाद, आठ साल बाद फैसला बुधवार को अपर सत्र न्यायाधीश की अदालत में सुनाया गया। मामले में जहां मऊ सदर के बसपा विधायक मोख्तार अंसारी सहित आठ अन्य बा-इज्जत बरी हो गए। जबकि तीन को आजीवन कारावास सहित अर्थ दण्ड की सजा सुनायी गयी है। प्रदेश के कई शहरों के लोगों की इस फैसले पर नजर टिकी हुयी थी। फैसले के समय मोख्तार अंसारी के समर्थकों व मन्ना सिंह के शुभ चिन्तकों का काफी हुजूम मऊ न्यायालय परिसर व आस-पास मौजूद रहा। सदर विधायक के हत्याकांड में बरी होने की जानकारी मिलते ही समर्थक खुशी से झूम उठे तो वही विरोधी काफी मायूस रहे। हत्याकांड की सुनवाई करते हुए अपर सत्र न्यायाधीश आदिल आफताब अहमद ने मामले में तीन आरोपी अमरेश कन्नौजिया, जामवंत उर्फ राजू व अरविंद यादव को दोषी करार दिया, जबकि शेष अन्य 8 आरोपियों संदेह का लाभ मिलने पर दोषमुक्त कर दिया। वहीं तीनों दोषी आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा के साथ ही 96-96 हजार रूपये का अर्थदंड भी लगाया। बताते चलें कि आठ वर्ष पूर्व नगर के शहर कोतवाली क्षेत्र के गाजीपुर तिराहे के पास स्थित यूनियन बैंक के सामने 29 अगस्त 2009 को ठेकेदार अजय प्रकाश सिंह उर्फ मन्ना सिंह की गोली मारकर दिन दहाड़े हत्या कर दी गई, वे अपनी सफारी गाड़ी में बैठकर कही जा रहे थे। हुयी गोली-बारी में उनका चालक शब्बीर और साथी राजेश राय भी घायल हो गए थे। बाद में इलाज के दौरान राजेश राय की भी मौत हो गई थी। घटना के बाबत मन्ना सिंह के भाई हरेंद्र सिंह की तहरीर पर शहर कोतवाली में पुलिस ने अज्ञात हत्यारोपियों के विरुद्घ रिपोर्ट दर्ज किया गया। पुलिस ने विवेचना के दौरान सदर विधायक मोख्तार अंसारी सहित उमेश सिंह, रजनीश सिंह, संतोष सिंह, राकेश कुुमार पांडेय उर्फ हनुमान पाण्डेय, अमरेश कन्नौजिया, अनुज कन्नौजिया, राजू उर्फ जामवंत कन्नौजिया, विनय सिंह, उपेंद्र सिंह, अरविंद यादव और कमलेश यादव का नाम प्रकाश में लाते हुए आरोप पत्र कोर्ट में दाखिल किया था। जिसमें एक आरोपी कमलेश यादव की पुलिस मुठभेड़ में मौत हो गई थी। जिसके बाद न्यायालय में 11 आरोपियों का विचारण शुरु हुआ। अभियोजन पक्ष की तरफ से कुल 16 गवाह वादी हरेंद्र सिंह, अमरजीत सिंह, शब्बीर शाह, मंजू सिंह, पियूष सिंह, जगदीश सिंह, सिपाही हिरामन, कोतवाल जेपी तिवारी, कोतवाल वाईपी सिंह, डा. एसपी गुप्ता, डा. गिरीशचंद शर्मा, एसआई गौरीशंकर सिंह, चंद्रशेखर सिंह, डा. एस कुमार, रामबाबू तिवारी और रामदुलारे को पेश किया गया। वही बचाव पक्ष से चार गवाह मंगरु सिंह, शिवकुमार शर्मा, आनंद कुशवाहा, डा. सतीश कुमार को पेश किया गया। कोर्ट साक्षी के रूप में डिप्टी जेलर विजय कुमार का भी बयान दर्ज हुआ। पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों के अवलोकन करने व वह दोनों पक्षों के तर्कों को सुनने के बाद के एडीजे ने मामले के 8 आरोपियों सदर विधायक मुख्तार अंसारी, हनुमान पांडेय, पंकज, रामू मल्लाह, उपेंद्र सिंह, संतोष सिंह, उमेश सिंह, रजनीश सिंह व अनुज कन्नौजिया को संदेह का लाभ देते हुए दोषमुक्त करार दिया। वही तीन आरोपियों अमरेश कन्नौजिया, राजू उर्फ जामवंत व अरविंद यादव के विरुद्ध पर्याप्त साक्ष्य मिलने पर उन्हें दोषी करार दिया। सजा के बिंदु पर सुनवाई के बाद एडीजे ने तीनों आरोपियों को भादवि की धारा 147 में 1 वर्ष का कारावास व 2000 रुपए अर्थदंड, अर्थदंड न अदा करने पर 1 माह का अतिरिक्त कारावास, धारा 148 में 2 वर्ष का कारावास व 4 हजार रुपए अर्थदंड, अर्थदंड न अदा करने पर 2 माह का अतिरिक्त कारावास, धारा 307 में 10 वर्ष व 30 हजार रुपए अर्थदंड, अर्थदंड न अदा करने पर 6 माह का अतिरिक्त कारावास तथा धारा 302 में आजीवन कार्रवास व 60 हजार रुपये अर्थदंड की सजा से दंडित करने का निर्णय खुले न्यायालय में सुनाया। एडीजे ने अपने आदेश में कहा कि यदि तीनो दोषियों द्वारा सजा के विरुद्ध उच्च न्यायालय में अपील किया गया तो अपील की समाप्ति के बाद और यदि अपील नही किया गया तो धारा 307 के अर्थदंड 30 हजार यानि कुल 90 हजार में से 80% राजेश राय के परिवार को तथा धारा 302 के अर्थदंड 60 हजार यानि कुल 1 लाख 80 हजार में से 80% मन्ना सिंह के परिवार को देने का आदेश दिया। फैसले के समय पुलिस ने कचहरी परिसर और आसपास सुरक्षा का व्यापक बंदोबस्त किया था। अपर पुलिस अधीक्षक शिवाजी शुक्ला ने स्वयं कचहरी पहुंचकर सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया। सुरक्षा के मद्देनजर कचहरी परिसर में सीओ नगर राजकुमार , सीओ मधुबन, शहर कोतवाल एससी मिश्रा, एस ओ सरायलखंसी सहित काफी संख्या में पुलिसकर्मी व खुफिया विभाग के अलावा महिला पुलिसकर्मी भी तैनात रही। सुरक्षा की दृष्टि से दीवानी गेट के मुख्य द्वार पर मेटल डिटेक्टर तथा सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए थे। परिसर में आने वाले हर व्यक्ति की जांच की गई।