मकर संक्रांति हिंदुओं का विशेष पर्व, इसी दिन से होती है अच्छे दिनों की शुरुआत : सुरजीत
रतनपुरा/मऊ। स्थानीय सरस्वती शिशु मंदिर के परिसर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तत्वावधान में मकर संक्रांति का पर्व हर्षोल्लास पूर्ण वातावरण में मनाया गया। इस अवसर पर सहभोज का कार्यक्रम भी आयोजित किया गया। जिसमें संघ परिवार से जुड़े कार्यकर्ताओं ने खिचड़ी का आनंद उठाया! इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विभाग प्रचारक सुरजीत जी ने संघ परिवार के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि हिंदू धर्म ने माह को दो भागों में बाँटा है, कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष। इसी तरह वर्ष को भी दो भागों में बाँट रखा है। पहला उत्तरायण और दूसरा दक्षिणायन। उक्त दो अयन को मिलाकर एक वर्ष होता है। मकर संक्रांति के दिन सूर्य पृथ्वी की परिक्रमा करने की दिशा बदलते हुए थोड़ा उत्तर की ओर ढलता जाता है, इसलिए इस काल को उत्तरायण कहते हैं।
सूर्य पर आधारित हिंदू धर्म में मकर संक्रांति का बहुत महत्व माना गया है। वेद और पुराणों में भी इस दिन का विशेष उल्लेख मिलता है। होली, दीपावली, दुर्गोत्सव, शिवरात्रि और अन्य कई त्योहार जहाँ विशेष कथा पर आधारित हैं, वहीं मकर संक्रांति खगोलीय घटना है, जिससे जड़ और चेतन की दशा और दिशा तय होती है। मकर संक्रांति का महत्व हिंदू धर्मावलंबियों के लिए वैसा ही है जैसे वृक्षों में पीपल, हाथियों में ऐरावत और पहाड़ों में हिमालय। श्री सुरजीत जी ने आगे कहा कि सूर्य के धनु से मकर राशि में प्रवेश को उत्तरायण माना जाता है। इस राशि परिवर्तन के समय को ही मकर संक्रांति कहते हैं। यही एकमात्र पर्व है जिसे समूचे भारत में मनाया जाता है, चाहे इसका नाम प्रत्येक प्रांत में अलग-अलग हो और इसे मनाने के तरीके भी भिन्न हों, किंतु यह बहुत ही महत्व का पर्व है।
इसी दिन से हमारी धरती एक नए वर्ष में और सूर्य एक नई गति में प्रवेश करता है। वैसे वैज्ञानिक कहते हैं कि 21 मार्च को धरती सूर्य का एक चक्कर पूर्ण कर लेती है तो इस मान ने नववर्ष तभी मनाया जाना चाहिए। इसी 21 मार्च के आसपास ही विक्रम संवत का नववर्ष शुरू होता है ,और गुड़ी पड़वा मनाया जाता है, किंतु मकर संक्रन्ति ऐसा दिन है, जिस दिन धरती पर अच्छे दिन की शुरुआत होती है। ऐसा इसलिए कि सूर्य दक्षिण के बजाय अब उत्तर को गमन करने लग जाता है। जब तक सूर्य पूर्व से दक्षिण की ओर गमन करता है ,तब तक उसकी किरणों का असर खराब माना गया है, लेकिन जब वह पूर्व से उत्तर की ओर गमन करते लगता है तब उसकी किरणें सेहत और शांति को बढ़ाती हैं। उन्होंने आगे कहा कि मकर संक्रांति का पर्व हमें भाईचारा का संदेश भी देती है इसलिए हम सभी लोग मिलकर के इसे मनाते हैं ताकि लोगों में परस्पर प्रेम स्नेह आना-जाना लेनदेन की संस्कृति पले और बढे, तभी मकर संक्रांति का महत्व फलीभूत होगा! इस कार्यक्रम में जिला संघचालक राज नारायण सिंह सरस्वती शिशु मंदिर के प्रधानाचार्य आनंद कुमार तिवारी, ठाकुर परमात्मा सिंह, पंडित अरविंद कुमार शर्मा गिरधर भगवान दास गुप्त,प्रेम गोन्ड, राम अभिलाष गोस्वामी, राजेश पांडे, हरिनिवास पांडे, डॉ सर्वदेव सिंह ,डॉ अभिमन्यु सिंह, त्रिवेणी प्रसाद सर्राफ, फतेह बहादुर गुप्त, उमाशंकर गुप्ता, राजेश कुमार सिंह, परशुराम सिंह इत्यादि प्रमुख थे।