दलहन पर केन्द्र सरकार 50 प्रतिशत आयात शुल्क लगाएः अतुल अनजान
नई दिल्ली, 30 दिसंबर 2017। देश में कई राज्यों में विशेषकर मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और छत्तीसगढ़ के किसान व्यापारियों, आढ़तियों और वायदा कारोबारियों को धान 1000 रूपए प्रति क्विंटल बेचने पर मजबूर हैं। केन्द्र और राज्य सरकारों द्वारा यह प्रचारित किया गया कि न्यूनतम समर्थन मूल्य 1560 रुपए
पर पूरा धान किसानों से खरीदा जायेगा। लेकिन सच्चाई यह है कि केन्द्र और राज्य सरकारों द्वारा पर्याप्त धन उपलब्ध न कराये जाने के कारण सरकारी खरीद केन्द्र नहीं खोले जा सके। जहां-तहां अगर केन्द्र खोले भी गये तो सरकारी भ्रष्टाचार के कारण किसानों के स्थान पर व्यापारियों से धान खरीद कर कोटा पूरा किया जा रहा है।
उक्त विचार इन राज्यों में विस्तृत अध्ययन करने के बाद अखिल भारतीय किसान सभा के महामंत्री एवं स्वामीनाथन कमीशन के पूर्व सदस्य अतुल कुमार अनजान ने व्यक्त की। सबसे बुरी स्थिति उत्तर प्रदेश और मध्य
प्रदेश राज्य की है। किसान सभा महामंत्री ने आगे कहा कि पिछले ही साल दालों के दाम 200 रुपए से अधिक प्रतिकिलो तक लोगों को खरीदने पर मजबूर होना पड़ा। किसानों ने सरकारी घोषणाओं को ध्यान में रखते हुए दलहन की खेती को प्राथमिकता दी और अब वायदा कारोबारियों ने दलहन उत्पादक किसानों के खिलाफ केन्द्र एवं राज्य के सरकारी अधिकारियों से मिलकर दलहन के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर भी खरीदारी को रोक रखा है। मजबूर किसान मध्य प्रदेश सहित अन्य राज्यों में 3000 रुपए क्विंटल के हिसाब से अरहर की दाल बेचने पर मजबूर हैं। कर्नाटक, मध्य प्रदेश राजस्थान के दलहन उत्पादक किसान आंदोलन की राह पर हैं।
अतुल कुमार अनजान ने आगे कहा कि वायदा कारोबारी विदेशों से दाल आयात कर किसानों के दलहन का दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य से भी गिराकर एक नये प्रकार की लूट की साजिश में सफल होते हुए दिख रहे हैं। उन्होंने केन्द्र सरकार से मांग की कि दलहन पर 50 प्रतिशत आयात शुल्क लगाने की घोषणा की जाए और हाल-फिलहाल दहलन के आयात पर रोक लगाई जाए तभी देश के दलहन उत्पादक किसानों को बेहतर दाम मिल सकेगा।