जीवन में दुःख-सुख, मान-अपमान , लाभ-हानि , जीवन-मरण , जय-पराजय , सर्दी-गर्मी हर स्थिति में सहज रहना ही योग है: बृजमोहन
मऊ। “योगस्थ कुरु कर्माणि ,संगत्यक्त्वा धनञ्जय, सिद्धि असिद्धि समोभूत्वा समत्वं योगं उच्यते शुक्रवार को इस मन्त्र के साथ पुलिस लाइन के परेड ग्राउंड में चलने वाले साप्ताहिक योग शिविर का प्रारम्भ युवा भारत के जिला प्रभारी एवम् योग प्रशिक्षक बृज मोहन ने किया । उन्होंने बताया कि जीवन में दुःख -सुख, मान -अपमान , लाभ – हानि , जीवन – मरण , जय -पराजय , सर्दी – गर्मी हर स्थिति में सहज रहना ही योग है । क्यों कि इन स्थितयों पर मनुष्य का कोई नियंत्रण नहीं है , मनुष्य को केवल कर्म करने का नियंत्रण है । वह चाहे तो कर्म करे या ना करे , इन दो विकल्पों के अलावा मनुष्य के पास कोई अधिकार नहीं है , इस लिए अपने कर्म को ही कर्म फल मानकर कुशलता पूर्वक करें , वही योग है । मन को संतुलित करने के लिए शरीर को साधने की आवश्यकता है , और शरीर को साधने के लिए मन की । दोनों एक दूसरे के पूरक हैं । योग अभ्यास के क्रम में योगिक जॉगिंग , सूर्य नमस्कार , प्राणायाम के क्रम में भ्रस्तिका , कपाल भांति , वाह्य , उज्जायी प्राणायाम का अभ्यास कराया गया । मधुमेह , अपच , हाइपर एसिडिटी , मोटापा , सर्वाइकल पेंशन आदि को केंद्र में रखते हुवे सूक्ष्म व्यायाम , मंडूक आसन , शशक आसन , वक्र आसन , गौमुख आसन , पश्चिमोत्तान आसन , चक्की आसन का अभ्यास कराया गया , तथा दिनचर्या के बारे में बताया गया । इस अवसर पर युवा भारत नशा मुक्ति प्रभारी राज सिंह यादव , आर .आई . सुदामा जी , प्रधान लीपिक दद्दन राम सहित दर्ज़नो पुलिस के अधिकारी और जवानों ने योगाभ्यास में भाग लिया ।