चर्चा में

कुछ अलग : सोशल मीडिया पर अनूठा प्रयोग “आग्रह आंदोलन”

नई दिल्ली। (रिपोर्ट-विनोद कुमार गुप्ता) साहित्य की अग्रणी संस्था “भारतीय साहित्य उत्थान समिति (पंजीकृत) इन दिनो अपने “आग्रह आंदोलन” के लिए चर्चा का विषय बनी हुई है, इस आंदोलन को जबरदस्त ढंग से सोशल मीडिया फेस बुक पर हिन्दी प्रेमियो का समर्थन भी मिल रहा है। ज्ञातव्य हो कि भारतीय साहित्य उत्थान समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रख्यात कवि बेबाक जौनपुरी ने फेसबुक पर उन लोगो को जिनके प्रोफाईल नाम अंग्रेजी वर्णमाला में लिखें है, को आग्रह भेजा जा रहा है कि वे लोग अपना प्रोफाईल नाम हिन्दी (देवनागरी लिपि) में लिखें! इसका सकारात्मक प्रभाव भी देखने में आ रहा है! समिति के करीब चालीस सक्रिय कार्य कर्ता दिन रात इस मुहिम में जुटकर अंग्रेजी वर्णानुसार लिखे नामो को देवनागरी में लिखने का (आग्रह आंदोलन) कर रहे है। जिसमे प्रमुख रूप से समिति उपाध्यक्षा कवियित्री प्रीति तिवारी अमिता, महासचिवा प्रसिद्ध रेडियो उद्घोषिका सारिका पंकज, प्रसिद्ध कवि भपेन्द्र राघव, गीतकार पंकज शर्मा, गजलकार विमलेन्दु सागर, दीक्षा द्विवेदी, सम्राट् शर्मा, यतीश अकिञ्ञन, आर्यन उपाध्याय ऐरावत, मुकेश शुक्ल, विनोद जैन, डॉ स्वप्निल सागर, आनंद प्रजापति, मनोज यादव, विपिन शर्मा वत्सल इत्यादि समिति सदस्य सक्रिय रूप से लोगो को राष्ट्रभाषा हिन्दी से अनूठा ढंग से जोड़ने का प्रयास कर रहे है।
समिति के मीडिया प्रभारी बेखबर देहलवी ने बताया कि अब तक लगभग समिति 10000 से अधिक लोगो को हिन्दी में नाम लिखने के प्रेरित कर चुकी है।
भारतीय साहित्य उत्थान समिति अपने अनूठे साहित्यिक सेवा कार्यो के लिए ख्याति प्राप्त करती रही है! चाहे वह विश्व की पहली ऑन लाइन काव्य संगोष्ठी का सुकार्य हो, चाहे मंचो पर चल रही फूहड़ कविताओ का मुखर विरोध या फिर नवोदित कवियो के लिए जमीन तैयार करने का कार्य, समिति जी जान से जुटा हुई है। समिति से लगभग 700 कवि सक्रिय जुट कर कविता की बारीक जानकारी सीख रहे है।

संस्था के अध्यक्ष बेबाक जौनपुरी स्वयं में एक बेहद सफल व लोकप्रिय कवि है। समिति को परिवार मानने वाले कवि बेबाक जौनपुरी उस अनूठे (आग्रह आंदोलन) के लिए बधाई के पात्र है।

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