उर्दू शिक्षा लेने से कोसों दूर हैं कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय बड़रांव की छात्रायें
घोसी/मऊ।उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा बालिकाओं की शिक्षा को चार चांद लगाने के लिए विगत कई वर्षों से कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय बड़रांव का संचालन किया जा रहा है। जहां पर विभिन्न जाति, धर्मों व समुदायों की बालिकायें शिक्षा लेने के लिए घर परिवार से अनुमति लेकर आती है। जिनको कक्षा 6 से 8 तक लगातार आवासीय विद्यालय में रहते हुए अनुशासन में शिक्षा ग्रहण करना होता है। इस दौरान उन बालिकाओं के उपर शिक्षा व जीवन यापन के लिए होने वाली खर्च का वहन सरकार खुद करती है ताकि परिवार वाले बालिकाओं को बोझ न समझें परन्तु जागरुकता के अभाव में लोग इसका लाभ नहीं ले पाते हैं और हर वर्ष करोड़ रुपये क्रियान्वित करने में नुकसान हो जाता है। इस योजाना का लाभ भी गरीब वर्ग की बालिकाओं को ही दिया जाता है। जिसमें बीपीएल कार्ड धारक,अल्पसंख्यक,एससी व एसटी का प्रमाण देने वाली ही बालिकायें इसके पात्र होती हैं। वर्तमान में सरकार हिन्दी, उर्दू, संस्कृत एवं अंग्रेजी भाषा की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए तमाम योजनायें लागू कर रही हे ताकि भाषा के क्षेत्र में हमारा मुल्क पीछे न रह जाये। वही घोसी क्षेत्र के बड़रांव स्थित कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय में उर्दू भाषा की पढ़ाई करने हेतु व्यवस्था न होने के कारण उर्दू भाषा की शिक्षा लेने से कोसों दूर हैं बालिकायें। इस सम्बन्ध में अध्ययन कर रही बालिकाओं ने बताया कि मुस्लिम वर्ग की बालिकायें शिक्षा लेने तो आती हैं परन्तु उर्दू भाषा की पढ़ाई करने के लिए व्यवस्था न होने के चलते वापस चली आती हैं। जिससे उनका उर्दू शिक्षा लेने का सपना टूट जाता है। इस सम्बन्ध में विद्यालय की वार्डेंन सुमनलता गौंड़ का कहना है कि मुस्लिम बालिकायें नहीं आती हैं। जिससे उर्दू भाषा की पढ़ाई की व्यवस्था नहीं की जाती है। यदि मुस्लिम बालिकायें आती हैं तो इसकी व्यवस्था की जायेगी।