चर्चा में

अप्रवासी पक्षियों के लिए तालों में तड़कने लगी बन्दूकें

(रूपेन्द्र भारती)
घोसी/मऊ। तहसील मुख्यालय से चार किलोमीटर दूर स्थित पकड़ी ताल में अप्रवासी पक्षियों का शरद ऋतु आते ही शिकार करना शुरु हो गया है। जिससे प्रकृति का संतुलन भी बिगड़ता जा रहा है। इस ताल में प्रातःकाल से ही शिकारियों का जमावड़ा लगने लगता है।
घोसी तहसील मुख्यालय से चार किलोमीटर स्थित पकड़ी ताल सैकड़ों एकड़ में फैला है। जिसमें शरद ऋतु आते ही अप्रवासी पक्षियों के कलरव से गुंजायमान हो गया है। इनके आने की आहट पाकर शिकारी भी इनके शिकार में जूट जाते हैं। वे पक्षियों को महंगे दाम पर बाजार में बेच रहे हैं। जबकि सरकार ने पक्षियों के शिकार पर पूरी तरह से प्रतिबन्ध लगा रखी है।
शरद ऋतु में जब ठण्ड देशों में बर्फ जमने लगता है तो अप्रवासी पक्षी हजारों मील की यात्रा करके हल्के ठण्ड वाले क्षेत्रों की तरफ रुख करते है। जिसमें पकड़ी का ताल भी एक प्रमुख स्थान हैं। पहले शरद ऋतु शुरु होते ही साईबेरियन पक्षियों का जमावड़ा होने लगता था परन्तु शिकारियों के भय से इस प्रजाति के पक्षियों का आगमन कम हो गया है। लालसर, टिकवा, मईल,जाघिल,पांडू आदि सहित कई प्रजाति के पक्षियों का आगमन बडे़ पैमाने पर होता है।इन पक्षियों के कलरव को सुनकर शिकारी भी शिकारी भी दिन रात इनके शिकार में जूट गये हैं। बीच ताल जाकर शिकारी आटे की गोली में नशीली दवा मिलाने के साथ ही बन्दूकों से इनका शिकार कर रहें है। अप्रवासी पक्षियों का मांस लजीज व स्वादिष्ट होता है। इसके शौकीन बड़े पैमाने पर शिकार किये हुए पक्षियों को खरीदने की जुगत में रहते हैं। अत्यधिक मांग होने के कारण महगें दामों पर बेचकर लाभ कमाते है।इस सम्बन्ध में वरुण दूबे,पंकज श्रीवास्तव,हरिकेश आदि ने मांग किया है कि इस कारोबार से जुड़े लोगों पर पैनी नजर रख कर दण्डनात्मक कार्यवाई सम्बन्धित विभाग द्वारा किया जाये अन्यथा धरना प्रदर्शन करने के लिए बाध्य होगें।

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