अपना भारत

यह ‘तर्जनी’ स्त्री की है!

@ नागेन्द्र प्रताप…

यह ‘तर्जनी’ स्त्री की है!
वादा तो यही है कि यह स्त्री स्वर, उसके सवालों और अधिकारों पर केंद्रित जो लेखन हो रहा है, उसके विस्तृत फलक को हिन्दी पाठकों के सामने लाने का काम करेगी। भरोसा भी है कि ‘तर्जनी’ इस कमी को पूरा कर पाएगी। पहले अंक की सुचिंतित प्रस्तुति ही भरोसा जगाने वाली है। यह सच है कि हिन्दी जगत् में अनेक पत्रिकाएं हैं जो स्त्री विमर्श को जगह देती हैं, लेकिन स्त्री के प्रश्नों को केंद्र में रखकर खुलकर बात करनेवाली पत्रिकाओं की संख्या आज भी कम है। ऐसे में “तर्जनी” आश्वस्त करती है।
‘तर्जनी’ एक नई तिमाही ई-पत्रिका है।
स्त्री स्वर केंद्रित तिमाही ई-पत्रिका तर्जनी का पहला अंक पंडिता रमाबाई पर केंद्रित है। पूर्वा भारद्वाज, नासिरूद्दीन के साथ देवयानी भारद्वाज और चारु सिंह के सामूहिक संपादन में यह जल्द ही पाठकों की दुनिया में अलग जगह बनाएगी, आश्वस्त हुआ जा सकता है।

https://drive.google.com/file/d/1AEWqMRgGjVmJZgmXBuX2t7NIsKBC_3oe/view?usp=drivesdk

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