सिंबल-सिंबल के खेल में मऊ में कईयों का बिगड़ रहा है संबल, कौन है सपा प्रत्याशी किसी को पक्की खबर नहीं
० भाजपा ने अगर यादव कार्ड का खेल खेला तो आजमगढ़ जनपद में सफलता का सुलगा आग मऊ में फैलते देर नहीं लगेगा!
० कहीं अपने नेताओं या भाजपा का नब्ज तो नहीं टटोल रही सपा!
@आनन्द कुमार…
मऊ। समाजवादी पार्टी से अरशद जमाल का स्वयं को मऊनाथ भंजन नगर पालिका परिषद की सीट से अध्यक्ष पद का सपा से टिकट मिलने का दावा और दो दिन बाद ही युवा नेता आबिद अख्तर को टिकट मिलने की अटकले और सोशल मीडिया पर अफवाह की तेज होती धार, को आखिर किस चश्में और किस नजरिए से देखा जाए! क्या यह माना जाए कि सपा मुखिया अखिलेश यादव! या उनके किसी अत्यन्त जिम्मेदार ने अरशद जमाल को सिंबल का आश्वासन या झूठी तसल्ली देकर किसी और को संबल दिया है कि आप अपनी तैयारी करो! या इस खेल में सपा अपने ही पार्टी में टिकट मांग रहे अन्य लोगों का नब्ज टटोल रही है कि उनका अगला कदम क्या होगा, ताकि उस हिसाब से सपा फिर कोई और जुगत लगा सके! या फिर या सपा यह गेम खेल रही है कि भाजपा अरशद के नाम के बाद जैसे ही अपने प्रत्याशी की घोषणा करेगी फिर सपा तापमान और माहौल देखकर अपना प्रत्याशी रहने दे या बदल दे और भाजपा को नाच नचाएं!
या कहीं सपा को यह डर तो नहीं की भाजपा यादव या दलित प्रत्याशी देकर सपा का खेल बिगाड़ने की भरपूर कोशिश कर सकती है!
यह राजनीति है इस खेल में कुछ भी सम्भव है। सपा को पूरा यकीन है कि वह यह सीट जीत सकती है, इसलिए उससे कोई चूक न हो हर चाल संभल कर चल रही है। वैसे तो यह सीट अनारक्षित है। इस सीट पर भाजपा दलित प्रत्याशी खोज कर पहले से ही तैयार बैठी है। इसके अलावा भाजपा या संघ ने अगर यादव कार्ड का खेल खेला तो आजमगढ़ जनपद में सफलता का सुलगा आग मऊ में फैलते देर नहीं लगेगा और यह सपा के लिए जोर का झटका धीरे से होगा। सामान्य जाति के अलावा भाजपा कोई भी पत्ता कभी भी फेंक सकती है। बदले परिसीमन के समीकरण और आजमगढ़ लोकसभा पर निरहुआ के जीत के बाद भाजपा के पांव जमीं पर नहीं है। वह हर हाल में हर चाल सोच समझ और संभल कर चल रही है। सपा का सिंबल किसे, इसे लेकर अरशद और आबिद के नाम का अटकलों का दौर जारी है। न टिकट का दावा करने वाले और अपना फूल माला से टिकट की खुशी जताकर स्वागत अभिनन्दन कराने वाले अरशद जमाल आबिद के टिकट के अफवाह पर कुछ बोल पा रहे हैं और ना ही अफवाहों के प्रत्याशी के तौर पर चर्चा में आए आबिद अख्तर इस पर कुछ बोल रहे हैं। हां आबिद ने इतना जरूर कहा पार्टी जिसे भी सिंबल देगी हम लोग उसे विजयी बनाकर राष्ट्रीय अध्यक्ष की झोली में डालेंगे। उधर इस मामले में निवर्तमान चेयरमैन तैय्यब पालकी की आखिरी कोशिश की साइकिल की सवारी उन्हें ही मिले काफी मायने रखती है। वैसे तो एक कयास यह भी जारी है अगर तैय्यब को टिकट नहीं मिलेगा तो वह साइकिल छोड़ फिर हाथी की सवारी कर सकते हैं। दूसरी चर्चा यह भी है कि अगर अरशद जमाल की जगह आबिद या किसी और का टिकट पक्का होगा तो वह सपा की जीत के लिए चुनाव न लड़ने का फैसला बदल सकते हैं। या कहीं व्यापारी नेता व सपा नेता अजहर फैजी का जुगत काम आया और सपा मुखिया व्यापारियों को कुछ अलग संदेश देना चाहे तो खेल अजहर के नाम पर भी खेला जा सकता है, जिसे लोग बहुत हल्के में ले रहे हैं। आशंका यह भी व्यक्त की जा रही है कि अरशद और तैय्यब का सपा ने दरनिकार किया तो यह कोई भी कदम उठा सकते हैं। सपा के सामने इतने मजबूत प्रत्याशी हैं कि योग्य का मूल्यांकन नहीं कर पा रही है।
उधर भाजपा में भी प्रत्याशियों की भीड़ में सत्य मित्र सिंह दिनेश, नूपुर अग्रवाल, रामानुज सिंह चुन्नू , त्रिवेणी सर्राफ, संतोष सिंह पुन्नू, आनन्द प्रताप सिंह, संजय वर्मा सहित कई ऐसे दावेदार के अलावा दलित कार्ड में अजय कुमार व यादव प्रत्याशी के रूप में ??? भाजपा में कई नामों की चर्चा पर भाजपा के लिए एक अदद प्रत्याशी छांटना और बाकी की छंटनी करने में काफी दिक्कत हो रही है!
अगर एमपी, एमएलए कोर्ट से मऊ सदर सीट पर वर्तमान विधायक अब्बास अंसारी पर कोई नकरात्मक फैसला आता है तो, भारतीय जनता पार्टी मऊ नगर पालिका परिषद के चुनाव के साथ-साथ संभावित मऊ सदर सीट की चुनाव को लेकर भी संभावना तलाश रही है और इन्हीं संभावनाओं में सपा भी उलझी हुई है और बसपा व सुभासपा नजर गड़ाए बैठी हैं।
नगर निकाय चुनाव को लेकर वक्त कम है समस्या ज्यादा, कोई जिम्मेदार बोलने को तैयार नहीं है। ऐसे में सपा का यह अफवाह और भाजपा का प्रत्याशी चयन पर देरी काफी मायने रखता है। अगर यादव या दलित खेल का खेला भाजपा ने खेला तो यह मऊ के लिए बहुत बड़ा खेला होगा और इसका सीधा असर सदर विधानसभा सीट पर भी पड़ेगा। सिंबल को लेकर वैसे तो सपा व भाजपा के नेता अपना संबल खोते जा रहे हैं और बसपा इस खेल में संयम रख खेला खेलने की फिराक में है। लेकिन खेल कौन खेलेगा यह अभी सिर्फ यक्ष प्रश्न बना हुआ है फिराक में सपा, बसपा व भाजपा तीनों है और अंत सुभासपा भी छौंका मारने के फ़िराक में रहेगी।