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आयुष्मान योजना के तहत अब तक 400 मरीजों को दिया जा चुका है जीवनदान


रतनपुरा/मऊ। अपनी शालीनता, व्यवहार कुशलता तथा मधुरता के साथ मरीजों को देखना किसी भी चिकित्सक के लिए गौरव की बात है। यह ऐसी स्थिति है, जिसमें मरीज अपना सब कुछ दुख दर्द भूल जाता है । ऐसे ही पारदर्शी और माधुर्य व्यवहार के धनी हैं जाने-माने जनरल एवं लेप्रोस्कोपिक सर्जन डॉक्टर अभिषेक गुप्ता, जो मरीजों के साथ ऐसे अपनत्व व्यवहार के साथ उनकी दुख दर्द और पीड़ा को सुनते हैं की मरीज का आधा दुख दर्द उनके क्लीनिक में ही दूर हो जाता है।
डॉक्टर अभिषेक गुप्ता जनरल सर्जरी में गोल्ड मेडलिस्ट है। लब्ध प्रतिष्ठित एवं पूर्वांचल के जाने-माने जनरल एवं लेप्रोस्कोपिक सर्जन डॉक्टर पी एल गुप्ता के सुपुत्र हैं डॉक्टर अभिषेक गुप्ता। डॉ अभिषेक गुप्ता ने बताया कि आयुष्मान भारत योजना के तहत उनके अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाएं दी जाती हैं। इस मिशन के तहत सरकार हर व्यक्ति का यूनिक हेल्थ कार्ड जारी करती है। यह कार्ड पूरी तरह से डिजिटल होता है, और देखने में आधार कार्ड की तरह ही होगा। आयुष्मान भारत योजना या प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना, भारत सरकार की एक स्वास्थ्य योजना है, जिसे 01 अप्रैल, 2018 को पूरे भारत मे लागू किया गया था। इस योजना का उद्देश्य आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराना है। यद्यपि की जून 2021 से 3 माह तक यह सेवा अस्पताल मे बंद रही। गुप्ता सर्जिकल अस्पताल में इस सुविधा को 1 वर्ष पूरे हो रहे हैं, और अब तक लगभग 400 मरीजों को ऑपरेशन के जरिए जीवनदान दिया जा चुका है।
जनरल एवं लेप्रोस्कोपिक सर्जन डॉक्टर अभिषेक गुप्ता मरीजों के प्रति काफी उदारवादी दृष्टिकोण रखते हैं,उनके अस्पताल में बहुधा ऐसे मरीज आते हैं, जिनके पास ऑपरेशन अथवा दवाओं के लिए अपेक्षित धनराशि नहीं रहती, इसके बावजूद भी वह अपने उदारवादी दृष्टिकोण से ऐसे मरीजों का हर संभव सहायता करते हैं। कुछ ऐसे क्रिटिकल कैसे भी आते हैं जिनका उपचार मऊ में संभव नहीं होता, उन्हें बेहतर ढंग से उसकी स्थिति को मरीज के अभिभावकों से बता कर के बीएचयू अथवा संबंधित संस्थान को भेज देते हैं, यह उनकी बहुत बड़ी खूबी है। जिससे मरीज और चिकित्सक के बेहतर तालमेल और समन्वय को प्रदर्शित करता है।
डॉ अभिषेक गुप्ता ने बताया कि इधर लीवर आबसेस के कतिपय मरीज उनके क्लीनिक में आएं, जिन का बेहतर ढंग से उपचार किया गया। लीवर आब्सेस ऐसी बीमारी है, जिसमें मरीज के लिवर में मवाद भर जाता है । जिसे नली के जरिए चिकित्सा सेवा दी जाती है। इस तरह के मरीजों को अक्सर वाराणसी भेज दिया जाता है ।परंतु मौजूदा दौर में इसका उपचार मऊ में भी संभव हो गया है।

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