किस्सा आंखों देखी

हाकिम ! यहां तो कोई सुनता ही नहीं, किससे कहे अपनी बात

( दिव्येन्दु राय )

समूचा राष्ट्र वर्तमान समय में कोरोना के वैश्विक महामारी के चपेट में है और समूचे देश में त्राहिमान मचा हुआ है। लगभग प्रत्येक दिन सब लोग अपने किसी न किसी परिचित को इस महामारी के चपेट में आने से खो रहे हैं।

देश के डॉक्टरों, विशेषज्ञों की यह सलाह है कि सब लोग वैक्सीन लगवाएं तथा मास्क को रेगुलर लगाए रखें। भीड़-भाड़ में जाने से बचे तथा सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें।

जनसंख्या के मामले में देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश के मुखिया के अनुसार सूबे में न तो ऑक्सीजन की कमी है और न ही कोविड वैक्सीन की, लेकिन इसमें सच्चाई कितनी है यह आमजन को ही पता है।

मैं स्वयं 18 से 44 वर्ष के आयु वर्ग में आता हूँ और आरोग्य सेतु ऐप पर वैक्सिनेशन के लिए विगत कई दिनों से स्लॉट बुक कर रहा हूँ लेकिन नहीं हो पा रहा है, थकहार के मैं शांत बैठ गया।
फिर मैंने अपने परिजनों के लिए यानी अपने नानाजी के लिए जिनकी अवस्था 86 वर्ष है और अपनी माताजी के लिए जिनकी अवस्था 62 वर्ष के लिए आरोग्य सेतु ऐप से स्लॉट बुक किया, नानाजी की रिफरेंस आईडी 28925038205860 और माताजी की रिफरेंस आईडी 86352653951660 का मैसेज मेरे मोबाईल नम्बर 9455805637 पर आया जिसके तहत मुझे मऊ जनपद के कोपागंज सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पर 11 मई दिन में 1-3 के बीच का समय अलॉट हुआ।

जब मैं अपने परिजनों को वैक्सीन लगवाने के लिए लेकर पहुँचा तो अस्पताल के मुख्य गेट पर ताला बन्द था, इमरजेंसी की तरफ से रास्ता खुला हुआ था जिसके माध्यम से मैं अस्पताल के पहले तल पर गया जहां वैक्सीन लगाई जाती है।

जब मैं वैक्सीन लगाने वाले कमरे में गया तो वहां मुझे बताया गया कि वैक्सीन नहीं लग रहा, इसपर मेरे पूछने पर उन्होंने बताया कि वैक्सीन खत्म हो गया है। मैं यह सुनकर अभी सोच ही रहा था कि अब क्या करूँ तबतक एक महिला एक व्यक्ति के साथ आयी और उसने वैक्सीन लगाने वाली महिला से कहा कि सुनील ने भेजा है वैक्सीन लगाने के लिए, तो उन लोगों को वहीं पास की ही कुर्सी पर बैठने का इशारा मेडिकल स्टॉप द्वारा कर दिया गया।

मुझे यह देख थोड़ा अजीब लगा फिर मैंने 1:05 पर सीएमओ मऊ के नम्बर 9415377132 पर अपने नम्बर 9455805637 पर फोन किया लेकिन फोन नहीं लगा।

इसके बाद एक महिला कर्मचारी आकर वैक्सिनेशन रूम का गेट बन्द करने लगी तो मैंने उससे कहा गेट क्यों बन्द कर रहीं हैं, तो उन्होंने एक मेडिकल स्टॉफ की तरफ दिखाकर कहा कि उन्होंने कहा है तो मैंने कहा कि यह सरकारी अस्पताल है किसी का घर नहीं इसलिए गेट नहीं बन्द होगा। फिर मैं उसी गेट के बाहर पड़ी कुर्सी पर बैठ गया।

1:06 पर मैंने जिलाधिकारी मऊ के 9454417523 नम्बर पर फोन किया तो फोन उनके आवास से कनेक्ट किया गया तो मैंने अपनी समस्या वहां पर जिसने फोन उठाया था उनसे बताई, इसपर उन्होंने डीएम मऊ को अवगत कराने की बात कही।

1:07 पर मैंने पुनः सीएमओ मऊ को फोन लगाया और कोपागंज स्वास्थ्य केन्द्र में वैक्सीन खत्म होने की बात कही, तो इस बाबत उन्होंने कहा कि अब आये हैं वैक्सीन लगवाने, जब हम लोग खोज रहे थे तब तो नहीं आए।
फिर उन्होंने डीआईओ मऊ का नम्बर दिया और कहा कि इनसे बात करिए।

डीआईओ को मैंने 9451524476 नम्बर पर 1:10 पर फोन किया और कोपागंज में वैक्सीन खत्म होने वाली बात बताई तो इसपर उन्होंने कहा कि रुकिए मैं पता करके बताता हूँ, उनका पुनः 1:14 पर मुझे फोन आया और उन्होंने कहा कि मऊ स्टोर में भी वैक्सीन नहीं है अन्यथा कोपागंज भेजवा देता। उन्होंने यह भी बताकर असमर्थता जताई कि प्रतिदिन जनपद को मात्र 300 वैक्सीन ही मिल रही है।

मेरे वहीं जमे होने की वजह से सभी सरकारी कर्मचारी वैक्सीन लगाने के लिए अधिकृत लोगों को छोड़कर एवं वह लोग जो किसी सुनील के माध्यम से आये थे, वैक्सिनेशन के रूम से निकलने लगे।

अन्त में मैंने आजमगढ़ मण्डल के कमिश्नर को उनके नम्बर 9454417494 पर 1:16 पर फोन करके उनको अपनी समस्या से अवगत कराया तो उन्होंने आश्वासन दिया कि आपका नम्बर सीएमओ मऊ को दे देता हूँ, वह आपको फोन करके आपकी समस्या का निराकरण करेंगे।
ख़ैर जब यह लिख रहा हूँ, कई घण्टे हो चुके हैं और स्वास्थ्य विभाग के किसी चपरासी तक का भी फोन नहीं आया है।

मऊ जो कभी पूर्वांचल राज्य का मुख्यालय बनने का ख़्वाब संजो रहा था वहां की बेहाल स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए आखिर जिम्मेदार कौन है? मुकदमा दर्ज होने के डर से न तो पत्रकार समस्याओं को उजागर कर रहे और न ही यहां के जनप्रतिनिधियों को किसी की परवाह।

सूबे के इस जनपद की बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए काफी हद तक आमजन भी जिम्मेदार है क्योंकि उन्होंने जाति, धर्म, सम्प्रदाय, विचारधारा के नाम पर अपना जनप्रतिनिधि चुना है न कि उनकी योग्यता के आधार पर क्योंकि अगर जनपद के जनप्रतिनिधि जनता के प्रति ईमानदार होते तो जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था इस कदर लचर न होती।

हो सकता है कि जो सच्चाई मैं लिख रहा हूँ उसके बाद मेरे ऊपर मुकदमा दर्ज हो जाए मेरी आवाज को दबाने के लिए, लेकिन यह सच की आवाज़ है इसे कोई कितना दबा लेगा।

दिव्येन्दु राय
स्वतन्त्र टिप्पणीकार

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