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… तो अब मऊ में सड़क पर बनेगी इमारत! बैजापुर में हो रही सड़क भूमि की रजिस्ट्री!

मऊ। सरकार किसी भी क़ीमत पर सरकार की ज़मीन पर किसी भी व्यक्ति के अवैध क़ब्ज़े को बर्दाश्त करने के मूड मे नहीं है। बकायदे मुख्यमंत्री का आदेश है की ऐसे लोग कतई बख़्शे ना जाए! यूपी सरकार की ऐसे कई स्थानों पर बुल्डोजर चलाकर अवैध अतिक्रमण को ध्वस्त करने की तस्वीर आप देख चुके हैं!
सदर तहसील के राजस्वकर्मियों की मिलीभगत से बैजापुर गांव में सड़क की जमीन को खरीदने व बेचने का गोरखधंधा जोर-शोर से चल रहा है। बैजापुर गांव के हरिओम राय ने जिलाधिकारी प्रवीण मिश्र से लिखित शिकायत कर राजस्वकर्मियों व भूमाफियाओं पर कार्रवाई की मांग की है। आरोप है कि वर्ष 1976 में गांव की चकबंदी की गई है। इसके बाद वर्ष 1983 में बरलाई से पुराघाट तक 120 फीट चौड़ी सड़क के लिए जमीन का अधिग्रहण कर सड़क का निर्माण किया। प्रशासन की तरफ से अधिग्रहित जमीन का मुआवजा भी दिया गया। इसके बाद काश्तकारों के खेतों से रकबों में कटौती नहीं की गई। इसकी वजह से भू-माफिया सड़क की जमीन का रकबा दिखाकर लोगों को बेच रहे हैं। इस मामले में डीएम ने एसडीएम सदर से जांच करने को निर्देशित किया है।

क्या है अक्षरशः हरिओम राय का पत्र जो ज़िलाधिकारी मऊ को दिया गया है…

सेवा में
श्रीमान जिलाधिकारी
जनपद- मऊ
विषय- मऊ सदर तहसील के बैजापुर गांव में बरलाई-पूराघाट मार्ग की जमीन को राजस्वक विभाग और भूमाफियाओं की मिलीभगत से बैनामा किये जाने के संबंध में।
महोदय,
मऊ जनपद के सदर तहसील अंतर्गत बैजापुर मौजा में 1983 में बर‍लाई-पूराघाट मार्ग के निर्माण के लिए किसानों की जमीन का अधिग्रहण किया गया। सभी किसानों को जमीन के एवज में उसकी कीमत/मुआवजा भी शासन द्वारा निर्धारित प्रक्रिया के तहत उसी समय अदा कर दिया गया। इसके बावजूद आजतक नक्शे् एवं राजस्वा अभिलेखों में मार्ग का उल्ले ख नहीं किया गया। सबसे आश्च र्यजनक यह है कि जमीन के अधिग्रहण, मुआवजा वितरण और सड़क निर्माण के बाद भी खतौनी में सड़क की भूमि किसानों के नाम से दर्ज है। गांव की चकबंदी प्रक्रिया 1976 में पूरी हुई। उदाहरण के रूप में दस्तामवेज 45 में गाटा संख्या – 287 का रकबा पांच एकड़ एक सौ पचपन कड़ी (2.0860 हेक्‍टेयर) है और वर्तमान खतौनी में भी रकबा वही है, जबकि इसी गाटा संख्याक के बीचोबीच 1983 में 120 फीट चौड़ी सड़क का निर्माण जमीन अधिग्रहित कर किया गया। राजस्व( विभाग की इस कमी से वाकिफ भूमाफियाओं ने अब अपना खेल शुरू कर सड़क भूमि को खरीदना-बेचना शुरू कर दिया है। उक्त। गाटा संख्या की पूरी जमीन जिसमें सड़क की भी जमीन है को जिले के चर्चित भू कारोबारी त्रिभुवन सिंह, ज्ञानेश सिंह और विनोद कुमार राय ने बैनामा कराकर बेचना शुरू कर दिया है। दिल्लीय के एक जावेद अंसारी ने उक्त जमीन का एक बड़ा भाग खरीदा है। इन लोगों की तहसीलकर्मियों से मिलीभगत है। सड़क की जमीन की खरीद-बेच कर रहे है। इन लोगों के बैनामें में सड़क का कोई उल्लेख ही नहीं है। इन सभी के द्वारा फर्जीवाड़ा और कूटरचना कर बैनामा कराये गये सड़‍क के रकबे को तहसीलकर्मियों की मिलीभगत से सड़क छोड़कर पूरा कराये जाने से अगल-बगल के चकदार प्रभावित हो रहे हैं। तहसील के लेखपाल और कानूनगो आये दिन इन लोगों के इशारे पर पैमाइश करने पहुंच जा रहे हैं। इन्होंने सड़क के रकबे से संबंधित फर्जीवाड़े की जानकारी देने के बाद भी बात को अनसुना कर दे रहे हैं।
इस संबंध में निवेदन है कि प्रकरण संज्ञान में लेकर राज‍स्व अभिलेख को दुरुस्त करने एवं सड़क का बैनामा कराने वालों के साथ ही उनके इस खेल में शामिल राजस्वेकर्मियों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करने की कृपा करें।

भवदीय

हरिओम राय

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