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पुलिस के जवान शिवाम्बुज ने रक्तदान कर बनायी मिसाल, साल में चार बार स्वयं व 10 लोगों को प्रेरित कर कराते हैं रक्तदान

(आफताब आलम/आनन्द कुमार)

मऊ। पुलिस के नाम पर जेहन में कुछ अलग ही तस्वीर उतर जाती है। लेकिन हर पुलिस का चेहरा जेहन में उतरे पुलिस बाले की तरह नहीं होता। भले ही कुछ पुलिस बालों की नाकामियों के बदले पुलिस की पूरी जमात बदनाम हो लेकिन पुलिस के इस बिगड़े रूप में मानवता के चेहरे भी बसते व रमते हैं। हमें जरूरत ऐसे चेहरों को समाज के सामने लाने की जो वास्तव में होते हैं कुछ अलग। 

हम बात कर रहे हैं मऊ जनपद में पुलिस लाइन में तैनात उत्तर प्रदेश पुलिस में कांस्टेबल शिवाम्बुज कुमार पटेल की। जिनके अंदर नौकरी से पहले जो जज्बा था वह जज्बा बढ़ चढ़कर पुलिस में नौकरी पाने के बाद भी बना हुआ है। 25 वर्षिय युवा शिवाम्बुज के जज़्बे की जितनी भी तारीफ़ की जाए कम है मूल रूप से गोरखपुर के निवासी शिवाम्बुज पटेल पुलिस की नौकरी में दिसम्बर 2015 में ही आ गये। शिवाम्बुज के अंदर रक्तदान करने का जुनून था। जिसे वे आज भी जिन्दा किए हुए हैं। उन्होनें बताया कि उनके एक दोस्त का छोटा भाई खून की कमी के कारण चल बसा तभी से वह मन में मजबूत इरादा पाल बैठे की वह साल में कम से कम चार बार रक्तदान करेंगे। नौकरी से पहले वे 5 बार तथा नौकरी के बाद 6 बार रक्तदान कर कई जिन्दगियों को बचाने का काम कर चुके हैं।

उन्होनें बताया कि इतना ही नहीं वे खुद हर साल कम से कम 10 लोगों को रक्तदान करने के लिए तैयार करते हैं और उनसे हर 6 महीने पर रक्तदान करवाते हैं। शिवाम्बुज ने बताया कि वे हर तीसरे महीने अपने शरीर से ब्लड डोनेट करते है। ब्लड डोनेट करने के लिए वह खुद हॉस्पिटल तक जाते है और ब्लड डोनेट कर वापस अपनी ड्यूटी पर चले आते है। इस सम्बंध में शिवाम्बुज पटेल का कहना है कि हमारा ब्लड किसी जरूत मंद के काम आ जाये और उनकी जान बच जाए इसको मैं अपना सौभाग्य समझता हूं। 

उत्तर प्रदेश पुलिस के इस बेहतरीन सोच बाले युवा और उनके द्वारा किये जा रहे समाज व देशहित व समाज हित के इस काम की जितनी भी तारीफ की जाये वह कम है। नौजवानों सहित पुलिस में तैनात युवाओं को भी शिवाम्बुज पटेल से प्रेरणा लेकर ब्लड दान करने की दिशा में आगे बढ़ना चाहिये, ताकि हमारे देश के ब्लड बैंकों में हमेशा ब्लड भरा रहे और जब भी किसी को जरूत हो युवाओं का यह खून उनके काम आ सके ताकि कभी भी किसी की खून की कमी से मौत न हो। श्री पटेल ने बताया कि वास्तव में रक्तदान करने में मजा आता है। लोग बेवजह डरते हैं, रक्तदान करके देखे वे खूद इसे अपना जुनून बना बैठेंगे।अगर हम खराब करतूतों बाले पुलिस को जगजाहिर करते हैं तो हमें अच्छे कर्म बाले पुलिस के कार्यों को समाज के सामने परोस कर अपना धर्म निभाना चाहिए। शिवाम्बुज के रक्तदान बाले धर्म की जितनी भी तारीफ की जाये कम है। ऐसा सोच बाला युवा पुलिस में एक मिसाल साबित होगा। क्योंकि समाज के प्रति अगर किसी व्यक्ति के सीने में दर्द है तो वह व्यक्ति समाज के किसी भी क्षेत्र में काम करे, उसके कर्म से समाज के आहत होने की सम्भावना कम है।

हम “अपना-मऊ” टीम की तरफ से यूपीपी के सिपाही के इस बुलन्द हौसले को सैल्यूट करते हैं।

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