ऐसे भी शिक्षक! ट्रांसफर हुआ तो बच्चे लिपट कर रोएं, बोलें प्लीज मत जाइए सर!

० बच्चों के साथ गुरू जी भी नहीं रोक सके अपना आंसू
@ आनन्द कुमार…
चंदौली। अक्सर ऐसा होता है कि हर व्यक्ति के जिंदगी में कोई आता है और कोई जाता है। इसी आने जाने में कोई व्यक्ति इतना महत्वपूर्ण बन जाता है कि उसके जाने के बाद आंखें नम सी हो जाती हैं। और ऐसे व्यक्ति का हाथ थाम हर वह व्यक्ति उसे जाने से रोकना चाहता है। लेकिन यह अपनापन का संयोग किसी प्राथमिक विद्यालय के टीचर व मासूम बच्चों के बीच हो तो फिर यह रिश्ता कुछ अलग ही एहसास कराती है। जहां जाने वाला व्यक्ति एक हो और उसे रोकने और उसके लिए रोने वालों की संख्या दर्जनों। लेकिन सरकारी नियम के आगे किसकी चलती है। उसको तो सिर्फ फालो करना है।
उत्तर प्रदेश के अंतिम जनपद व बिहार बार्डर के चंदौली के रतिगढ़ कम्पोजिट विद्यालय में नियुक्त शिक्षक शिवेन्द्र सिंह बद्येल के स्थानांतरण का पत्र आया तो सब यही चाहे कि उनके प्यारे शिक्षक स्कूल छोड़कर मत जाएं। लेकिन ऐसा होना कहां था। 12 जुलाई को जैसे ही शिवेन्द्र स्कूल में अंतिम दिन अपने छात्र छात्राओं से विदा हो रहे थे, छात्र दुःखी होकर रो पड़े और रोते-रोते प्लीज सर हमें छोड़कर कर मत जाइए। स्कूल के छात्र छात्राओं ने अपने शिक्षक शिवेन्द्र को रोकने की भरपूर कोशिश की, पर उन्हें क्या पता कि उनके शिक्षक तो शासन प्रशासन के कानून के हाथों बंधे हैं। और जब बच्चों को लगा कि उनके मास्टर साहब नहीं रूकेंगे तो वे उनसे लिपट कर रो पड़े। बच्चों का वीडियो शुक्रवार को खूब वायरल हुआ।
मूल रूप से उन्नाव के शुक्लागंज निवासी शिवेंद्र का स्थानांतरण 07 जुलाई 2018 को चंदौली के विकास क्षेत्र के कम्पोजिट विद्यालय रतिगढ़ में हुआ था। वे पिछले चार वर्षों से सहायक अध्यापक के रूप में शिवेंद्र सिंह बघेल बच्चों को परिवार समझकर शिक्षा की अलख जगा रहे थे। गांव के बच्चों के बीच वे गांव सा बनकर न सिर्फ उन्हें पढ़ाते थे बल्कि खेल कूद, खाना, पीना, कलाकारी, कला आदि सब इतना घुलमिल कर करते थे कि बच्चे शिक्षक ही नहीं उनके अंदर अभिभावक व एक अलग व्यक्तित्व की झलक देखने लगे।
वैसे तो शिवेन्द्र शुरु में सुदूरवर्ती विद्यालय पर स्थानांतरण पाने से काफी निराश थे, लेकिन वे बच्चों में इस तरह घुल मिल गए कि वे उस निराशा को आशा में बदल कुछ अलग बानगी रचने लगे। उनका नियमित समय से स्कूल आना, बच्चों के साथ जमीन पर बैठकर पढ़ाना, साथ में खेलना कूदना आदत में शुमार था। जिस दिन शिवेंद्र किसी कारणवश स्कूल नहीं जाते तो बच्चे पूछ बैठते शिवेन्द्र सर क्यों नहीं आए या कब आएंगे!
जैसे ही छात्रों को बच्चों को मालूम हुआ कि शिवेंद्र सर का स्थानांतरण हाथरस के लिए हो गया है और वे अब उनके स्कूल में नहीं पढ़ाएंगे तो वे पूरी तरह निराश हो गए। बीते 12 जुलाई को विद्यालय में विदाई कार्यक्रम के दौरान बच्चे रोते हुए शिक्षक शिवेंद्र से लिपट गए और कहने लगे कि सर हमें छोड़ कर मत जाइए। यह भावुक घड़ी यादगार बन गई। शिक्षक भी खुद को नहीं रोक पाए और बच्चों से लिपट कर रोने लगे। यह तस्वीर सोशल मीडिया पर इन दिनों खूब वायरल हो रही है।
बच्चों के इस तरह रोने पर अंत में शिवेन्द्र को बोलना पड़ा कि बच्चों आप इस तरह मत रोओ, मैं लौटकर फिर आऊंगा! आकर आपसे मिलूंगा! मैं जरूर आऊंगा! ऐसे कहते कहते रोते बच्चों को छोड़कर खुद आंसुओं का घूंट पीकर चले गए शिवेन्द्र।



