#कल्पनाथ_राय

पुण्य स्मरण

जय-जय कल्पनाथ, अमर कल्पनाथ,
कर दो मेरे शहर का नाम कल्पनाथ!

मेरी कलम से…आनन्द कुमार ना जाने क्यों धिक्कारती है,मन बार-बार यह पुकारती है,कहां हो गया मेरे शहर का मसीहा,आवाज़ उसके

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