मऊ! टिकट वितरण में देरी, 2022 के वैतरणी के लिए कहीं नुकसानदेह न साबित हो जाए

@ आनन्द कुमार…
मऊ। वैसे तो उत्तर के बहुत से विधानसभा की सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा अभी बाकी है लेकिन मऊ जनपद के चार विधानसभा सीटों में चार पर भाजपा और तीन पर सपा ने अपने प्रत्याशियों की घोषणा अभी तक नहीं की है। जबकि कांग्रेस ने भी एक सीट पर चुप्पी साध रखी है। ऐसे में कहीं भाजपा और सपा पहले आप, पहले आप के चलते, महज इसलिए देरी तो नहीं कर रहे हैं कि वे ताक-झांक कर देख ले कि एक दूसरे की विपक्षी पार्टी किस उम्मीदवार पर दांव लगा रही है, तो वे उस हिसाब से अपने प्रत्याशी का चयन कर मैदान में उतारेंगे। अगर भाजपा व सपा द्वारा ऐसा किया जा रहा है तो इसे डर की राजनीति कहने में कोई गुरेज नहीं है। आखिर अपने आपको ताकतवर राजनीतिज्ञ कहने वाले प्रत्याशियों का नाम जगजाहिर करने में डर रहे हैं या फिर जातिवाद का गोट्टी बिठाना चाहते हैं। खैर चाहे जिस लाभ के लिए लिए यह देरी मजबूत दल कर रहे हैं वह कितना मिलेगा यह तो भविष्य के गर्भ में है लेकिन यह देरी दलों का नुकसान भी कर सकती है। ऐसे भी अब तक घोषित बसपा के चार, कांग्रेस के तीन, आप के तीन, सपा के एक एवं अन्य दल के उम्मीदवार जनता जनार्दन का रोज गणेश परिक्रमा कर अपनी दावेदारी को मजबूती से रख रहे हैं। मऊ सदर से भाजपा के दावेदार तो कई चेहरे हैं यहां बाहुबली मोख्तार अंसारी से लड़ाई भी काफी अलग है, सपा का गठबंधन धर्म के नाते मोख्तार को वाकओवर मिलना लगभग तय हैं। बसपा प्रदेश अध्यक्ष भीम राजभर के सहारे वैतरणी पार लगाना चाहती है। टिकट का पता तो नहीं है लेकिन जनता के बीच परिणाम अवश्य चर्चा ए आम है कि कौन जीत रहा है।
सदर छोड़ बाकी की घोसी, मधुबन व मुहम्मदाबाद गोहना की सीट भाजपा के लिए अति महत्वपूर्ण है क्योंकि यहां 2017 में भाजपा सभी तीन सीट जीती थी। सपा, बसपा व कांग्रेस के पास पाने को बहुत कुछ है खोने को कुछ नहीं। ऐसे में टिकट में देरी 2022 के वैतरणी के लिए काफी नुकसानदेह साबित हो सकता है।