रचनाकार

“ननद-भाभी और राखी”

( किशोर कुमार धनावत )

आज राखी का त्यौहार,
ननद ने उड़ेला प्यार।
भौजाई के चेहरे पर,
उभर आया है निखार।
सदा बना रहे दोनों में,
ऐसा प्यार और दुलार।
मधुरता घोल देते हैं,
ननद-भाभी के विचार।
जिम्मेदारी है दोनों की,
स्वागत और व्यवहार।
भाभी-ननद में ठिठोली,
जंवाई-भाई का संसार।
भाई-बहन के लिये ये,
बहुत ही खास होता है।
ननद-भाभी के प्रेम का,
मधुर आभास होता है।
विदाई की बेला होती है,
दोनों की आंखें भर जाती।
भाई-जंवाई हाथ मिलाते,
ये आपस में लिपट जाती।
इसलिए राखी बंधन है,
कभी टूटता नहीं है।
आपसी लगाव होता है,
कभी छूटता नहीं है।


🙏💐🙏💐🙏
किशोर कुमार धनावत,
रायपुर (२२-८-२०२१)

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