घोसी: बहुत कठिन है डगर संसद की!
@आनन्द कुमार…
घोसी वाया दिल्ली होते हुए संसद में अपने प्रतिनिधित्व का किस्मत आजमाने वालों की बेचैनियां इन दिनों काफी बढ़ी हुई है। क्योंकि एनडीए गठबंधन का उम्मीदवार सुभासपा से राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर का बेटा अरविंद राजभर मैदान में आकर जनता जनार्दन के बीच अपनी दस्तक देनी तो शुरू कर दिए हैं, वहीं पर सपा-बसपा में इस बात की बेचैनी है की टिकट किसे मिलेगा!
वैसे तो वर्तमान में घोसी लोकसभा के सांसद बसपा के अतुल कुमार सिंह अतुल राय हैं, लेकिन उनके अलावा इस सीट पर जिसके नाम की चर्चा है वह हैं नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष अरशद जमाल, और कौन संभावित उम्मीदवार हो सकता है, पर्दे के पीछे और कौन टिकट मांग रहा है ना तो कोई चेहरा सामने है और ना ही कोई नाम।
इसके अलावा सपा में तो टिकट को लेकर रस्साकसी जारी है या कह लीजिए की राष्ट्रीय नेतृत्व घोसी में चुनाव जीतना तो चाहती है लेकिन प्रत्याशी किसे बनाएं वह तय नहीं कर पा रही है! सपा से राष्ट्रीय सचिव व प्रवक्ता राजीव राय राष्ट्रीय नेतृत्व के ऊपर दावेदारी छोड़ चुके हैं, अगर उन्हें टिकट मिला तो मऊ में उनके एक दशक का राजनीतिक सफरनामा काफी काम आएगा।
लेकिन अखिलेश यादव अपने पुराने गठबंधन के साथी और वर्तमान में कैबिनेट सरकार में मंत्री ओमप्रकाश राजभर के पुत्र अरविंद राजभर को घोसी का प्रत्याशी बनाए जाने के बाद इस सीट को लेकर पूरे एलर्ट मोड में हैं, वह कोई रिस्क लेने को तैयार नहीं हैं। उन्हें अपने सांसदों की संख्या बढ़ाने की फ़िक्र तो है ही, इस बात की भी चिंता सता रही है कि वे राजनीति में दोस्त से दुश्मन बने ओपी राजभर को ऐसी पटखनी दें, कि उनके हर दांव के किस्से दूर तलक चर्चा में रहे।
ऐसे में समाजवादी पार्टी में लिस्ट भले ही लम्बी हो लेकिन टिकट को लेकर माथापच्चीसी ज्यादा है।
ऐसे में सुहेलदेव स्वाभिमान पार्टी के मुखिया और यूपी सरकार के मंत्री ओमप्रकाश राजभर के कभी राजनैतिक हनुमान रहे महेन्द्र राजभर के सहारे अगर सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कोई नया दांव खेला तो, कटप्पा महेंद्र राजभर कई लोगों के राजनैतिक तिलिस्म में सेंध लगा सकते हैं, और लड़ाई अगर घोसी उपचुनाव सरीखा हुआ तो फागुन के बाद भी जोगीरा स रा रा… की मस्ती कई की राजनैतिक हस्ती मिटा सकती है! जीत हार के जंग के साथ-साथ सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी व सुहेलदेव स्वाभिमान पार्टी के अस्तित्व की अग्नि परीक्षा व ओमप्रकाश राजभर व महेंद्र राजभर में घोसी के अखाड़े में मज़बूत पहलवान कौन है इसकी चर्चा होने लगेगी!
एक दशक से भी ज़्यादा समय से घोसी लोकसभा की राजनीति कर रहे और जनता के बीच 2014 में घोसी लोकसभा का चुनाव सपा के सिम्बल से हारने के बाद भी 70 घोसी लोकसभा क्षेत्र के हर गाँव व क़स्बों में दख़ल रखने वाले सपा के राष्ट्रीय सचिव व प्रवक्ता राजीव राय टिकट की मज़बूत दावेदारी कर रहे हैं। जनता की पसंद भी बताए जा रहे हैं, लेकिन सपा मुखिया व घोसी के राजनैतिक परिदृश्य में किस प्रत्याशी पर मुहर लगेगी यह कह पाना मुश्किल है।
राजभर प्रत्याशी के रूप में कौन भारी होगा कौन हल्का यह तो जनता ही तय करेगी! इसके अलावा रसड़ा विधानसभा से सपा से चुनाव लड़ चुके महेंद्र चौहान, मऊ में चौहान समाज में अपनी मज़बूत पकड़ रखने वाले पूर्व ज़िला पंचायत सदस्य पहलवान चौहान (अखिलेश चौहान) सपा में राष्ट्रीय सचिव व अधिवक्ता रामहरि चौहान अपनी मज़बूत दावेदारी पेश कर रहे हैं। इसके अलावा घोसी के विधायक सुधाकर सिंह के नाम की भी चर्चा है। इसके अलावा चौहान समाज के लिए देश में राजनीति करने वाले सपा मुखिया अखिलेश यादव के गठबंधन साथी जन जनवादी पार्टी राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय सिंह चौहान भी घोसी लोकसभा से किस्सत आज़माने को तैयार हैं, वहीं सदर विधानसभा के सपा के पूर्व प्रत्याशी अल्ताफ़ अंसारी, पूर्व विधान परिषद सदस्य रामजतन राजभर सहित कई अन्य भी अंदरखाने से दावेदार हैं। अगर अंदरखाने की बात करें तो घोसी विधानसभा के उपचुनाव में भाजपा मंत्रीमंडल, सांसद, विधायक व हज़ारों पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं के कुनबे सहित ओमप्रकाश राजभर व स्वयं दारा सिंह चौहान के प्रत्याशी होने के बाद भी उन्हें हराकर देश की राजनीति में चर्चा में रहे सुधाकर सिंह को सपा घोसी के रणक्षेत्र में भेजती है तो घोसी वीआईपी सीट बनकर पुनः एक बार पूरे देश में चर्चा में रहेगी। उसके अलावा भी यहाँ सुभासपा मुखिया ओमप्रकाश राजभर की राजनैतिक प्रतिष्ठा व भाजपा द्वारा इस सीट के गठबंधन साथी के लिए छोड़ना राजनैतिक हलकों में चर्चा में रहना तय है, देश की मीडिया की नज़र इस सीट पर रहनी है। फिर भी सपा किस पर दांव लगाएगी जानने के लिए पक्ष-विपक्ष सहित जनता बेताब हैं?
सुभासपा+भाजपा, सपा व कांग्रेस गठबंधन के बाद अगर किसी पार्टी का घोसी की सियासत में महत्व व दमदारी है तो वह है बहुजन समाज पार्टी की है, और इस सीट पर प्रबल दावेदार तो सांसद अतुल सिंह ही हैं, लेकिन वह भी मौके की ताक में हैं। फिर भी अपनी सोशल इंजीनियरिंग के बूते टिकट बांटने में महारत रखते वाली मायावती ने अगर इस सीट पर नपा अध्यक्ष अरशद जमाल को अपना आशीर्वाद दिया या जैसा कि चर्चा है कि रसड़ा के बसपा के यूपी में इकलौते विधायक उमाशंकर सिंह को भी घोसी के अखाड़े में मायावती उतार सकती हैं तो घोसी की लड़ाई दिलचस्प व रोचक हो जाएगी। या फिर चौहान, क्षत्रिय या अन्य कोई चेहरा लाई तो लड़ाई दिलचस्प होनी तय है। इसके अलावा सुभासपा मुखिया ओमप्रकाश राजभर ने घोसी से बेटे को प्रत्याशी घोषित तो कर दिया है लेकिन सूत्रों की बातों पर यक़ीन करें तो ओपी राजभर घोसी की सियासत का मिज़ाज भी पढ़ने की कोशिश कर रहे हैं, और नब्ज टटोल रहे हैं। अगर उन्हें घोसी की राजनैतिक पिच में जरा सी भी नमी नज़र आयी तो वे घोसी से कोई और भी खिलाड़ी मैदान में उतार, घोसी से सांसदी की लड़ाई आसान समझने वाले सपा-बसपा को ज़ोर का झटका धीरे से दे सकते हैं! वैसे तो सुभासपा के लोग मोदी व योगी के नाम और अपने वोट बैंक से उम्मीद की बदौलत सड़क से संसद पहुँचने के सपने पूरे होते मान बैठे हैं पर यह घोसी की जनता है, इसे समझना इतना आसान नहीं है, जितना की राजनीति के पुरोधा समझते हैं!