पाँच बार विधायक तो बने मोख्तार, सांसद का सपना रह गया अधूरा
@आनन्द कुमार…
मऊ। जिसकी जेल से लेकर बाहर तक बादशाहत चलती रही हो, जो सरकार बदलने के बाद भी कभी अपने रहन-सहन का तरीक़ा नहीं बदलता था, जिसके नाम पर दूर बैठा व्यक्ति भी सहम जाता था, गुरुवार को उस माफिया का बाँदा की जेल में अचानक तबीयत खराब हुई जिसे आनन-फानन में अस्पताल लाया गया और डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। खबर आग की तरह पूरे देश में फैली, समर्थकों में दु:ख और बहुतों को इस बात की खुशी हुई की अपराध के एक युग का अंत हो गया। मोख्तार अंसारी जनप्रतिनिधि बाद में माफिया पहले बने और दोनों का सिक्का चला तो फिर खूब चलता रहा और अंत की तस्वीर आप सबके सामने है!
गाजीपुर जनपद से मऊ में सियासत करने की सपना देख जब मुख्तार अंसारी ने मऊ में कदम रखा तो, पांच बार विधायक तो बने लेकिन सांसद बनने का सपना अधूरा का अधूरा ही रह गया।
सियासत में एंट्री मोख्तार अंसारी ने बहुजन समाज पार्टी की हाथी के सिंबल से मारी। 1996 में घोसी लोकसभा से चुनाव लड़े लेकिन विकास पुरुष कल्पनाथ राय से लगभग 14552 वोट से हार गए। पहली चुनाव में हार के बाद मुख्तार अंसारी ने कभी हारना मुनासिब नहीं समझा और लगातार पांच बार विधायक बनकर पूरे जनपद में इतिहास रचा।
1996 में मोख्तार अंसारी को बसपा ने मऊ सदर विधानसभा से प्रत्याशी बनाया और वे 67731 वोट पाकर भारतीय जनता पार्टी के विजय प्रताप सिंह 41758 वोट को पराजित कर पहली बार उत्तर प्रदेश के विधानसभा में पहुंचे। उसके बाद मोख्तार अंसारी ने 2002 के विधानसभा चुनाव में निर्दल लड़ने का फैसला किया और 70687 वोट पाया और समता पार्टी की सीता राय 37645 वोट को पराजित किया। बसपा यहां पर तीसरे नंबर पर पहुंच गई। 2007 के विधानसभा चुनाव में मोख्तार अंसारी पुनः निर्दल चुनाव लड़े और 70226 वोट पाकर बसपा के विजय प्रताप सिंह को पराजित किया विजय प्रताप सिंह को 63208 वोट मिला। 2012 के विधानसभा चुनाव में मुख्तार अंसारी ने अपनी नई पार्टी कौमी एकता दल के सहारे चुनाव मैदान में आए और 70210 वोट पाकर बसपा के भीम राजभर 64306 वोट को पराजित किया। विधानसभा का आखिरी और अपने जीवन का अंतिम चुनाव में मोख्तार अंसारी अपने नवगठित पार्टी कौमी एकता दल का बसपा में विलय कर बसपा के सिंबल से मऊ सदर विधानसभा में सबसे ज्यादा 96793 वोट पाने का रिकॉर्ड बनाए, उनके खिलाफ चुनाव लड़ रहे सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के महेंद्र राजभर भी 88095 वोट पाकर रिकॉर्ड बनाएं लेकिन मोख्तार अंसारी ही जीते। इसके बाद मोख्तार अंसारी ने 2022 के चुनाव में खुद चुनाव ना लड़कर अपने बेटे अब्बास अंसारी को चुनाव लड़ाने का फैसला किया और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के सिंबल पर तथा सपा के समर्थित उम्मीदवार के रूप में अब्बास अंसारी को 124691 वोट मिला। वे अपने पिता के भी वोट को पीछे छोड़ एक रिकॉर्ड बनाएं और भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी अशोक कुमार सिंह को पराजित किया श्री सिंह को 86575 वोट प्राप्त हुआ।
मोख्तार अंसारी ने अपनी आपराधिक बादशाहत की बदौलत राजनीति में जब कदम रख इसकी नब्ज को पकड़ी तो मऊ की राजनीति में भले ही इतिहास पर इतिहास बनाते गए, लेकिन 2017 के पहले जिस भी दल की सरकार रही हो लेकिन सूबे में योगी सरकार ने जब कमान सँभाली तो उनपर इतना नकेल कसा की उन्हें सत्ता का फ़र्क़ नज़र आने लगा। योगी सरकार के पहले से जेल की सलाख़ों में क़ैद मोख्तार को अंततः आज़ादी मिली लेकिन मौत के रूप में, अब उनके क़िस्से चर्चा में है उनकी अच्छाई और बुराई की बातें हैं मोख्तार नहीं हैं!