चर्चा में

हिमाचल के इस गांव का है अपना कानून, जानकर चौक जाएंगे

जो बात हम आपको बताने जा रहे हैं. शायद आपको हमारी बात पर यकीन ना हो. लेकिन ये बात सौ आने सच है. जी हां हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में एक ऐसा गांव हैं. जहां आजादी के इतने साल बाद भी भारतीय संसद के कानून लागून नहीं हो पाए हैं. आज भी इस गांव के लोग अपने संसद और कानून का ही पालन करते हैं. हम जिस गांव की बात कर रहे हैं. उसका नाम मलाणा है. इस गांव के लोग अपने आप को सिकंदर का वशंज बताते हैं. इतना ही नहीं वो इस बात का सबूत भी पेश करते हैं. इस गांव की संसद का स्वरूप ग्रीस देश से मिलता जुलता है. इस गांव में 8 सदस्यों का चुनाव होता है. जबकि कुछ सदस्यों को मनोनित किया जाता है.मलाणा गांव की संसद में दो सदन है. अगर कोई वक्ति यहां से संतुष्ट नहीं है. तो वो ऊपरी सदन में मामला रख सकता है. हम आपको बता दें कि इस गांव में चुनी जाने वाली 14 सदस्यीय संसद ही गांव के नियम कानून को लागू करती और बनाती है. करीब 8 हजार फीट की ऊंचाई पर बसे इस गांव मलाणा में यह नियम अधिष्ठाता देवता जमलू के अनुसार ही लागू होती है. अगर कोई विवाद इस गांव में होता है तो यहीं संसद उस विवाद का निपटारा करती है. मजेदार बात ये है कि यहां के लोगों की लाइफ स्टाइल भी कुल्लू क्षेत्र से बिल्कुल अलग है. मगर ऐसा नहीं है कि यहां के लोग चुनाव में मतदान का इस्तेमाल नहीं करते करीब 2450 लोगों की आबादी वाले इस गांव के सभी योग्य सदस्य चुनाव में हिस्सा लेकर नेता चुनते हैं. हालांकि स्थानीय प्रशासन लोगों को जागरूक करने की दिशा में निरंतर कोशिशें कर रहा है. इस गांव के लोग खुद को सिकंदर का वंशज मानते हैं.

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