शोहदों से निबटने की मुहिम में बेटियों ने निकाली निर्भया ज्योति यात्रा 2017
इलाहाबाद। समाज के जागरूक होने के बाद भी, समाज में शोहदों के बढ़ रहे आतंक व खौफ तथा हो रही नित्य घटनाओं से समाज को जागरूक करने के लिए उत्तर प्रदेश की आठ बेटियों ने दृढ़ इच्छाशक्ति व कुछ अलग करने के जुनून के साथ साइकिल से निर्भया ज्योति यात्रा लखनऊ से लेखर निकली और स्कूल-कालेज होते हुए जगह जगह लोगों को जगाने का काम कर रही हैं। इस ठंड में फौलादी मन व नेक इरादों के साथ देश की इन आठ बेटियों की मंशा है कि निर्भया जैसा कांड फिर न हो। इलाहाबाद, वाराणसी जैसे शहरों से होते हुए निर्भया ज्योति यात्रा 2017 बलिया जिले के मडोरा कला गांव में निर्भया के घर तक जाएगी। जागरूकता के प्रयास के साथ बेटियों का सवाल भी है कि जब कानून है, पालन कराने वाले हैं, समाज में जागरूक लोग भी हैं तो ऐसी घटनाएं क्यों नहीं थम नहीं रहीं। रास्ते में मिले अनुभवों को लेकर ये बेटियां निर्भया के माता-पिता को साथ लेकर लखनऊ में सरकार से भी मिलेंगी और न्याय मांगेंगी।
लखनऊ से निकली यात्रा गुरुवार को इलाहाबाद में प्रवेश किया। रास्ते में महिलाओं व समाज के लोगों के बीच सवाल रखते हुए चिंता भी जताती हैं। सोरांव थाना देखा तो परिसर में साइकिल खड़ी की और दारोगा जी के पास पहुंच गईं। थानेदार ने उद्देश्य जाना तो सभी को सम्मान से बैठाया। छात्राओं का सवाल था- सर निर्भया कांड के बाद जिस तरह देश भर में आंदोलन चला, उससे लगा ऐसी घटनाओं पर शायद अब अंकुश लग जाएगा लेकिन, ऐसा हुआ नहीं। आवाज उठाने पर पुलिस भी नहीं सुनती। आखिर क्यों? जवाब- पुलिस मुकदमा दर्ज कर जांच करती है। विभागीय काम भी होते हैं। कहां-कहां पहुंचें। आप लोग बताइए पुलिस कैसे सब तक पहुंचे? अब छात्राओं का सवाल- आपके थाने में महिला सिपाही हैं? जवाब- हां हैं। सवाल- क्या वे कभी गांव में जाती हैं, महिलाओं व लड़कियों से मिलकर बात करती हैं। जवाब कठिन था तो बहादुर लड़कियों ने ही कहा- महिला सिपाही लड़कियों के पास जाएंगी तो लड़कियां उनके ज्यादा करीब आएंगी और खुलकर बातें कहेंगी। सर, महिला सिपाहियों को गांव भेजिए। इसी तरह के वार्तालाप से रास्ते में महिला व पुरुषों को भी जागरूक किया।
इलाहाबाद के कटरा में रात्रि विश्राम के बाद शुक्रवार को सुबह आठ बजे बेटियों की यह यात्रा कंपनी बाग में चंद्रशेखर आजाद की प्रतिमा पर पहुंचीं। यहां मार्निंग वॉकर महिलाओं व लड़कियों को रोककर बातचीत की और यात्रा का उद्देश्य बताया। इस अभियान के सहयोग में हस्ताक्षर भी कराया। यात्रा रंजना खरे व अजय पटेल की देखरेख में चल रही हैं। रेड ब्रिगेड ट्रस्ट, निर्भया ज्योति ट्रस्ट व महिला समाख्या इन बेटियों को आगे बढ़ाने में मदद कर रही है।
निर्भया का गांव अंतिम पड़ाव :
बेटियों की साइकिल यात्रा को 17 दिसंबर को कैबिनेट मंत्री रीता बहुगुणा जोशी व निर्भया के माता-पिता आशा देवी व बद्रीनाथ ने लखनऊ से रवाना किया था। यात्रा रायबरेली, प्रतापगढ़, इलाहाबाद, भदोही, वाराणसी, गाजीपुर, मऊ होते हुए 29 दिसंबर को आखिरी पड़ाव बलिया में निर्भया के पैतृक गांव मडोरा कला पहुंचेगी।
शनिवार को आज पहुंचेंगी मोदी के गोद लिए गांव :
भदोही में डिप्टी एसपी अभिषेक पांडेय ने शुक्रवार की रात इन बेटियों के ठहरने की व्यवस्था पहले से की है। वहां से शनिवार को साइकिल से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गोद लिए गांव वाराणसी के जयापुर व नागेपुर पहुंचेंगी।
लखनऊ, वाराणसी, गाजीपुर व बलिया की बेटियां अलग-अलग जनपद की होने के बाद भी एक साथ होकर समाज को संवारने का जो काम कर रही हैं, इसकी जितनी भी तारीफ की जाये कम है। इन बेटियों में
लखनऊ के मडियांव की पूजा विश्वकर्मा बीएसडब्ल्यू की पढ़ाई कर रही हैं तो, मरदह, गाजीपुर की चार बेटियां प्रियंका कुमारी बीएससी, अंजू मौर्या एमए, काजल इंटर, सुष्मिता कुमारी बीए, तो प्रधानमंत्री के लोकसभा क्षेत्र शीरगोवर्धन से तीन बेटियां कक्षा 9 की छात्रा आस्था कुमारी, बीए की सुमन कुमारी व कक्षा 11 की छात्रा संध्या शामिल है।
ऐसे की थी शुरुआत :
बेटियों ने इस मुहिम को शोहदों के आतंक से त्रस्त होकर शुरू की है। लखनऊ के मडिय़ांव में रहने वाली पूजा विश्वकर्मा व उनकी सहेली को कुछ लड़कियों के साथ छेडख़ानी की जानकारी मिली। इस पर एक दिन कुछ लड़कियों ने शोहदों को पीट दिया। उसी के बाद से इन लड़कियों ने यह मुहिम छेड़ रखी है।
अत्यंत साहसिक एवम् स्वागत योग्य पहल